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अब अच्छे और बुरे संस्कार का अर्थ क्या है। अच्छे बुरे का संबंध किये जानेवाले काम से है। एक ही काम को स्थल-काल में अंतर के कारण कभी अच्छा कभी बुरा माना जा सकता है। या एक ही काम को एक समाज अच्छा मानता है और दूसरा समाज उसे बुरा मानता है। जैसे मूर्तिपूजा का विषय लें।   
 
अब अच्छे और बुरे संस्कार का अर्थ क्या है। अच्छे बुरे का संबंध किये जानेवाले काम से है। एक ही काम को स्थल-काल में अंतर के कारण कभी अच्छा कभी बुरा माना जा सकता है। या एक ही काम को एक समाज अच्छा मानता है और दूसरा समाज उसे बुरा मानता है। जैसे मूर्तिपूजा का विषय लें।   
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इस्लाम मूर्तिपूजा को छोड़ें मूर्ति तोड़ने को अच्छा काम मानता है। जब कि हिन्दू मूर्तिपूजा को आदर से देखता है, अच्छा मानता है। इस अच्छे और बुरे की कसौटी क्या है? किसी समाज में वह काम जीवन के लक्ष्य की ओर ले जानेवाला होने से अच्छा बन जाता है। और लक्ष्य से अन्यत्र ले जानेवाला काम बुरा बन जाता है।   
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इस्लाम मूर्ति तोड़ने को अच्छा काम मानता है। जब कि हिन्दू मूर्तिपूजा को आदर से देखता है, अच्छा मानता है। इस अच्छे और बुरे की कसौटी क्या है? किसी समाज में वह काम जीवन के लक्ष्य की ओर ले जानेवाला होने से अच्छा बन जाता है। और लक्ष्य से अन्यत्र ले जानेवाला काम बुरा बन जाता है।   
    
इस्लाम में जन्नत एक लक्ष्य है। मोहम्मद पैगंबर के व्यवहार का अनुसरण करने से जन्नत मिलेगी ऐसी इस्लाम की मान्यता है। अतः उनकी तरह ही मूर्तियों को तोड़ना यह इस्लाम के लिए अच्छी बात हो जाती है। जब की मूर्ति के रूप में एक आलंबन सामने रखकर मन को परमात्मा के चिंतन में लगाने से मनुष्य मोक्ष की ओर बढ़ता है ऐसा मानने के कारण मूर्ति पूजा अच्छा काम हो जाता है।   
 
इस्लाम में जन्नत एक लक्ष्य है। मोहम्मद पैगंबर के व्यवहार का अनुसरण करने से जन्नत मिलेगी ऐसी इस्लाम की मान्यता है। अतः उनकी तरह ही मूर्तियों को तोड़ना यह इस्लाम के लिए अच्छी बात हो जाती है। जब की मूर्ति के रूप में एक आलंबन सामने रखकर मन को परमात्मा के चिंतन में लगाने से मनुष्य मोक्ष की ओर बढ़ता है ऐसा मानने के कारण मूर्ति पूजा अच्छा काम हो जाता है।   

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