Difference between revisions of "देशभक्तो विपिनचन्द्रपालः - महापुरुषकीर्तन श्रंखला"

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देशभक्तो विपिनचन्द्रपालः
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देशभक्तो विपिनचन्द्रपालः<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> (1858-1932 ई.)<blockquote>विविनचन्द्रपालो महान्‌ देशभक्तः, स्वदेशीयवस्तूपयोगोपदेष्टा।</blockquote><blockquote>स्ववाचोग्रया कम्पयन्‌ देशशत्रून्‌, न विस्मर्तुमर्हः कदाचित्सुवाग्मी॥</blockquote>स्वदेशी वस्तुओं के ही उपयोग का सदा उपदेश देने वाले श्री विपिनचन्द्रपाल महान्‌ देशभक्त थे जो अपनी उग्र वाणी से देश के शत्रुओं को कंपा देते थे। वे अत्यन्त प्रभावशाली उत्तम वक्ता थे व कभी भुलाने योग्य नहीं हैं।<blockquote>बाललालपालनाम्नी देशनायकत्रयी।</blockquote><blockquote>भारते स्वराष्ट्रनौका-कर्णधारतामगात्‌॥</blockquote>बाल (श्री बाल गंगाधर तिलक), लाल (लाला लाजपतराय) और पाल (श्री विपिनचन्द्रपाल) ये तीन देश के नेता, भारत की नौका के कर्णधार थे।<blockquote>यातना अनेकरूपाः सा प्रसेहेऽहर्निशम्‌</blockquote><blockquote>किन्तु राष्ट्रियध्वजाया गौरवं ह्यरक्षयत्‌॥</blockquote>इन तीनों ने अनेक प्रकार के कष्टों को दिन रात सहन किया किन्तु राष्ट्रीय ध्वजा के गौरव की सदा रक्षा की।<blockquote>सादरं वयं स्मरामोऽतस्त्रमूर्ति स्वर्गताम्‌।</blockquote><blockquote>यत्प्रतापाद्‌ राष्ट्रवादो भारते प्रसृतिं गतः॥</blockquote>इसलिये दिवंगत इस त्रिमूर्ति को हम सादर सहित स्मरण करते हैं जिसके प्रताप से भारत में राष्ट्रीयता प्रसार को प्राप्त हुई।
 
 
(1858-1932 ई.)
 
 
 
विविनचन्द्रपालो महान्‌ देशभक्तः, स्वदेशीयवस्तूपयोगोपदेष्टा।
 
 
 
स्ववाचोग्रया कम्पयन्‌ देशशत्रून्‌, न विस्मर्तुमर्हः कदाचित्सुवाग्मी॥।114॥
 
 
 
स्वदेशी वस्तुओं के ही उपयोग का सदा उपदेश देने वाले श्री
 
 
 
विपिनचन्द्रपाल महान्‌ देशभक्त थे जो अपनी उग्र वाणी से देश के
 
 
 
शत्रुओं को कपा देते थे। वे अत्यन्त प्रभावशाली उत्तम वक्ता कभी
 
 
 
भुलाने योग्य नहीं।
 
 
 
बाललालपालनाम्नी देशनायकत्रयी।
 
 
 
भारते स्वराष्ट्रनौका-कर्णधारतामगात्‌।।151।
 
 
 
बाल( श्री बाल गंगाधर तिलक)लाल(लाला लाजपतराय) और पाल
 
 
 
(श्री विपिनचन्द्रपाल)ये तीन देश के नेता, भारत की नौका के कर्णधार थे।
 
 
 
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यातना अनेकरूपाः सा प्रसेहेऽहर्निशम्‌
 
 
 
किन्तु राष्ट्रियध्वजाया गौरवं ह्यरक्षयत्‌।।16॥
 
 
 
इन तीनों ने अनेक प्रकार के कष्टों को दिन रात सहन किया किन्तु
 
 
 
राष्ट्रिय ध्वजा के गौरव की सदा रक्षा की।
 
 
 
सादरं वयं स्मरामोऽतस्त्रमूर्ति स्वर्गताम्‌।
 
 
 
यत्प्रतापाद्‌ राष्ट्रवादो भारते प्रसृतिं गतः।।17॥
 
 
 
इसलिये दिवंगत इस त्रिमूर्ति को हम सादर सहित स्मरण करते हैं
 
 
 
जिसके प्रताप से भारत में राष्ट्रीयता प्रसार को प्राप्त हुई।
 
  
 
==References==
 
==References==

Latest revision as of 03:43, 6 June 2020

देशभक्तो विपिनचन्द्रपालः[1] (1858-1932 ई.)

विविनचन्द्रपालो महान्‌ देशभक्तः, स्वदेशीयवस्तूपयोगोपदेष्टा।

स्ववाचोग्रया कम्पयन्‌ देशशत्रून्‌, न विस्मर्तुमर्हः कदाचित्सुवाग्मी॥

स्वदेशी वस्तुओं के ही उपयोग का सदा उपदेश देने वाले श्री विपिनचन्द्रपाल महान्‌ देशभक्त थे जो अपनी उग्र वाणी से देश के शत्रुओं को कंपा देते थे। वे अत्यन्त प्रभावशाली उत्तम वक्ता थे व कभी भुलाने योग्य नहीं हैं।

बाललालपालनाम्नी देशनायकत्रयी।

भारते स्वराष्ट्रनौका-कर्णधारतामगात्‌॥

बाल (श्री बाल गंगाधर तिलक), लाल (लाला लाजपतराय) और पाल (श्री विपिनचन्द्रपाल) ये तीन देश के नेता, भारत की नौका के कर्णधार थे।

यातना अनेकरूपाः सा प्रसेहेऽहर्निशम्‌

किन्तु राष्ट्रियध्वजाया गौरवं ह्यरक्षयत्‌॥

इन तीनों ने अनेक प्रकार के कष्टों को दिन रात सहन किया किन्तु राष्ट्रीय ध्वजा के गौरव की सदा रक्षा की।

सादरं वयं स्मरामोऽतस्त्रमूर्ति स्वर्गताम्‌।

यत्प्रतापाद्‌ राष्ट्रवादो भारते प्रसृतिं गतः॥

इसलिये दिवंगत इस त्रिमूर्ति को हम सादर सहित स्मरण करते हैं जिसके प्रताप से भारत में राष्ट्रीयता प्रसार को प्राप्त हुई।

References

  1. महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078