Difference between revisions of "Vastu Shastra Acharyas (वास्तुशास्त्र आचार्य)"
Jump to navigation
Jump to search
(नया पृष्ठ निर्माण) |
(No difference)
|
Revision as of 19:36, 27 July 2025
| This article needs editing.
Add and improvise the content from reliable sources. |
भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार प्रत्येक विद्या के अपने-अपने प्रवर्तक आचार्य हुए हैं। उन्हीं में से एक वास्तु विद्या रही है। वास्तु विद्या के मूल प्रवर्तक के रूप में विशेष रूप से दो नामों का उल्लेख किया जाता रहा है जिनमें विश्वकर्मा एवं मय नामक आचार्य हुए हैं।[1]
परिचय॥ Introduction
वास्तुशास्त्र के प्रमुख आचार्यों का उल्लेख वास्तुशास्त्र के अनेक ग्रन्थों और पुराणों में प्राप्त होता है। मत्स्यपुराण में भृगु, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वकर्मा, मय, नारद, नग्नजित, विशालाक्ष, पुरन्दर, ब्रह्मा, कुमार, नन्दीश, शौनक, गर्ग, वासुदेव, अनिरुद्ध, शुक्र तथा बृहस्पति इन अठारह आचार्यों का वर्णन किया गया है।[2]
दक्षिण एवं उत्तर परंपरा आचार्य
उद्धरण
- ↑ उमा शंकर, वास्तु विज्ञान- आचार्य एवं ग्रन्थ, सन् 2023, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (पृ० २२७)।
- ↑ डॉ० नन्दन कुमार तिवारी, वास्तु शास्त्र का स्वरूप व परिचय, सन् २०२१, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी (पृ० ३५)।