Difference between revisions of "Namkaran(नामकरण)"

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Revision as of 12:43, 21 April 2022

नामकरण

नाम धेयं ततोयश्चापि महापुरुष कर्मणाम्।

विशादन प्रेरकंच भावेतत्वगुण बोधकम।

इनमें नामकरण , निष्क्रमण ,अन्नप्रासन , मुंडन और कान छिदवाने के साथ-साथ विद्यारंभ आदि निम्नलिखित संस्कार का समावेश है।

नामकरण:

सामाजिक विकास की प्रक्रिया में ' नाम ' की अवधारणा का उदय कब हुआ ठीक से नहीं पता। शुरुआती दिनों में लोग एक-दूसरे को बुलाने के लिए ' अ ', ' हे ', ' हां ', ' आह ' जैसे अर्थहीन शब्दों का प्रयोग करते होंगे । मानव और भाषा के विकास के दौरान, किसी एक चीज के लिए, किसी वस्तु के लिए शब्द तय किए गए   और वह सामाजिक और समाज मान्य हो गया। अगली कालखंड में संबोधन की आवश्यकता महसूस हुई , और इसे एक ' नाम ' देने का प्रस्ताव हुआ । बिलकुल शुरूआत में तो व्यक्तिगत समूह के नेता या प्रमुख के लिए केवल अक्षर या  शब्द का प्रयोग किया गया था। समय के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए नाम व्यवस्था की गयी हो ।