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खण्ड ग्रहण के समय पृथ्वी की छाया जो चन्द्रमा पर पडती है वह गोलाई लिये होती है जिससे यह ज्ञात होता है कि पृथ्वी गोल है। पृथ्वी की जो छाया चन्द्रमा पर पडती है उसके दो भाग होते हैं। एक तो प्रच्छाया (Umbra) तथा दूसरी को उपच्छाया (Penumbra) कहते हैं। जब चन्द्रमा प्रच्छाया में प्रवेश करता है तो पूर्ण ग्रहण होता है किन्तु उपच्छाया में प्रवेश करने पर खण्ड ग्रहण ही दिखाई देता है।<ref>नन्द लाल दशोरा, [https://archive.org/details/brahmand-aur-jyotish-rahasya-nand-lal-dashora/page/1/mode/1up?view=theater ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य], सन् १९९४, रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार (पृ० १५१)।</ref>
 
खण्ड ग्रहण के समय पृथ्वी की छाया जो चन्द्रमा पर पडती है वह गोलाई लिये होती है जिससे यह ज्ञात होता है कि पृथ्वी गोल है। पृथ्वी की जो छाया चन्द्रमा पर पडती है उसके दो भाग होते हैं। एक तो प्रच्छाया (Umbra) तथा दूसरी को उपच्छाया (Penumbra) कहते हैं। जब चन्द्रमा प्रच्छाया में प्रवेश करता है तो पूर्ण ग्रहण होता है किन्तु उपच्छाया में प्रवेश करने पर खण्ड ग्रहण ही दिखाई देता है।<ref>नन्द लाल दशोरा, [https://archive.org/details/brahmand-aur-jyotish-rahasya-nand-lal-dashora/page/1/mode/1up?view=theater ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य], सन् १९९४, रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार (पृ० १५१)।</ref>
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== चंद्र ग्रहण ==
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एक खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर सूर्य की किरणें नहीं पहुँच पातीं। इस स्थिति में, पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, और यह ग्रहण का कारण बनती है। चंद्र ग्रहण का विज्ञान सरल है, लेकिन इसे समझना महत्वपूर्ण है।
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=== चंद्र ग्रहण कैसे होता है? ===
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चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी, और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसे लूनर इक्लिप्स (Lunar Eclipse) भी कहा जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के भीतर से गुजरता है, तो वह सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ग्रहण कर लेता है। यह घटना केवल पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) के समय होती है।
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=== चंद्र ग्रहण के प्रकार ===
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'''पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) -''' जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया (अम्ब्रा) के भीतर होता है, तो इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस समय, चंद्रमा का रंग नारंगी या ताम्रवर्णी हो जाता है, जिसे "ब्लड मून" भी कहा जाता है।
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# '''आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) -''' जब चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में होता है, तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इसमें चंद्रमा का एक हिस्सा अंधकारमय हो जाता है।
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# '''उपछाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse) -''' जब चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया (पेनुम्ब्रा) से होकर गुजरता है, तो इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इसमें चंद्रमा की चमक थोड़ी धुंधली हो जाती है, लेकिन यह सामान्य चंद्रमा जैसा ही दिखता है।
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=== चंद्र ग्रहण का विज्ञान ===
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* '''पृथ्वी की छाया -''' पृथ्वी की छाया दो भागों में बंटी होती है -
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*# '''अम्ब्रा -''' यह पृथ्वी की मुख्य छाया होती है, जिसमें सूर्य का प्रकाश पूरी तरह से अवरुद्ध होता है।
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*# '''पेनुम्ब्रा -''' यह पृथ्वी की बाहरी छाया होती है, जिसमें सूर्य का प्रकाश आंशिक रूप से अवरुद्ध होता है।
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'''समय और अवधि -''' चंद्र ग्रहण की अवधि चंद्रमा की गति, पृथ्वी की छाया के आकार, और चंद्रमा की कक्षा पर निर्भर करती है। एक पूर्ण चंद्र ग्रहण लगभग 1 घंटे तक रहता है, जबकि आंशिक और उपछाया ग्रहण कुछ घंटों तक चल सकते हैं।
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'''रंग परिवर्तन -''' जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, तो सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती हैं। इस प्रक्रिया में, नीली और हरी किरणें बिखर जाती हैं, जबकि लाल रंग की किरणें चंद्रमा पर पड़ती हैं। इस कारण चंद्रमा नारंगी या लाल रंग का दिखाई देता है।
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'''चंद्र ग्रहण के प्रभाव और मान्यताएं'''
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'''वैज्ञानिक दृष्टिकोण -''' चंद्र ग्रहण का कोई शारीरिक या पर्यावरणीय प्रभाव नहीं होता। यह एक प्राकृतिक घटना है, और इसे देखने में कोई हानि नहीं होती।
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'''सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं -''' विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में चंद्र ग्रहण को शुभ या अशुभ मानते हैं। कुछ लोग इसे दैवीय संकेत मानते हैं, जबकि कुछ इसे पूजा, ध्यान, और अनुष्ठान का समय मानते हैं।
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===वैज्ञानिक दृष्टिकोण में चन्द्रग्रहण===
 
===वैज्ञानिक दृष्टिकोण में चन्द्रग्रहण===
 
===चन्द्रग्रहण के नियम===
 
===चन्द्रग्रहण के नियम===
 
*चन्द्रकक्षा में स्थित पृथ्वी की छाया के केन्द्र से चन्द्रबिम्ब के केन्द्र तक जो अन्तर है, वह भूच्छाया और चन्द्रमा के व्यासार्द्ध के योग से न्यून होने से ग्रहण नहीं हो सकता है।
 
*चन्द्रकक्षा में स्थित पृथ्वी की छाया के केन्द्र से चन्द्रबिम्ब के केन्द्र तक जो अन्तर है, वह भूच्छाया और चन्द्रमा के व्यासार्द्ध के योग से न्यून होने से ग्रहण नहीं हो सकता है।
 
*पृथ्वी से चन्द्रमा जितनी दूर, भूच्छाया उसके प्रायः साढे तीन गुणा अधिक दूर विस्तृत एवं इस छाया के जिस प्रदेश में चन्द्रमा प्रवेश करता है, वह क्षेत्र चन्द्रव्यास से प्रायः तीन गुणा अधिक होता है।
 
*पृथ्वी से चन्द्रमा जितनी दूर, भूच्छाया उसके प्रायः साढे तीन गुणा अधिक दूर विस्तृत एवं इस छाया के जिस प्रदेश में चन्द्रमा प्रवेश करता है, वह क्षेत्र चन्द्रव्यास से प्रायः तीन गुणा अधिक होता है।
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== निष्कर्ष ==
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चंद्र ग्रहण का विज्ञान हमें खगोलीय घटनाओं की सटीक समझ प्रदान करता है। यह घटना खगोलीय पिंडों की कक्षाओं और उनके परस्पर संबंधों का एक सुंदर उदाहरण है। जबकि प्राचीन काल में चंद्र ग्रहण को रहस्यमय और अद्भुत माना जाता था, आज हम इसे खगोल विज्ञान के माध्यम से पूरी तरह समझ सकते हैं। यह घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
    
== उद्धरण ==
 
== उद्धरण ==
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