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भारत की संस्कृति में मौखिक परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। आसानी से याद रखे जा सकने वाले ग्रन्थों या सूत्रों की रचना को अत्यधिक महत्व दिया गया। कटपयादि सूत्र का उपयोग करके श्लोकों को डिकोड करना, अर्थात उनका सही अर्थ निकालना संभव हुआ। खगोलशास्त्रीय ग्रन्थों ने ग्रहों की स्थितियाँ गणना करने में कटपयादि प्रणाली का उपयोग किया।<ref>डॉ० दिनकर मराठे, [https://sanskritarticle.com/wp-content/uploads/55-55-Dr.Dinkar.Marathe.pdf कटपयादि संख्या प्रणाली का सोदाहरण विश्लेषण], सन २०२४, नेशनल जर्नल ऑफ हिन्दी एण्ड संस्कृत रिसर्च (पृ० २०७)।</ref>
    
==आर्यभट्ट का योगदान==
 
==आर्यभट्ट का योगदान==
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