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==पाणिनि से पूर्ववर्ती आचार्यपरम्परा==
 
==पाणिनि से पूर्ववर्ती आचार्यपरम्परा==
 
शब्दानुशासन का प्रवचन जिन-जिन आचार्यों ने किया, उन सभी ने स्वयं के शब्दशास्त्र से सम्बद्ध प्रकृति-प्रत्ययादि के विभागों के प्रदर्शन हेतु पृथक्-पृथक् व्याकरणों की रचना की। ऐतिहासिक दृष्टि से व्याकरण का सर्वप्रथम पूर्णग्रन्थ पाणिनि की अष्टाध्यायी है जिसके ४००० सूत्रों में प्रायः ७०० वैदिक भाषा तथा उसमें निहित स्वर के विवेचन से सम्बद्ध हैं। वैदिक भाषा की तुलना संस्कृत से करते हुए पाणिनि ने तथाकथित वैदिकी प्रक्रिया के सूत्रों की रचना की थी। पाणिनि के पूर्व भी आपिशलि, काश्यप, गार्ग्य, गालव, चाक्रवर्मण, भारद्वाज, शाकटायन, शाकल्य, सेनक तथा स्फोटायन - ये दस वैयाकरण हो चुके थे जिनके नाम अष्टाध्यायी में आये हैं। इनके अतिरिक्त अन्य ग्रन्थों से १३ वैयाकरणों के नाम प्राप्त होते हैं, जो पाणिनि से पहले हो चुके थे। इनके ग्रन्थ अनुपलब्ध हैं।<ref name=":0">डॉ० उमाशंकर शर्मा 'ऋषि', [https://archive.org/details/umashankar20082020/page/n102/mode/1up?view=theater संस्कृत साहित्य का इतिहास], सन् २०१७, चौखम्बा विश्वभारती (पृ० ६६)।</ref>
 
शब्दानुशासन का प्रवचन जिन-जिन आचार्यों ने किया, उन सभी ने स्वयं के शब्दशास्त्र से सम्बद्ध प्रकृति-प्रत्ययादि के विभागों के प्रदर्शन हेतु पृथक्-पृथक् व्याकरणों की रचना की। ऐतिहासिक दृष्टि से व्याकरण का सर्वप्रथम पूर्णग्रन्थ पाणिनि की अष्टाध्यायी है जिसके ४००० सूत्रों में प्रायः ७०० वैदिक भाषा तथा उसमें निहित स्वर के विवेचन से सम्बद्ध हैं। वैदिक भाषा की तुलना संस्कृत से करते हुए पाणिनि ने तथाकथित वैदिकी प्रक्रिया के सूत्रों की रचना की थी। पाणिनि के पूर्व भी आपिशलि, काश्यप, गार्ग्य, गालव, चाक्रवर्मण, भारद्वाज, शाकटायन, शाकल्य, सेनक तथा स्फोटायन - ये दस वैयाकरण हो चुके थे जिनके नाम अष्टाध्यायी में आये हैं। इनके अतिरिक्त अन्य ग्रन्थों से १३ वैयाकरणों के नाम प्राप्त होते हैं, जो पाणिनि से पहले हो चुके थे। इनके ग्रन्थ अनुपलब्ध हैं।<ref name=":0">डॉ० उमाशंकर शर्मा 'ऋषि', [https://archive.org/details/umashankar20082020/page/n102/mode/1up?view=theater संस्कृत साहित्य का इतिहास], सन् २०१७, चौखम्बा विश्वभारती (पृ० ६६)।</ref>
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== संस्कृत व्याकरण और आधुनिक भाषा विज्ञान ==
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संस्कृत व्याकरण और आधुनिक भाषा शास्त्र (Modern Linguistics) दो महत्वपूर्ण लेकिन भिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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'''संस्कृत व्याकरण'''
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संस्कृत व्याकरण का सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली ग्रंथ पाणिनि का 'अष्टाध्यायी' है। पाणिनि (लगभग 500 ईसा पूर्व) ने संस्कृत भाषा के व्याकरण को बहुत ही वैज्ञानिक और संरचित रूप में प्रस्तुत किया।
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'''1. अष्टाध्यायी:''' यह संस्कृत के व्याकरण के 8 अध्यायों में विभाजित सूत्रों का संग्रह है। इसमें धातु (मूल शब्द), प्रत्यय (शब्द के अंत में लगने वाले उपसर्ग), संधि (शब्दों का मेल) आदि के नियम बताए गए हैं।
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'''2. धातुपाठ:''' यह एक ग्रंथ है जिसमें संस्कृत के सभी धातुओं की सूची दी गई है। ये धातु किसी भी शब्द का मूल रूप होते हैं।
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'''3. गणपाठ:''' इसमें संस्कृत के विभिन संज्ञाओं और सर्वनामों के समूहों को संकलित किया गया है।
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'''4. शिक्षा और छन्दःशास्त्र:''' यह संस्कृत के उच्चारण और छंदों के नियमों का अध्ययन है।
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संस्कृत व्याकरण को बहुत ही वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक माना जाता है, और यह एक निश्चित नियमों पर आधारित है जो सदियों से अपरिवर्तित है। इसे विश्व के सबसे प्रारंभिक और संपूर्ण व्याकरणों में से एक माना जाता है।
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'''आधुनिक भाषा शास्त्र'''
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आधुनिक भाषा शास्त्र 19वीं सदी से विकसित हुआ और इसका उद्देश्य विभिन्न भाषाओं के संरचनात्मक और कार्यात्मक पहलुओं का अध्ययन करना है।
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'''1. स्ट्रक्चरल लिंग्विस्टिक्स (Structural Linguistics):''' फर्डिनांड डी सॉसुर द्वारा प्रारंभ किया गया यह दृष्टिकोण भाषा की संरचना, जैसे ध्वन्यात्मकता (Phonology), रूपविज्ञान (Morphology), और वाक्यविज्ञान (Syntax) का अध्ययन करता है।
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'''2. नोम चॉम्स्की और जेनरेटिव व्याकरण (Generative Grammar):''' नोम चॉम्स्की ने आधुनिक भाषा शास्त्र में एक क्रांति ला दी। उन्होंने सार्वभौमिक व्याकरण (Universal Grammar) का सिद्धांत दिया, जो यह बताता है कि सभी भाषाओं की एक सामान्य आधारभूत संरचना होती है।
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'''3. समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics):''' यह भाषा और समाज के बीच के संबंधों का अध्ययन करता है। इसमें बोली, उच्चारण, भाषा परिवर्तन और समाज में भाषा की भूमिका जैसे पहलू आते हैं।
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'''4. मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics):''' यह भाषा के मानसिक और संज्ञानात्मक पहलुओं का अध्ययन करता है, जैसे भाषा सीखने की प्रक्रिया।
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'''5. कंप्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स (Computational Linguistics):''' यह भाषा के कम्प्यूटर मॉडलिंग और प्रोग्रामिंग का अध्ययन है, जैसे प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP)।
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'''संबंध और अंतर'''
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'''संस्कृत व्याकरण''' एक प्राचीन और अत्यधिक संगठित प्रणाली है जो विशिष्ट रूप से संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए बनाई गई है।
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'''आधुनिक भाषा शास्त्र''' भाषा के विभिन्न पहलुओं का व्यापक अध्ययन करता है, जो विभिन्न भाषाओं और भाषाई पैटर्नों को समझने के लिए विकसित हुआ है।
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संस्कृत व्याकरण की जटिलता और सटीकता ने आधुनिक भाषा शास्त्रियों को भी प्रभावित किया है, और कई सिद्धांतकारों ने पाणिनि के कार्यों को आधुनिक दृष्टिकोण से भी अध्ययन किया है।
    
==व्याकरण दर्शन==
 
==व्याकरण दर्शन==
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