*प्रत्येक यानमार्ग के दोनों ओर जंघापथ (फुटपाथ) अवश्य होने चाहिए। इनकी चौडाई ५ फीट हो।
*प्रत्येक यानमार्ग के दोनों ओर जंघापथ (फुटपाथ) अवश्य होने चाहिए। इनकी चौडाई ५ फीट हो।
*जल-निकासी के लिए नगर में नालियों की व्यवस्था होनी चाहिए। ये नालियाँ ३ फीट या डेढ फुट चौडी हों। इनको सदा ढककर रखा जाए।
*जल-निकासी के लिए नगर में नालियों की व्यवस्था होनी चाहिए। ये नालियाँ ३ फीट या डेढ फुट चौडी हों। इनको सदा ढककर रखा जाए।
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नगर-निवेश प्रक्रिया का अगला महत्वपूर्ण अंग है - मार्ग विन्यास। वास्तव में, किसी नगर की मार्ग योजना के माध्यम से ही उसे विभिन्न आवासीय खण्डों में बाँटा जा सकता है। किस मार्ग के किन-किन स्थानों पर कौन-कौन से भवन स्थित होंगे, यह मार्ग विन्यास के बाद ही निर्धारित हो सकता है। नगरों की मार्ग-योजना इस बात पर भी निर्भर थी कि, अमुक नगर किस प्रकार का है, अर्थात वह राजधानी है या व्यापारिक नगर, अथवा एक सामान्य नगर।