Difference between revisions of "Narad ( नारद )"
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Latest revision as of 14:30, 24 December 2021
चारों वेद, इतिहास-पुराण, स्मृति, व्याकरण, दर्शनादि नाना विद्याओं में पारंगत देवर्षि नारद भागवत धर्म के आधार पांचरात्र के प्रवर्तक, भक्ति,संगीत-विद्या, नीति आदि के मुख्याचार्य, नित्य परिव्राजक, रामकथा के आदिकवि वाल्मीकि तथा वैदिक संस्कृति के व्यवस्थापक एवं महाभारतकार वेदव्यास के प्रेरक,जीवमात्र के कल्याण के व्रती, बालक ध्रुव के उपदेष्टा, देव-दैत्य दोनों के ही सम्मान के पात्र और भगवद्भक्ति के प्रचारक, महान् वैष्णव हैं। इन्हें ब्रह्मा का मानस पुत्र कहा जाता है। भगवानब्रह्मा से प्राप्त वीणा लेकर बराबर भगवन्नामगुण गाते रहना ही इनका स्वभाव है। नारद सतत तीनों लोकों में भ्रमण करने वाले और कहाँ क्या चल रहा है, इसका ज्ञान रखने वाले आदि संवाददाता हैं। ये धर्म-संस्थापना के भगवत्कार्य में सदैव सहयोगी रहते हैं।