| # '''मास॥''' '''month-''' ऋतु से ठीक छोटा कालमान मास है। पञ्च वर्षीय युग के प्रारम्भ में माघ मास तथा समाप्ति पर पौष मास का निर्देश वेदाङ्गज्योतिष में किया गया है। मासों की संख्या बारह है- माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष तथा पौष। | | # '''मास॥''' '''month-''' ऋतु से ठीक छोटा कालमान मास है। पञ्च वर्षीय युग के प्रारम्भ में माघ मास तथा समाप्ति पर पौष मास का निर्देश वेदाङ्गज्योतिष में किया गया है। मासों की संख्या बारह है- माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष तथा पौष। |
− | # '''तिथि॥ Tithi-''' शास्त्रों में दो प्रकार की तिथियॉं प्रचलित हैं। सौर तिथि एवं चान्द्र तिथि। सूर्य की गति के अनुसार मान्य तिथि को सौर तिथि तथा चन्द्रगति के अनुसार मान्य तिथि को चान्द्र तिथि कहते हैं। | + | # '''[[Tithi (तिथि)|तिथि॥ Tithi]]-''' शास्त्रों में दो प्रकार की तिथियॉं प्रचलित हैं। सौर तिथि एवं चान्द्र तिथि। सूर्य की गति के अनुसार मान्य तिथि को सौर तिथि तथा चन्द्रगति के अनुसार मान्य तिथि को चान्द्र तिथि कहते हैं। |
| # '''वार॥ Day-''' वार शब्द का अर्थ है अवसर अर्थात् नियमानुसार प्राप्त समय होता है। तदनुसार वार शब्द का प्रकृत अर्थ यह होता है कि जो अहोरात्र (सूर्योदय से सूर्योदय होने ) पर्यन्त जिसकी स्थिति होती है उसे वार कहते हैं। | | # '''वार॥ Day-''' वार शब्द का अर्थ है अवसर अर्थात् नियमानुसार प्राप्त समय होता है। तदनुसार वार शब्द का प्रकृत अर्थ यह होता है कि जो अहोरात्र (सूर्योदय से सूर्योदय होने ) पर्यन्त जिसकी स्थिति होती है उसे वार कहते हैं। |