Difference between revisions of "Jatkarm ( जातकर्म )"
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Revision as of 15:18, 8 April 2022
कन्या सुपुत्रयोस्तुल्यं वात्सल्यं च भवेत्सटा।
तुल्यानन्दं विजानीयाद द्वयोर्मनसि प्रामघाः ।।
सुख शान्तेर्व्यवस्था च सुविधा पावरपि ।
समुत्कर्ष विकासाभ्यां ध्यान यत्नं समं भवेत् ।।