Difference between revisions of "Vyakarana (व्याकरण)"
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Revision as of 23:22, 14 July 2024
व्याकरण शास्त्र के विवेचन को दो भागों में बाँटा जा सकता है - लौकिक व्याकरण एवं वैदिक व्याकरण। लौकिक व्याकरण में पाणिनि आदि आचार्य हैं तथा अष्टाध्यायी महाभाष्य आदि ग्रन्थ हैं। वैदिक व्याकरण में प्रातिशाख्य ग्रन्थ हैं।
परिचय
परिभाषा
जिस शास्त्र के द्वारा शब्दों के प्रकृति-प्रत्यय का विवेचन किया जाता है, उसे व्याकरण कहते हैं -
व्याक्रियन्ते विविच्यन्ते शब्दा अनेनेति व्याकरणम्।[1]
अर्थात् इसमें यह विवेचन किया जाता है कि शब्द कैसे बनता है। इसमें क्या प्रकृति है और क्या प्रत्यय लगा है। उसके अनुसार शब्द का अर्थ निश्चित किया जाता है।
व्याकरण के आचार्य
- ↑ डॉ० कपिल देव द्विवेदी, वैदिक साहित्य एवं संस्कृति, सन् २०००, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी (पृ० २००)।