Difference between revisions of "Penal System (दण्ड व्यवस्था)"
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दण्ड व्यवस्था (संस्कृतः दण्डनीतिः) का स्वरूप अत्यंत सूक्ष्म, धर्म आधारित और राजकीय नीति से जुड़ा हुआ है। यह व्यवस्था धर्म, न्याय और राजधर्म पर आधारित है। अर्थशास्त्र में राजा के चार उपायों - साम, दान, दण्ड और भेद के रूप में दण्डनीति को राजनीति का प्रमुख अंग माना है। जिसका उद्देश्य राज्य की स्थिरता, समाज में नैतिकता और अनुशासन की स्थापना करना था। वेद, पुराण, स्मृतिशास्त्र, रामायण एवं महाभारत आदि में दण्ड व्यवस्था का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है।
परिचय॥ Introduction
महाभारत में दण्ड का सार्वभौम रूप प्रस्तुत हुआ है। उसमें कहा गया है कि दण्ड प्रजा पर शासन करता एवं उसकी रक्षा करता है। जब संसार शयन करता है तब दण्ड जागता है अतः विद्वान् उसे ही धर्म मानते हैं। दण्ड के ही भय से मनुष्य कर्त्तव्य करता है, यह भय राजदण्ड मूलक हो अथवा यमदण्ड मूलक दण्डभय से ही मनुष्य पाप प्रवृत्ति क्षीण होती है।