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| − | हमारे लिए उपयोगी पदार्थ
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| − | आप चाहे गांव में रहते हों या शहर में, आप अपने आस-पास कई प्रकार की
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| − | वस्तुएं देखते होंगे। इनमें रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें जैसे बर्तन, कपडे, | + | आप चाहे गांव में रहते हों या शहर में, आप अपने आस-पास कई प्रकार की वस्तुएं देखते होंगे। इनमें रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें जैसे बर्तन, कपडे, किताबें, खिलौने, कुर्सी, मेज, साइकिल, कार, मोबाइल आदि शामिल हैं। सच में यदि ये चीजें न हों तो हमारा रहन-सहन कैसा होगा? ये सब हमारे जीवन का ऐसा अभिन्न अंग बन चुकी हैं कि इनके बिना रहने की हम कल्पना भी नहीं कर सकते। परन्तु ये सब चीजें चुटकी बजाते ही नहीं बन गई। हालांकि आदिकाल में भी मनुष्य अपने खाने, पहनने और रहने की जरूरतें कंद-मूल, जानवरों की खाल और गुफाओं द्वारा पूरी करता था, पर तब के कष्टदायक जीवन को आज के सुविधाजनक जीवन में परिवर्तित करने में मनुष्य को हजारों-लाखों साल लगे। समय के इस लंबे सफर में मनुष्य ने जहाँ अपने आस-पास उपलब्ध प्राकृतिक पदार्थो का उपयोग सीखा, वहाँ कई नए पदार्थो का आविष्कार भी किया। भारत में हम वैदिक काल से ही विभिन्न प्रकार की धातुओं का प्रयोग पाते हैं। चाहे वह कृषि के उपकरण हों, भवन निर्माण या युद्ध के अस्त्र-शस्त्र सभी में हमें धातुओं और विभिन्न पदार्थों के प्रयोग के उदाहरण मिले है। |
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| − | किताबें, खिलौने, कुर्सी, मेज, साइकिल, कार, मोबाइल आदि शामिल हैं। सच
| + | * बिजली के लिए ऐल्युमिनियम और तांबे के तारों के प्रयोग की आवश्यकता |
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| − | में यदि ये चीजें न हों तो हमारा रहन-सहन कैसा होगा? ये सब हमारे जीवन | + | * समानव सभ्यता के एक युग का नाम धातु सभ्यता |
| | + | * कांच को विभिन्न रंगों और विभिन्न प्रकारों में बनाने की प्रकिया |
| | + | * कठोर जल में साबुन के झाग न बना पाने का कारण समझा पाएंगे; |
| | + | * पॉलिथीन का प्रभाव |
| | + | * उवर्रक और पीड़कनाशी का महत्त्व समझा सकोगे। |
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| − | का ऐसा अभिन्न अंग बन चुकी हैं कि इनके बिना रहने की हम कल्पना भी
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| − | नहीं कर सकते। परन्तु ये सब चीजें चुटकी बजाते ही नहीं बन गई। हालांकि
| + | आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। भोजन, कपडा, रहने के लिए घर, यातायात और संचार के साधन ये सब हमारी प्रमुख जरूरतें हैं। इन्हें पूरा करने के लिए हम कई प्रकार की वस्तुओं का उपयोग करते हैं जैसे भोजन को पकाने, परोसने और खाद्य पदार्थो के भंडारण के लिए हम बर्तनों का प्रयोग करते हैं। बर्तन कई प्रकार के पदार्थों से बने हो सकते हैं-जैसे धातुओं के, कांच के अथवा चीनी मिट्टी के और अब तो नॉन-स्टिक, प्लास्टिक और अन्य पदार्थो के बर्तनों का भी खूब चलन है। इसी प्रकार यदि वस्त्रों की चर्चा करें तो सूती, ऊनी, रेशमी, नाइलॉन, पॉलिएस्टर आदि से बनी मनमोहक पोशाकें हम सबका मन मोह लेती हे। |
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| − | आदिकाल में भी मनुष्य अपने खाने, पहनने और रहने की जरूरतें कंद-मूल,
| + | इसी प्रकार घरों को बनाने में मिट्टी, ईट, गारे, सीमेंट, लकडी, कांच, ऐल्युमिनियम आदि पदार्थों का उपयोग होता हे। खिड़कियों और दरवाजों को बनाने के लिए लकडी, कांच, ऐल्युमिनियम, लोहे की जाली आदि का प्रयोग करते हैं। फर्नीचर भी अधिकतर लकडी का बना होता है, परन्तु प्लास्टिक, स्टील, केन, लोहे आदि से बने फर्नीचर का भी चलन हे। सुविधा के लिए प्रयोग की जाने वाली अन्य वस्तुओं जैसे घडी, पेन, मोबइल, फ्रिज, टी.वी., कार आदि को बनाने में भी कई आधुनिक प्रकार के पदार्थो का उपयोग होता है। अतः ये सब हमारी बढ़ती जरूरतें ही थीं, जिन्होंने हमें कई प्रकार के पदार्थो से अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाने के लिए प्रेरित किया। |
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| − | जानवरों की खाल और गुफाओं द्वारा पूरी करता था, पर तब के कष्टदायक
| + | खनिज पदार्थ |
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| − | जीवन को आज के सुविधाजनक जीवन में परिवर्तित करने में मनुष्य को | + | सदियों से हम धातुओं का उपयोग करते आ रहे हैं। धातुओं का प्रयोग मानव जीवन के लिए इतना महत्त्वपूर्ण रहा है कि सभ्यताओं के युगों को धातु सभ्यताओं के नाम से जाना जाता हे-जैसे कि लौह युग, कांस्य युग आदि। |
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| − | हजारों-लाखों साल लगे। समय के इस लंबे सफर में मनुष्य ने जहाँ अपने
| + | विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के पदार्थ प्रयोग में लाए जाते हैं। लेकिन आपने सोचा कि ये सब पदार्थ कहाँ से आते हैं? जहाँ एक ओर कुछ पदार्थ खनिजों के रूप में पृथ्वी की चट्टानों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, वहाँ दूसरी ओर अनेक पदार्थ मानव द्वारा कारखानों और फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं। |
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| − | आस-पास उपलब्ध प्राकृतिक पदार्थो का उपयोग सीखा, वहाँ कई नए पदार्थो
| + | प्राकृतिक रूप से उपलब्ध खनिजों को दो भागों-धात्विक और अधात्विक में बांटा जा सकता है। धात्विक खनिजों से हमें धातुएं प्राप्त होती हैं और इन्हें खनिज अयस्क भी कहा जाता हे। भारत में 89 प्रकार के खनिज पाए जाते हें, जिनमें से 11 धात्विक हैं, 52 अधात्विक हैं, 4 ईधन खनिज हैं और 22 अन्य खनिज है। |
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| − | का आविष्कार भी किया। भारत में हम वैदिक काल से ही विभिन्न प्रकार की | + | जिन खनिजों से धातुओं को लाभप्रद ढंग से निकाला जा सकता है, उन्हें उस धातु का अयस्क कहा जाता है। कुछ प्रमुख धात्विक खनिज हैं: लोहा, तांबा, ऐल्युमिनियम, मेंगनीज और सोना |
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| − | धातुओं का प्रयोग पाते हैं। चाहे वह कृषि के उपकरण हों, भवन निर्माण या
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| − | युद्ध के अस्त्र-शस्त्र सभी में हमें धातुओं और विभिन्न पदार्थों के प्रयोग के
| + | इसी प्रकार, भारत में कुछ अधात्विक खनिज भी पाए जाते हैं। इनमें से - अभ्रक, चूना पत्थर, डोलोमाइट, जिप्सम और एसवेस्टॉस प्रमुख है। आइए, अब चित्र 2.1 में दी गई कुछ वस्तुओं को देखें और पहचानें कि इनमें से कौन सी धातुओं से बनी हैं और कौन सी अधातुओं से बनी हेै। इन वस्तुओं में से कुछ धातुओं की बनी हैं और कुछ अन्य पदार्थों की। जैसे चाकू, चम्मच, कील-पेंच, ताला-चाबी आदि अधिकतर धातुओं की बनी होती हैं। इसी तरह, रस्सी, जूते आदि प्लास्टिक या चमडे के बने होते हैं और चकला-बेलन लकडी के। सुराही-मिट्टी की बनी हो सकती है। दूसरी ओर गिलास, बोतल, बाल्टी आदि प्लास्टिक के भी बने हो सकते हैं। आइए अब धातुओं के बारे में विस्तार से जानें। |
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| − | उदाहरण मिले है।
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| − | आइए, इस पाठ में हम दैनिक उपयोग के कुछ पदार्थो के बारे में जानें।
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| − | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा
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| − | टिप्पणी
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| − | EEE)
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| − | इस पाठ को पढ़ने क॑ पश्चात् आप :
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| − | टिप्पणी
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| − | ० बिजली के लिए ऐल्युमिनियम और तांबे के तारों के प्रयोग की आवश्यकता
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| − | समझा पाएंगे;
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| − | ०९ समानव सभ्यता के एक युग का नाम धातु सभ्यता पढ्ने का कारण बता
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| − | पाएंगे;
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| − | ० कांच को विभिन्न रंगों और विभिन्न प्रकारों में बनाने की प्रकिया को बता
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| − | सकेंगे;
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| − | ० कठोर जल में साबुन के झाग न बना पाने का कारण समझा पाएंगे;
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| − | ० पॉलिथीन का प्रभाव समझा सकेंगे; और
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| − | ० उवर्रक और पीड़कनाशी का महत्त्व समझा सकोगे।
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| − | PR CLE ST
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| − | आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। भोजन, कपडा, रहने के लिए घर,
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| − | यातायात और संचार के साधन ये सब हमारी प्रमुख जरूरतें हैं। इन्हें पूरा करने
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| − | के लिए हम कई प्रकार की वस्तुओं का उपयोग करते हैं जैसे भोजन को
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| − | पकाने, परोसने और खाद्य पदार्थो के भंडारण के लिए हम बर्तनों का प्रयोग
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| − | करते हैं। बर्तन कई प्रकार के पदार्थों से बने हो सकते हैं-जैसे धातुओं के,
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| − | कांच के अथवा चीनी मिट्टी के और अब तो नॉन-स्टिक, प्लास्टिक और
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| − | अन्य पदार्थो के बर्तनों का भी खूब चलन है। इसी प्रकार यदि वस्त्रों की चर्चा
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| − | करें तो सूती, ऊनी, रेशमी, नाइलॉन, पॉलिएस्टर आदि से बनी मनमोहक
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| − | पोशाकें हम सबका मन मोह लेती हे।
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| − | विज्ञान, स्तर-'"ख”'
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| − | हमारे लिए उपयोगी पदार्थ
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| − | इसी प्रकार घरों को बनाने में मिट्टी, ईट, गारे, सीमेंट, लकडी, कांच,
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| − | ऐल्युमिनियम आदि पदार्थों का उपयोग होता हे। खिड़कियों और दरवाजों को
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| − | बनाने के लिए लकडी, कांच, ऐल्युमिनियम, लोहे की जाली आदि का प्रयोग
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| − | करते हैं। फर्नीचर भी अधिकतर लकडी का बना होता है, परन्तु प्लास्टिक,
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| − | स्टील, केन, लोहे आदि से बने फर्नीचर का भी चलन हे। सुविधा के लिए
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| − | प्रयोग की जाने वाली अन्य वस्तुओं जैसे घडी, पेन, मोबइल, फ्रिज, टी.वी.,
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| − | कार आदि को बनाने में भी कई आधुनिक प्रकार के पदार्थो का उपयोग होता
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| − | है। अतः ये सब हमारी बढ़ती जरूरतें ही थीं, जिन्होंने हमें कई प्रकार के
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| − | पदार्थो से अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाने के लिए प्रेरित किया।
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| − | 2.2 खनिज पदार्थ
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| − | सदियों से हम धातुओं का उपयोग करते आ रहे हैं। धातुओं का प्रयोग मानव
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| − | जीवन के लिए इतना महत्त्वपूर्ण रहा है कि सभ्यताओं के युगों को धातु
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| − | सभ्यताओं के नाम से जाना जाता हे-जैसे कि लौह युग, कांस्य युग आदि।
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| − | विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के पदार्थ प्रयोग
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| − | में लाए जाते हैं। लेकिन आपने सोचा कि ये सब पदार्थ कहाँ से आते हैं? जहाँ
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| − | एक ओर कुछ पदार्थ खनिजों के रूप में पृथ्वी की चट्टानों में प्राकृतिक रूप
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| − | से पाए जाते हैं, वहाँ दूसरी ओर अनेक पदार्थ मानव द्वारा कारखानों और
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| − | फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं।
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| − | प्राकृतिक रूप से उपलब्ध खनिजों को दो भागों-धात्विक और अधात्विक में
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| − | बांटा जा सकता है। धात्विक खनिजों से हमें धातुएं प्राप्त होती हैं और इन्हें
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| − | खनिज अयस्क भी कहा जाता हे। भारत में 89 प्रकार के खनिज पाए जाते हें,
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| − | जिनमें से 11 धात्विक हैं, 52 अधात्विक हैं, 4 ईधन खनिज हैं और 22 अन्य
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| − | खनिज है।
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| − | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा
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| − | आइए, सबसे पहले धात्विक खनिजों के बारे में जानें। जिन खनिजों से धातुओं
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| − | को लाभप्रद ढंग से निकाला जा सकता है, उन्हें उस धातु का अयस्क कहा
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| − | जाता है। कुछ प्रमुख धात्विक खनिज हैं:
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| − | लोहा, तांबा, ऐल्युमिनियम, मेंगनीज और सोना
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| − | इसी प्रकार, भारत में कुछ अधात्विक खनिज भी पाए जाते हैं। इनमें से - | |
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| − | अभ्रक, चूना पत्थर, डोलोमाइट, जिप्सम और एसवेस्टॉस प्रमुख है। | |
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| − | आइए, अब चित्र 2.1 में दी गई कुछ वस्तुओं को देखें और पहचानें कि इनमें | |
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| − | से कौन सी धातुओं से बनी हैं और कौन सी अधातुओं से बनी हेै। | |
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| − | इन वस्तुओं में से कुछ धातुओं की बनी हैं और कुछ अन्य पदार्थों की। जैसे | |
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| − | चाकू, चम्मच, कील-पेंच, ताला-चाबी आदि अधिकतर धातुओं की बनी होती | |
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| − | हैं। इसी तरह, रस्सी, जूते आदि प्लास्टिक या चमडे के बने होते हैं और | |
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| − | चकला-बेलन लकडी के। सुराही-मिट्टी की बनी हो सकती है। दूसरी ओर | |
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| − | हमारे लिए उपयोगी पदार्थ
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| − | गिलास, बोतल, बाल्टी आदि प्लास्टिक के भी बने हो सकते हैं। आइए अब | |
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| − | धातुओं के बारे में विस्तार से जानें। | |
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| | धातुओं के गुण | | धातुओं के गुण |
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| − | अभी हमने जो भी कहा वह अपने दैनिक अनुभव और जानकारी के आधार | + | अभी हमने जो भी कहा वह अपने दैनिक अनुभव और जानकारी के आधार पर कहा। परन्तु धात्विक पदार्थो को उनके भौतिक गुणों के आधार पर दूसरे पदार्थो से भिन्न किया जा सकता है और उनको पहचान की जा सकती हे। ये गुण इस प्रकार हैं : |
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| − | पर कहा। परन्तु धात्विक पदार्थो को उनके भौतिक गुणों के आधार पर दूसरे | |
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| − | पदार्थो से भिन्न किया जा सकता है और उनको पहचान की जा सकती हे। ये | |
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| − | गुण इस प्रकार हैं : | |
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| − | (क) भौतिक गुण
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| − | 1.
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| − | 2.
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| − | धातुएं चमकोली होती हैं और उनकी एक खास धात्विक चमक होती हे।
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| − | धातुएं कठोर होती हैं, परन्तु सोडियम, मैग्नीशियम धातुएं अपवाद हैं और
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| − | उन्हें आसानी से चाकू द्वारा काटा जा सकता है।
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| − | धातुओं को पीट-पीट कर उनकी पतली चादरें बनाई जा सकती है।
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| − | ऐल्यूमिनियम की पतली पन्नी का उपयोग चाकलेट और औषधियों को
| + | भौतिक गुण |
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| − | लपेटने और खाने की वस्तुओं को गर्म और ताजा रखने के लिए किया | + | * धातुएं चमकोली होती हैं और उनकी एक खास धात्विक चमक होती हे। |
| | + | * धातुएं कठोर होती हैं, परन्तु सोडियम, मैग्नीशियम धातुएं अपवाद हैं और उन्हें आसानी से चाकू द्वारा काटा जा सकता है। |
| | + | * धातुओं को पीट-पीट कर उनकी पतली चादरें बनाई जा सकती है। |
| | + | * ऐल्यूमिनियम की पतली पन्नी का उपयोग चाकलेट और औषधियों को लपेटने और खाने की वस्तुओं को गर्म और ताजा रखने के लिए किया जाता है। |
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| − | जाता है।
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