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| |- | | |- |
| |6 | | |6 |
− | |<nowiki>उद्धेशः || </nowiki>''uddhēśaḥ'' | + | |<nowiki>उद्देशः || </nowiki>''uddeśaḥ'' |
| |<nowiki>उद्धेशः || </nowiki>''uddhēśaḥ'' | | |<nowiki>उद्धेशः || </nowiki>''uddhēśaḥ'' |
| |<nowiki>निर्देशः || </nowiki>''nirdēśaḥ'' | | |<nowiki>निर्देशः || </nowiki>''nirdēśaḥ'' |
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| |- | | |- |
| |1 | | |1 |
− | |अतिक्रान्तावेक्षणम् | + | |<nowiki>अतिक्रान्तावेक्षणम् || </nowiki>''atikrāntāvēkṣaṇam'' |
| |अतीतावेक्षा | | |अतीतावेक्षा |
| |यत्पूर्वमुक्तं तदतिक्रान्तावेक्षणम् । (Sushruta Samhita) | | |यत्पूर्वमुक्तं तदतिक्रान्तावेक्षणम् । (Sushruta Samhita) |
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| |- | | |- |
| |2 | | |2 |
− | |अतिदेशः | + | |<nowiki>अतिदेशः || </nowiki>''atidēśaḥ'' |
| |NA | | |NA |
| |अन्यसम्बन्धिनां धर्माणामन्यत्रव्यवस्थापनमतिदेशः। (Tantrayukti Vichara) | | |अन्यसम्बन्धिनां धर्माणामन्यत्रव्यवस्थापनमतिदेशः। (Tantrayukti Vichara) |
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| |- | | |- |
| |3 | | |3 |
− | |अधिकरणम् | + | |<nowiki>अधिकरणम् || </nowiki>''adhikaraṇam'' |
| |NA | | |NA |
| |अधिकरणं नाम यमर्थमधिकृत्य प्रवर्तते कर्ता । (Charaka Samhita) | | |अधिकरणं नाम यमर्थमधिकृत्य प्रवर्तते कर्ता । (Charaka Samhita) |
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| |- | | |- |
| |4 | | |4 |
− | |अनागतावेक्षणम् | + | |<nowiki>अनागतावेक्षणम् || </nowiki>''anāgatāvēkṣaṇam'' |
| |अनागतावेक्षा, अनागतापेक्षा | | |अनागतावेक्षा, अनागतापेक्षा |
| |अनागतं भविष्यद्यत्तस्यावेक्षा यथोच्यते । (Tantrayukti) | | |अनागतं भविष्यद्यत्तस्यावेक्षा यथोच्यते । (Tantrayukti) |
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| |- | | |- |
| |5 | | |5 |
− | |अनुमतम् ''anumatam'' | + | |<nowiki>अनुमतम् || </nowiki>''anumatam'' |
| |NA | | |NA |
| |परपक्षस्य भिन्नस्याप्यङ्गीकरणमनुमतम् ।(Tantrayukti Vichara) | | |परपक्षस्य भिन्नस्याप्यङ्गीकरणमनुमतम् ।(Tantrayukti Vichara) |
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| |- | | |- |
| |6 | | |6 |
− | |अपदेशः | + | |<nowiki>अपदेशः || </nowiki>''apadēśaḥ'' |
| |NA | | |NA |
| |अपदेशो नाम यत्प्रतिज्ञार्थसाधनाय हेतुवचनम् । (Tantrayukti Vichara) | | |अपदेशो नाम यत्प्रतिज्ञार्थसाधनाय हेतुवचनम् । (Tantrayukti Vichara) |
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| |- | | |- |
| |8 | | |8 |
− | |अर्थापत्तिः | + | |<nowiki>अर्थापत्तिः || </nowiki>''arthāpattiḥ'' |
| |NA | | |NA |
| |अर्थापत्तिर्नाम यदेकस्मिन्नर्थे उच्यमाने अनुक्तस्याप्यर्थस्य बलादागमनं सार्थापत्तिः । (Tantrayukti Vichara) | | |अर्थापत्तिर्नाम यदेकस्मिन्नर्थे उच्यमाने अनुक्तस्याप्यर्थस्य बलादागमनं सार्थापत्तिः । (Tantrayukti Vichara) |
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| |- | | |- |
| |9 | | |9 |
− | |पूर्वपक्षः | + | |<nowiki>पूर्वपक्षः || </nowiki>''pūrvapakṣaḥ'' |
| |NA | | |NA |
| |प्रतिषेधवचनं पूर्वपक्षः। (Vishnudharmottara Purana) | | |प्रतिषेधवचनं पूर्वपक्षः। (Vishnudharmottara Purana) |
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| |- | | |- |
| |10 | | |10 |
− | |उत्तरपक्षः | + | |<nowiki>उत्तरपक्षः || </nowiki>''uttarapakṣaḥ'' |
| |निर्णयः | | |निर्णयः |
| |तस्य निर्णयवाक्यमुत्तरपक्षः। (Arthashastra) | | |तस्य निर्णयवाक्यमुत्तरपक्षः। (Arthashastra) |
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| |- | | |- |
| |11 | | |11 |
− | |उद्देशः | + | |<nowiki>उद्देशः || </nowiki>''uddeśaḥ'' |
| |NA | | |NA |
| |समासवाक्यमुद्देशः - विद्याविनयहेतुरिन्द्रियजयः इति । (Arthashastra) | | |समासवाक्यमुद्देशः - विद्याविनयहेतुरिन्द्रियजयः इति । (Arthashastra) |
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| |- | | |- |
| |12 | | |12 |
− | |उपदेशः | + | |<nowiki>उपदेशः || </nowiki>''upadēśaḥ'' |
| |NA | | |NA |
| |उपदेशो नाम आप्तानुशासनं, यथा - स्नेहमग्रे प्रयुञ्जीत ततः स्वेदमनन्तरम् इत्यादि । (Charaka Samhita) | | |उपदेशो नाम आप्तानुशासनं, यथा - स्नेहमग्रे प्रयुञ्जीत ततः स्वेदमनन्तरम् इत्यादि । (Charaka Samhita) |