Difference between revisions of "Varnamala (वर्णमाला)"
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Revision as of 18:18, 30 August 2022
माहेश्वरसूत्राणि ॥
अ इ उ ण् । ऋ लृ क्। ए ओ ङ् । ऐ औ च्।
ह य व र ट् । ल ण् । ञ म ङ ण न म् ।
झ भ ञ् । घ ढ ध ष् । ज ब ग ड द श् ।
ख फ छ ठ थ च ट त व् । क प य् ।
श ष स र् । ह ल् ।
वर्णमाला ॥
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋृ लृ ए ऐ ओ औ - स्वर
अं अः - अयोगवाह
व्यञ्जन
क ख ग घ ङ - कवर्ग - कुँ
च छ ज झ ञ - चवर्ग - चुँ
ट ठ ड ढ ण - टवर्ग - टुँ
त थ द ध न - तवर्ग - तुँ
प फ ब भ म - पवर्ग - पुँ
य र ल व श ष स ह - अवर्गीय-व्यञ्जन
व्यञ्जन-विभागाः ॥
क ख ग घ ङ ।
च छ ज झ ञ ।
ट ठ ड ढ ण ।
त थ द ध न ।
प फ ब भ म ।
य र ल व श ष स ह ।
- प्रथम-द्वितीय-वर्णs & श ष स - कर्कश-व्यञ्जन ।
तृतीय-चतुर्थ-पञ्चम-वर्णs & य र ल व ह - मृदु-व्यञ्जन ।
- क - म - स्पर्श-वर्ण ।
य र ल व - अन्तस्थ-वर्ण ।
श ष स ह - ऊष्म-वर्ण ।
- प्रथम-तृतीय-पञ्चम-वर्णऽ & य र ल व - अल्पप्राण-व्यञ्जन ।
द्वितीय-चतुर्थ-वर्णऽ & श ष स ह - महाप्राण-व्यञ्जन ।
- य यँ र ल लँ व वँ श ष स ह ।
पञ्चमवर्णs & यँ लँ वँ - अनुनासिकवर्ण ।
All other वर्णs - अननुनासिकवर्ण ।
स्वर-विधाः ॥
Number of variations in स्वरs
अ, इ, उ, ऋ - 3 * 3 * 2= 18 variations each.
लृ-does not have दीर्घ Variation. Therefore लृ - 2 *3* 2 = 12 Variations.
ए ऐ, ओ, औ - These do not have ह्रस्व variation. Therefore 2 *3* 2 = 12 variations each.
उच्चारणस्थानम् ॥ Points of Articulation
- अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः - अ, कुँ, ह्, :
- इचुयशानां तालु - इ, चुँ, य्, श्
- उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ - उ, पुँ , उपध्मानीयः (पिकःपिकः)
- ऋटुरषाणां मूर्धा - ऋ, टुँ, र्, ष्
- लृतुलसानां दन्तः - लृ, तुँ, ल्, स्
- ञमङणनानां नासिका च - ञ् , म् , ङ्, ण्, न्
- एदैतोः कण्ठतालु - ए, ऐ
- ओदौतोः कण्ठोष्ठम् - ओ , औ
- वकारस्य दन्तोष्ठम् - व्
- जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम् - जिह्वामूलीय काकःकाकः, :ख
- नासिका अनुस्वारस्य - = अनुस्वारः
प्रयत्न
There are two types of प्रयत्न . Might loosely translate as effort
० आभ्यन्तर-प्रयत्न (internal effort)
० बाह्य-प्रयत्न (external effort)
आभ्यन्तर-प्रयत्न (internal effort)
There are five types of आभ्यन्तर-प्रयत्न -
० स्पृष्ट-प्रयत्न -क to म (कादयो मावसानाः स्पर्शाः, स्पृष्टः स्पर्शानाम् )
० ईषद्-स्पृष्ट-प्रयत्न -य र ल व (यरलवा अन्तस्थाः, ईषत्-स्पृष्टः अन्तस्थानाम् )
० विवृत-प्रयत्न- स्वराः (अचः स्वराः, विवृतः स्वराणां च )
० ईषद्-विवृत-प्रयत्न-श ष स ह (शषसह ऊष्माणः, ईषद्विवृतः ऊष्मणाम् )
० संवृत - ह्रस्वस्य अवर्णस्य प्रयोगे संवृतम्
बाह्य-प्रयत्न
There are eleven types of बाह्य-प्रयत्न -
० संवार - (हश् वर्णाः)
० विवार (खर् वर्णाः)
० नाद (हश् वर्णाः)
० घोष (हश् वर्णाः)
० श्वास (खर् वर्णाः)
० अघोष (खर् वर्णाः)
० अल्पप्राण (प्रथम-तृतीय-पञ्चम-वर्णाः यरलवाः)
० महाप्राण (द्वितीय-चतुर्थ-वर्णाः शषसहाः)
० उदात्त (उच्चैरुदात्तः)
० अनुदात्त (नीचैरनुदात्तः)
० स्वरित (समाहरस्वरितः)
सवर्ण
तुल्यास्य-प्रयत्नं सवर्णम् (१-१-९)
The two varnas that are having same स्थान and आभ्यन्तर-प्रयत्न are called सवर्ण to each other.
Eg:
० अ - स्थानं - कण्ठः, आभ्यन्तर-प्रयत्नः = विवृतः
आ - स्थानं - कण्ठः, आभ्यन्तर-प्रयत्नः = विवृतः
Therefore, अ , आ are सवर्ण to each other.
० त् - स्थानं - दन्तः, आभ्यन्तर-प्रयत्नः = स्पृष्टः
ध् - स्थानं - दन्तः, आभ्यन्तर-प्रयत्नः = स्पृष्टः
Therefore त, ध are सवर्ण to each other.
० त् - स्थानं - दन्तः, आभ्यन्तर-प्रयत्नः = स्पृष्टः
ल् - स्थानं - दन्तः, आभ्यन्तर-प्रयत्नः = ईषत्स्पृष्टः
Therefore त् ल् are NOT सवर्ण to each other.