Difference between revisions of "Sandhi (सन्धिः)"
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० सुध्युपास्यः | ० सुध्युपास्यः | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. गुरु आदेश 1. इति एव | 1. गुरु आदेश 1. इति एव | ||
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4. मात्रिच्छा 4. उपर्युपरि | 4. मात्रिच्छा 4. उपर्युपरि | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. धातृ उपदेशः 1.इव उपकारः | 1. धातृ उपदेशः 1.इव उपकारः | ||
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० औ -> आव् | ० औ -> आव् | ||
− | ==== | + | ==== Application of एचोऽयवायावः ==== |
० चे अन | ० चे अन | ||
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० चयन | ० चयन | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. फले इच्छा 1. नै अक | 1. फले इच्छा 1. नै अक | ||
Line 132: | Line 132: | ||
4. वायववरुणद्धि 4. कयेते | 4. वायववरुणद्धि 4. कयेते | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. लौ अक 1. ये एते | 1. लौ अक 1. ये एते | ||
Line 185: | Line 185: | ||
'''अ अच् => एकः गुणः''' | '''अ अच् => एकः गुणः''' | ||
− | ==== | + | ==== Application of आद्गुण: ==== |
० भास्कर उदयः | ० भास्कर उदयः | ||
Line 194: | Line 194: | ||
० भास्करोदयः | ० भास्करोदयः | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. न इच्छति 1. सुलभ उपायः | 1. न इच्छति 1. सुलभ उपायः | ||
Line 211: | Line 211: | ||
4. पतेव 4. महोत्सवः | 4. पतेव 4. महोत्सवः | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. रमा ईशः 1. मकर ऊर्जित | 1. रमा ईशः 1. मकर ऊर्जित | ||
Line 220: | Line 220: | ||
4. रेमेशः 4. मकरोर्जित | 4. रेमेशः 4. मकरोर्जित | ||
− | === | + | === ऋ - स्थाने आदेश === |
० सप्त ऋषिः | ० सप्त ऋषिः | ||
Line 253: | Line 253: | ||
० सप्तर्षिः | ० सप्तर्षिः | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. ब्रह्म ऋषिः 1. अधम ऋणं | 1. ब्रह्म ऋषिः 1. अधम ऋणं | ||
Line 270: | Line 270: | ||
4. वसन्तर्तुः 4. उत्तमर्णम् | 4. वसन्तर्तुः 4. उत्तमर्णम् | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. राज ऋषिः 1. यथा इष्टं | 1. राज ऋषिः 1. यथा इष्टं | ||
Line 287: | Line 287: | ||
4. वेदर्षिः 4. शरदृतुः | 4. वेदर्षिः 4. शरदृतुः | ||
− | === | + | === वृद्धिरादैच् (१-१-१) === |
वृद्धिः आत् ऐच् | वृद्धिः आत् ऐच् | ||
Line 298: | Line 298: | ||
० वृद्धि = { आ ऐ औ } | ० वृद्धि = { आ ऐ औ } | ||
− | === | + | === वृद्धिरेचि (६-१-८८) === |
वृद्धिः एचि | वृद्धिः एचि | ||
Line 325: | Line 325: | ||
'''अ एच् => एकः वृद्धिः''' | '''अ एच् => एकः वृद्धिः''' | ||
− | ==== | + | ==== Application of वृद्धिरेचि ==== |
० मम एव | ० मम एव | ||
Line 334: | Line 334: | ||
० ममैव | ० ममैव | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. तस्य ऐक्यम् 1. तव ओजः | 1. तस्य ऐक्यम् 1. तव ओजः | ||
Line 351: | Line 351: | ||
4. छात्रौत्सुक्यम् 4. तदैकम् | 4. छात्रौत्सुक्यम् 4. तदैकम् | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. रक्त ओदनः 1. यथा औषधम् | 1. रक्त ओदनः 1. यथा औषधम् | ||
Line 360: | Line 360: | ||
4. रक्तौदनः 4. यथौषधम् | 4. रक्तौदनः 4. यथौषधम् | ||
− | === | + | === अकः सर्वर्णे दीर्घः (६-१-१०१) === |
अकः सवर्णे दीर्घः | अकः सवर्णे दीर्घः | ||
Line 377: | Line 377: | ||
'''अक् सवर्ण-अच् => एकः दीर्घः''' | '''अक् सवर्ण-अच् => एकः दीर्घः''' | ||
− | ==== | + | ==== Application of अकः स्वर्णे दीर्घः ==== |
० देव आलयः | ० देव आलयः | ||
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० देवालयः | ० देवालयः | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. अपि इदम् 1. कटु उक्तिः | 1. अपि इदम् 1. कटु उक्तिः | ||
Line 404: | Line 404: | ||
4. मातॄणम् 4. तथापि | 4. मातॄणम् 4. तथापि | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. कवि ईश्वरः 1. गुरु उपदेशः | 1. कवि ईश्वरः 1. गुरु उपदेशः | ||
Line 413: | Line 413: | ||
4. कवीश्वरः 4. गरूपदेशः | 4. कवीश्वरः 4. गरूपदेशः | ||
− | === | + | === एङ: पदान्तादति (६-१-१०९) === |
एङः पदान्तात् अति | एङः पदान्तात् अति | ||
Line 430: | Line 430: | ||
'''पदान्त-एङ् अत् => एकः पूर्वः''' | '''पदान्त-एङ् अत् => एकः पूर्वः''' | ||
− | ==== | + | ==== Application of एङः पदान्तादति ==== |
० वायो अत्र | ० वायो अत्र | ||
Line 439: | Line 439: | ||
० वायोत्र (वायोऽत्र) | ० वायोत्र (वायोऽत्र) | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास I ==== |
1. अग्ने अत्र 1. अहो आगच्छ | 1. अग्ने अत्र 1. अहो आगच्छ | ||
Line 457: | Line 457: | ||
4. कोऽपि 4. अन्तेऽस्ति | 4. कोऽपि 4. अन्तेऽस्ति | ||
− | ==== | + | ==== अभ्यास II ==== |
1. अधो अधः 1. यशसे अर्थाय | 1. अधो अधः 1. यशसे अर्थाय | ||
Line 1,140: | Line 1,140: | ||
4. डयमानन्नभःस्थं / डयमानं नभःस्थं 4. नभःस्थम्पुरुषः / नभःस्थं पुरुषः | 4. डयमानन्नभःस्थं / डयमानं नभःस्थं 4. नभःस्थम्पुरुषः / नभःस्थं पुरुषः | ||
− | + | ==== अभ्यास II ==== | |
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1. सं वत्सरः 1.सं यन्ता | 1. सं वत्सरः 1.सं यन्ता | ||
Revision as of 14:55, 7 September 2022
अच्-सन्धिः
इको यणचि (६-१-७७)
इकः यण् अचि
० इकः = इक् शब्द - षष्ठी विभक्ति
स्थानी (षष्ठी स्थाने योगा - १ -१-४९)
० यण् - यण् शब्द - प्रथमा विभक्ति ।
आदेश
० अचि - अच्-शब्द - सप्तमी विभक्ति ।
परनिमित्तम् (तस्मिन्निति निर्दिष्टे पूर्वस्य १-१-६६)
० इक्? यण्? अच्?
इक् = इ उ ऋ लृ
यण् = य् व् र् ल्
अच् = अ इ उ ऋ लृ ए ऐ ओ औ
इक् अच् => यण् अच्
Application of इको यणचि
० सुधी उपास्यः
० सुध्+ ई उ + पास्यः (ई ϵ इक्, उ ϵ अच्)
० सुध्+ यण् = {य् व् र् ल्} उ + पास्यः
सुध् + य् उ + पास्यः
० सुध्युपास्यः
अभ्यास I
1. गुरु आदेश 1. इति एव
2. 2.
3. 3.
4. गुर्वादेशः 4. इत्येव
1. मातृ इच्छा 1. उपरि उपरि
2. 2.
3. 3.
4. मात्रिच्छा 4. उपर्युपरि
अभ्यास II
1. धातृ उपदेशः 1.इव उपकारः
2. 2.
3. 3.
4. धात्रुपदेशः 4. इव उपकारः - इक् नास्ति
1. अश्रु आक्रान्तः 1. शतानि अपि
2. 2
3. 3
4. अश्र्वाक्रान्तः 4. शतान्यपि
एचोऽयवायावः (६-१-७८)
एचः अयवायावः
० एचः = एच् शब्द - षष्ठी विभक्ति
स्थानी (षष्ठी स्थाने योगा - १ -१-४९)
० अयवायावः - अयवायाव्-शब्द - प्रथमा विभक्ति ।
आदेश
० एच् =? अयवायाव = अय् अव् आय् आव्
एच् = ए ओ ऐ औ
० Is sutra complete?
० अनुवृत्ति of अचि from इको यणचि
अचि - अच्-शब्द - सप्तमी विभक्ति ।
परनिमित्तम् (तस्मिन्निति निर्दिष्टे पूर्वस्य १-१-६६)
एच् अच् => {अय् अव् आय् आव्} अच्
एच् = ए ओ ऐ औ । अयवायाव = अय् अव् आय् आव् ।
० ए -> अय्
० ओ -> अव्
० ऐ-> आय्
० औ -> आव्
Application of एचोऽयवायावः
० चे अन
० च् ए अन (ए ϵ एच्, अ ϵ अच्)
० च् अय् अन
० चयन
अभ्यास I
1. फले इच्छा 1. नै अक
2 2
3. 3.
4. फलयिच्छा 4. नायक
1. वायो अवरुणद्धि 1. के एते
2. 2.
3. 3.
4. वायववरुणद्धि 4. कयेते
अभ्यास II
1. लौ अक 1. ये एते
2. 2.
3. 3.
4. लावक 4. ययेते
1. तस्मै अस्तु 1. गुरो ए
2. 2.
3. 3.
4. तस्मायस्तु 4. गुरवे
अदेङ् गुणः (१-१-२)
० अत् and एङ् are named as गुण. गुण is a संज्ञा
० अत् - only हस्व Variations of अ
० एङ् = प्रत्याहार = ए, ओ
० गुण = { अ ए ओ }
आद् गुणः (६-१-८७)
आत् गुणः
० आत् = अ-शब्द पञ्चमी विभक्ति
पूर्वनिमित्तम् (तस्मादित्युत्तरस्य (१-१-६७))
० गुणः - गुण-शब्द {अ ए ओ} - प्रथमा विभक्ति ।
आदेश
० अधिकारः - एकः पूर्वपरयोः
पूर्वपरयोः - पूर्व-पर-शब्द - षष्ठी विभक्ति
स्थानी (षष्ठी स्थाने योगा - १ -१-४९)
० Is sutra complete?
० अनुवृत्ति of अचि from इको यणचि
० अचि - अच्-शब्द - सप्तमी विभक्ति ।
परनिमित्तम् (तस्मिन्निति निर्दिष्टे पूर्वस्य १-१-६६)
अ अच् => एकः गुणः
Application of आद्गुण:
० भास्कर उदयः
० भास्कर् अ उ दयः (अ ∊ अ-वर्ण , उ ∊ अच्)
० भास्कर् ओ दयः
० भास्करोदयः
अभ्यास I
1. न इच्छति 1. सुलभ उपायः
2. 2.
3. 3.
4. नेच्छति 4. सुलभोपायः
1. पिता इव 1. महा उत्सवः
2. 2.
3. 3.
4. पतेव 4. महोत्सवः
अभ्यास II
1. रमा ईशः 1. मकर ऊर्जित
2. 2.
3. 3.
4. रेमेशः 4. मकरोर्जित
ऋ - स्थाने आदेश
० सप्त ऋषिः
० सप्त् अ ऋ षिः (अ∊ अ ,ऋ ∊ अच्)
० सप्त्? षिः { गुणः (अ ए ओ) ?? }
उरण् रपरः (१-१-५१)
उ: अण् रपरः
उः - ऋ-शब्द , षष्ठी विभक्ति
अण् - प्रथमा विभक्ति
रपरः = The one that has र् next to it is called रपर
The अण् {अ इ उ} which comes as आदेश in place of ऋ will come
with र् next to it. ie, अर् आर् इर् ईर् उर् ऊर्
ऋ - स्थाने आदेश
० सप्त ऋषिः
० सप्त अ ऋ षिः (अ ∊ अ ,ऋ ∊ अच्)
० सप्त्? षिः { गुणः (अ ए ओ) ?? }
० सप्त् अर् षिः
० सप्तर्षिः
अभ्यास I
1. ब्रह्म ऋषिः 1. अधम ऋणं
2. 2.
3. 3.
4. ब्रह्मर्षिः 4. अधमर्णम्
1. वसन्त ऋतुः 1. उत्तम ऋणं
2. 2.
3. 3.
4. वसन्तर्तुः 4. उत्तमर्णम्
अभ्यास II
1. राज ऋषिः 1. यथा इष्टं
2. 2.
3. 3.
4. राजर्षिः 4. यथेष्टम्
1. वेद ऋषिः 1. शरद् ऋतुः
2. 2.
3. 3.
4. वेदर्षिः 4. शरदृतुः
वृद्धिरादैच् (१-१-१)
वृद्धिः आत् ऐच्
० आत् and ऐच् are named as वृद्धि. वृद्धि is a संज्ञा
० आत् - only दीर्घ variations of अ i.e आ (6 Variations)
० ऐच् is प्रत्याहार => ऐ , औ
० वृद्धि = { आ ऐ औ }
वृद्धिरेचि (६-१-८८)
वृद्धिः एचि
० वृद्धिः - वृद्धि-शब्द - प्रथमा विभक्ति । - {आ ऐ औ}
आदेश
० एचि - एच्-शब्द - सप्तमी विभक्ति । {ए ओ ऐ औ}
परनिमित्तम् (तस्मिन्निति निर्दिष्टे पूर्वस्य १-१-६६)
० अधिकार - एकः पूर्वपरयोः
पूर्वपरयोः - पूर्व-पर-शब्द - षष्ठी विभक्ति
स्थानी (षष्ठी स्थाने योगा - १ -१-४९)
० Is sutra complete ?
० आत् अनुवृत्ति from आद्गुणः
आत् = अ-शब्द पञ्चमी विभक्ति
पूर्वनिमित्तम् (तस्मादित्युत्तरस्य (१-१-६७))
अ एच् => एकः वृद्धिः
Application of वृद्धिरेचि
० मम एव
० मम् अ ए व (अ∊ अ , ए ∊ एच्)
० मम् ऐ व {वृद्धिः (आ ऐ औ) ?? }
० ममैव
अभ्यास I
1. तस्य ऐक्यम् 1. तव ओजः
2. 2.
3. 3.
4. तस्यैक्यम् 4 तवौजः
1. छात्र औत्सुक्यम् 1. तदा एकम्
2. 2.
3. 3.
4. छात्रौत्सुक्यम् 4. तदैकम्
अभ्यास II
1. रक्त ओदनः 1. यथा औषधम्
2. 2.
3. 3.
4. रक्तौदनः 4. यथौषधम्
अकः सर्वर्णे दीर्घः (६-१-१०१)
अकः सवर्णे दीर्घः
० अकः - अक्-शब्द पञ्चमी विभक्ति
० सवर्णे - सवर्ण-शब्द सप्तमी विभक्ति
० दीर्घः - दीर्घ-शब्द प्रथमा विभक्ति
० अधिकारः - एकः पूर्वपरयोः
० अनुवृत्तिः अवश्यं वा ?
० अचि - अच्-सप्तमी विभक्ति
अक् सवर्ण-अच् => एकः दीर्घः
Application of अकः स्वर्णे दीर्घः
० देव आलयः
० देव् अ आ लयः (अ ∈ अक् , आ ∈ अच्, आ is सवर्ण to अ )
० देव् आ लयः {दीर्घः (आ ई ऊ ऋ ए ऐ ओ औ) ??}
० देवालयः
अभ्यास I
1. अपि इदम् 1. कटु उक्तिः
2. 2.
3. 3.
4. अपीदम् 4. अपीदम्
1. मातृ ऋणम् 1. तथा अपि
2. 2.
3. 3.
4. मातॄणम् 4. तथापि
अभ्यास II
1. कवि ईश्वरः 1. गुरु उपदेशः
2. 2.
3. 3.
4. कवीश्वरः 4. गरूपदेशः
एङ: पदान्तादति (६-१-१०९)
एङः पदान्तात् अति
० एङः - एङ्-शब्द पञ्चमी विभक्ति
० पदान्तात् - पदान्तात्-शब्द पञ्चमी विभक्ति
० अति - अत्-शब्द सप्तमी विभक्ति
० अधिकारः - एकः पूर्वपरयोः
० अनुवृत्तिः अवश्यं वा ?
० पूर्वः - पूर्व-शब्द प्रथमा विभक्ति
पदान्त-एङ् अत् => एकः पूर्वः
Application of एङः पदान्तादति
० वायो अत्र
० वाय् ओ अ त्र (ओ ∊ एङ् (पदान्त) , अ ∊ अत्)
० वाय् ओ त्र {पूर्वः (ओ)}
० वायोत्र (वायोऽत्र)
अभ्यास I
1. अग्ने अत्र 1. अहो आगच्छ
2. 2.
3. 3.
4. अग्नेऽत्र 4. ??
1. को अपि 1. अन्ते अस्ति
2. 2.
3. 3.
4. कोऽपि 4. अन्तेऽस्ति
अभ्यास II
1. अधो अधः 1. यशसे अर्थाय
2. 2.
3. 3.
4. अधोऽधः 4. अधोऽधः
हल्-सन्धिः ॥
० हल्-सन्धिः
० We have seen अच्-सन्धिः ie., when two अच्-वर्णऽ are next to each other, some transformation happens.
० Similarly when two हल्-वर्णऽ are next to each other or sometimes हल् and अच् the transformation that happens is called हल्-सन्धि
Eg :
तत् + टीका => तट्टीका
तस्मिन् + इति => तस्मिन्निति
स्तोः श्चुना श्चुः (८/४/४०)
स्तोः श्युना श्चुः
० स्तोः = स्तुँ-शब्द- षष्ठी विभक्ति
स्थानी
० श्चुना - श्चुँ-शब्द - तृतीया विभक्ति ।
Meaning of तृतीया-विभक्ति here is association. That means it can be either पूर्व or पर to स्थानी
० श्चु: - श्चुँ-शब्द - प्रथमा विभक्ति ।
आदेशः
० अनुवृत्तिः -?
<श्चुँ> स्तुँ <श्चुँ> => <श्चुँ >श्चुँ <श्चुँ>
Application of स्तोः श्चुना श्चु:
० यतस् च
० यत स् च् अ
० यत श् च् अ
० यतश्च
० यज् न
० य ज् न् अ
० य ज् ञ् अ
० यज्ञ
अभ्यास I
1. वृक्षस छादयति 1. गुणिन् जयति
2. 2.
3. 3.
4. वृक्षश्छादयति 4. गुणिञ्जयति
1. देवस् शेते 1. तद् जानाति
2. 2.
3. 3.
4. देवश्शेते 4. तज्जानाति
अभ्यास II
1. विद्वान् ज्ञातुम् 1. सोमसुत् चिनोति
2. 2.
3. 3.
4. विद्वाञ्ज्ञातुम् 4. सोमसुच्चिनोति
1.राज् न 1. तद् ज्ञात्वा
2. 2.
3. 3.
4. राज्ञ 4. तज्ज्ञात्वा
ष्टुना ष्टुः (८/४/४१)
ष्टुना ष्टुः
० ष्टुना - ष्टुँ- तृतीया विभक्ति ।
Meaning of तृतीया-विभक्ति here is association. That means it can be either पूर्व or पर to स्थानी
० ष्टुः - ष्टुँ- प्रथमा विभक्ति ।
आदेशः
० अनुवृत्तिः -?
० स्तोः = स्तुँ-शब्द- षष्ठी विभक्ति
स्थानी (षष्ठी स्थाने योगा - १ -१-४९)
<ष्टुँ> स्तुँ <ष्टुँ> =>< ष्टुँ> ष्टुँ< ष्टुँ>
Application of ष्टुना ष्टुः
० तत् टीका
० त त् ट् ईका
० त ट् ट् ईका
० तट्टीका
० इष् तम्
० इ ष् त् अम्
० इ ष् ट् अम्
० इष्टम्
अभ्यास I
1. वृक्षस् टीकते 1. पेष् ता
2. 2.
3. 3.
4. वृक्षष्टीकते 4. पुष्टा
1. अग्निचित् टीकते 1. इष् तवत्
2. 2.
3. 3.
4. अग्निचिट्टीकते 4. इष्टवत्
अभ्यास II
1. अग्निचिन् णकारः 1. असकृद् डयनम्
2. 2.
3. 3.
4. अग्निचिण्णकारः 4. असकृड्डयनम्
1. तद् ढक्का 1. नष् तम्
2. 2.
3. 3.
4. तढ्ढक्का 4. नष्टम्
न पदान्ताट्टोरनाम् (८-४-४२)
न पदान्तात् टोः अनाम्
This is a निषेध-सुत्र, prohibits the above mentioned आदेश in specific cases.
० टोः - टुँ - पञ्चमी विभक्ति
० अनाम् (अत्र षष्टी विभक्ति) - नाम् वर्जयित्वा
० न - अव्ययम्
० अनुवृत्तिः -?
० स्तोः - स्तुँ - षष्ठी विभक्ति
पदान्त- टुँ स्तुँ=> टुँ स्तुँ
Application of न पदान्ताट्टोरनाम्
० श्वलिट् साये
० श्वलि ट् स् आये
० श्वलि ट् स् आये
० श्वलिट् साये
० षट् नाम्
० ष ट् न् आम्
० ष ट् ण् आम्
० ष ण् ण् आम्
० षण्णाम्
तोः षि (८-४-४३)
तोः षि
० तोः - तुँ- षष्ठी विभक्ति
० षि - ष् - सप्तमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः - ?
० न - अव्ययम्
तुँ ष् => तुँ ष्
Application of तोः षि
० सन् षष्ठः
० स न् ष् ष्ठः
० स न् ष् ष्ठः
० सन्षष्ठः
शात् (८-४-४४)
० शात् - श - पञ्चमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः -?
० न - अव्ययम्
० तोः - तुँ - षष्ठी विभक्ति
श् तुँ => श् तुँ
० प्रश् न
० प्र श् न् अ
० प्र श् न् अ
० प्रश्न
यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा (८-४-४५)
यरः अनुनसासिके अनुनासिकः वा
० यरः - यर् - षष्ठी विभक्ति
० अनुनासिके - अनुनासिक - सप्तमी विभक्ति
अनुनासिक-वर्णाः - ङ् ञ् ण् न् म् यँ वँ लँ
० अनुनासिकः - अनुनासिक - प्रथमा विभक्ति
० वा - अव्ययम्
० अनुवृत्तिः - ?
० पदान्तस्य (यरः विशेषणम् )
यर् अनुनासिक => अनुनासिक/यर् अनुनासिक
Application of यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा
० वाग् नयति
० वा ग् न् अयति
० वा ङ् न् अयति / वा ग् न् अयति
० वाङ्नयति / वाग्नयति
अभ्यास I
1. सुहृद् मित्रम् 1. वाग् मयम्
2. 2.
3. 3.
4. सुहृन्मित्रम् / सुहृद् मित्रम् 4. वाङ्मयम् / वाग् मयम्
1. वाग् नियमः 1. तद् मङ्गलम्
2. 2.
3. 3.
4. वाङ्नियमः / वाग् नियमः 4. तन्मङ्लम् / तद् मङ्गलम्
अभ्यास II
1.अनादित्वात् निर्गुणत्वात् 1. षड् मुखः
2. 2.
3. 3.
4. अनादित्वान्निर्गुणत्वात् / अनादित्वात् निर्गुणत्वात् 4. षण्मुखः / षड् मुखः
1. जगद् नाथः 1. तत् मित्रम्
2. 2.
3. 3.
4. जगन्नाथः / जगत् नाथः 4. तन्मित्रम् /तत् मित्रम्
झलां जशोऽन्ते (८-२-३९)
झलां जशः अन्ते
० झलां - झल् - षष्ठी विभक्ति
० जशः - जश् - प्रथमा विभक्ति
० अन्ते - अन्त - सप्तमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः - ?
झल् => जश्
Application of झलां जशोऽन्ते
० वाक् अत्र
० वा क् अत्र
० वा ग् अत्र
० वागत्र
अभ्यास I
1. अग्निचित् अत्र 1. त्रिष्टुप् इव
2. 2.
3. 3.
4. अग्निचिदत्र 4. त्रिष्टुबिव
1. उत् गम 1. तत् यथा
2. 2.
3. 3.
4. उद्गमः 4. तद्यथा
अभ्यास II
1. षष् दर्शनानि 1.प्राक् एव
2. 2.
3. 3.
4. षड्दर्शनानि 4. प्रागेव
1. षष् विधम् 1. सत् आचारः
2. 2.
3. 3.
4. षड्विधम् 4. सदाचारः
झलां जश् झशि (८-४-५३)
० झलां - झल् - षष्टी विभक्ति
० जश्- जश्- प्रथमा विभक्ति
० झशि - झश्- सप्तमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः -?
झल् झश् => जश् झश्
Application of झलां जश् झशि
० लभ् धुम्
० ल भ् ध् उम्
० ल ब् ध् उम्
० लब्धुम्
अभ्यास I
1. दोघ् धा 1. बोध् धुम्
2. 2.
3. 3.
4. दोग्धा 4. बोद्धुम्
1. लभ् धव्यम् 1. प्रतिपत् चन्द्रः
2. 2.
3. 3.
4. लब्ध्व्यम् 4.
खरि च (८-४-५५)
० खरि - खर् - सप्तमी विभक्ति
० च - अव्ययम्
० अनुवृत्तिः - ?
० झलां - झल् - षष्ठी विभक्ति
० चर् - चर् - प्रथमा विभक्ति
झल् खर् => चर् खर्
Application of खरि च
० अस्मद् पुत्रः
० अस्म द् प् उत्रः
० अस्म त् प् उत्रः
० अस्मत्पुत्रः
अभ्यास I
1. तद् कर्म 1. एतद् फलम्
2. 2.
3. 3.
4. तत्कर्म 4. एतत्फलम्
1. तादृग् चेष्टा 1. तद् तस्मात्
2. 2.
3. 3.
4. तादृक्चेष्टा 4. तत्तस्मात्
अभ्यास II
1.उद् खननम् 1. कियद् धनम्
2. 2.
3. 3.
4. उत्खननम् 4.
1.तद् थकारः 1.षड् खादति
2. 2.
3. 3.
4. तत्थकारः 4. षट्खादति
वा अवसाने (८-४-५६)
० वा - अव्ययम् - optional
० अवसाने - अवसान - सप्तमी विभक्ति
विरामो अवसानम् - End
० अनुवृत्तिः -?
० झलां - झल् - षष्ठी विभक्ति
० चर् - चर् - प्रथमा विभक्ति
झल् NOTHING => चर् /झल्
Application of वा अवसाने
० वाग्
० वा ग्
० वा क् / वा ग्
० वाक् / वाग्
अभ्यास I
1. षड् 1.प्राग्
2. 2.
3. 3.
4. षट् / षड् 4. प्राक् / प्राग्
1. एतद् 1.राड्
2. 2.
3. 3.
4. एतत् / एतद् 4. राट् / राड्
अभ्यास II
1. त्वग् 1.जगद्
2. 2.
3. 3.
4. त्वक् / त्वग् 4. जगत् / जगद्
1. अज् 1.रामाद्
2. 2.
3. 3.
4. अच् / अज् 4. रामात् / रामाद्
Make a Sutra with the data
सत्यम् वद = सत्यं वद । धर्मम् चर = धर्मं चर । पुरस्तकम् पश्यति = पुस्तकं पश्यति । शालायाम् अस्ति = शालायाम् अस्ति । कथाम् कथयति = कथां कथयति । मधुरम् इच्छति = मधुरम् इच्छति । हस्तम् गृह्णाति = हस्तं गृह्णाति । राज्ञाम् ऐश्वर्यम् = राज्ञाम् ऐश्वर्यम् । प्रश्नम् लिखति = प्रश्नं लिखति । सत्यम् ऋतम् = सत्यम् ऋतम् । गृहम् ददाति = गृहं ददाति । धनम् आनयति = धनम् आनयति । पद्यम् श्रृणोति = पद्यं श्रृणोति । रघूणाम् औदार्यम् = रघूणाम् औदार्यम् । गुरूणाम् भक्तः = गुरूणां भक्तः । श्लोकम् उवाच = श्लोकम् उवाच । देवम् नमति = देवं नमति । रावणम् मारयति = रावणं मारयति ।
मोऽनुस्वारः (८-३-२३)
मः अनुस्वारः
० मः - म् - षष्ठी विभक्ति
० अनुस्वारः - प्रथमा विभक्ति
० अनुवृत्तिः - ?
० पदस्य - षष्ठी विभक्ति
० हलि - सप्तमी विभक्ति
पदान्त-म् हल् => - अनुस्वार हल्
नश्चापदान्तस्य झलि (८-३-२४)
नः च अपदान्तस्य झलि
० नः - न् - षष्ठी विभक्ति
० अपदान्तस्य - षष्ठी विभक्ति
० झलि - झल् - सप्तमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः -?
० अनुस्वारः - प्रथमा विभक्ति
अपदान्त-न् झल् => अनुस्वार झल्
Application of नश्चापदान्तस्य झलि
० यशान् सि
० यशा न् स् इ
० यशां (अनुस्वार) स् इ
० यशांसि
अभ्यास I
1.तपान् सि 1. मनान् सि
2. 2.
3. 3.
4. तपांसि 4. मनांसि
1. श्रेयान् सि 1. चेतान् सि
2. 2.
3. 3.
4. श्रेयांसि 4. चेतांसि
अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः (८-४-५८)
० अनुस्वारस्य - अनुस्वार - षष्ठी विभक्ति
० ययि - यय् - सप्तमी विभक्ति
० परसवर्णः - परसवर्ण - प्रथमा विभक्ति
० अनुवृत्तिः - ?
अनुस्वार यय् => परसवर्ण यय्
Application of अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः
० शं किता
० शं (अनुस्वार) क् इता
० श ङ् क् इता
० शङ्किता
अभ्यास I
1. उं छिता 1.कुं डिता
2. 2.
3. 3.
4. उञ्छिता 4. कुण्डिता
1. नं दितुम् 1. कं पितव्यम्
2. 2.
3. 3.
4. नन्दितुम् 4. कम्पितव्यम्
अभ्यास II
1. शं कितुम् 1.दं डः
2. 2.
3. 3.
4. शङ्कितुम् 4. दण्डः
1. कं टकम् 1.शां तिः
2. 2.
3. 3.
4. कण्टकम् 4. शान्तिः
वा पदान्तास्य (८-४-५९)
० वा -अव्ययम्
० पदान्तस्य - पदान्त - षष्ठी विभक्ति
० अनुवृत्तिः -?
अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः
० अनुस्वारस्य - अनुस्वार - षष्ठी विभक्ति
० ययि - यय् - सप्तमी विभक्ति
० परसवर्णः - परसवर्ण - प्रथमा विभक्ति
पदान्त-अनुस्वार यय् => अनुस्वार/परसवर्ण यय्
Application of वा पदान्तास्य
० तं कथं
० त अनुस्वार क् अथं
० त ङ् क् अथं / तं /कथं
० तङ्कथं / तं कथं
अभ्यास I
1. कथं चित्रपक्षं 1.चित्रपक्षं डयमानं
2. 2.
3. 3.
4. कथञ्चित्रपक्षं / कथं चित्रपक्षं 4. चित्रपक्षण्डयमानं / चित्रपक्षं डयमानं
1. डयमानं नभःस्थं 1.नभःस्थं पुरुषः
2. 2.
3. 3.
4. डयमानन्नभःस्थं / डयमानं नभःस्थं 4. नभःस्थम्पुरुषः / नभःस्थं पुरुषः
अभ्यास II
1. सं वत्सरः 1.सं यन्ता
2. 2.
3. 3.
4. सव्ँवत्सरः / संवत्सरः 4. सय्ँयन्ता/ संयन्ता
1. यं लोकम् 1.त्वं करोषि
2. 2.
3. 3.
4. यल्ँलोकम् / यंलोकम् 4. त्वङ्करोषि / त्वं करोषि
तोर्लि (८-४-६०)
तोः लि
० तोः - तु - षष्ठी विभक्ति
० लि - ल् - सप्तमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः - ?
० परसवर्णः - परसवर्ण - प्रथमा विभक्ति
तु ल् => परसवर्ण ल्
Application of तोर्लि
० तत् लयः
० त त् ल् अयः
० त ल् ल् अयः
० तल्लयः
० विद्वान् लिखति
० विद्वाल्ँलिखति
झयो हो अन्यतरस्यां (८-४-६२)
झयः हः अन्यतरस्यां
० झयः - झय् - पञ्चमी विभक्ति
० हः - ह् - षष्ठी विभक्ति
० अन्यतरस्यां - विकल्पः (optional)
० अनुवृत्तिः - ?
० पूर्वस्य सवर्णः - प्रथमा विभक्ति
झय् ह् => झय् (सवर्ण of झय् / ह्)
Application of झयो हो अन्यतरस्यां
० वाग् हसति
० वा ग् ह् असति
० वा ग् घ् असति / वा ग् हसति
० वाग्घसति / वाग् हसति
अभ्यास I
1. अग्निचिद् हसति 1.वाग् हरिः
2. 2.
3. 3.
4. अग्निचिद्धसति / अग्निचिद् हसति 4. वाग्घरिः / वाग् हरिः
1. श्वलिड् हसति 1.त्रिष्टुब् हसति
2. 2.
3. 3.
4. श्वलिड्ढसति / श्वलिड् हसति 4. त्रिष्टुव्भसति/ त्रिष्टुब् हसति
शश्छोऽटि (८-४-६३)
शः छः अटि
० शः - श्- षष्ठी विभक्ति
० छः - छ् - प्रथमा विभक्ति
० अटि - अट् - सप्तमी विभक्ति
० अनुवृत्तिः - ?
० झयः - झय् - पञ्चमी विभक्ति
० अन्यतरस्यां - विकल्पः (optional)
झय् श् अटि => झय् छ् / श् अटि
Application of शश्छोऽटि
० वाक् शेते
० वा क् श् एते
० वा क् छ् एते / वा क् श् एते
० वाक्छेते / वाक्शेते
अभ्यास I
1. त्रिष्टुप् शेते 1.अग्निचित् शेते
2. 2.
3. 3.
4. त्रिष्टुप्छेते / त्रिष्टुप् शेते 4. अग्निचित्छेते / अग्निचित् शेते
1. श्वलिट् शेते 1.तच् श्लोकेन
2. 2.
3. 3.
4. श्वलिट्छेते / श्वलिट् शेते 4. तच्छ्लोकेन / तच् श्लोकेन
चोः कुः (८-२-३०)
० चोः - चुँ - षष्ठी विभक्ति
० कुः - कुँ - प्रथमा विभक्ति
० अनुवृत्तिः -?
० झलि - झल् - सप्तमी विभक्ति
० पदान्ते च ।
चुँ झल् => कुँ झल्
पदान्त-चुँ => पदान्त-कुँ
Application of चोः कुः
० पच् ता
० प च् त् आ
० प क् त्आ
० पक्ता
अभ्यास I
1. मुच् त्वा 1. वाच्
2. 2.
3. 3.
4. मुक्त्वा 4. वाक्
1. उच् तवत् 1. त्यज् तुम्
2. 2.
3. 3.
4. उक्तवत् 4. त्यग् तुम् => त्यक्तुम्
रषाभ्यां नो णः समानपदे (८-४-१)
रषाभ्यां नो णः समानपदे (८-४-१)
रषाभ्यां नः णः समानपदे
० रषाभ्यां - रष - पञ्चमी विभक्ति
० नः - न्- षष्ठी विभक्ति
० णः - ण् - प्रथमा विभक्ति
० समानपदे - समानपद - सप्तमीविभक्ति - समानपदस्थौ चेन् निमित्तनिमित्तिनौ ।
० अनुवृत्तिः -?
र् / ष् न् => र् / ष् ण्
Application of रषाभ्यां नो णः समानपदे
० तीर् नम्
० ती र् न् अम्
० ती र् ण् अम्
० तीर्णम्
अभ्यास I
1. पुष्नाति 1. विशीर्नम्
2. 2.
3. 3.
4. पुष्णाति 4. विशीर्णम्
1. मुष्नाति 1. ऊर्नम्
2. 2.
3. 3.
4. मुष्णाति 4. ऊर्णम्
अट्कुप्वाङ्नुम्-व्यवायेऽपि (८-४-२)
० आदेशप्रत्यययोः (८-३-५९)
० विधि - Types
० आगमः - insertion, Types of आगमः
० छे च (६-१-७३)
० शि तुक् (८-३-३१), दीर्घात् (६-१-७५) + पदान्तात् वा (६-१-७६)
० ङमो ह्रस्वादचि ङमुण्नित्यम् (८-३-३२), इदितो नुम् (७-१-५८)
० अचो रहाभ्यां द्वे (८-४-४६), अनचि च (८-४-४७)
० लोपः शाकल्यस्य (८-३-१९)
० झरो झरि सवर्णे (८-४-६५)