भास्कराचार्य जी के वचन अनुसार -<ref>डॉ० देवी प्रसाद त्रिपाठी, [https://archive.org/details/bramhand-aur-shaurya-parivar/page/n1/mode/1up ब्रह्माण्ड और सौर परिवार], सन् २००६, परिक्रमा प्रकाशन शाहदरा, दिल्ली (पृ० १२२)।</ref>
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वर्षायनर्तुयुगपूर्वकमत्र सौरात् मासास्तथा च तिथयस्तुहिनांशुमानात्।