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भरत नाम के पाँच प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं। पहले भरत तो प्रथम मन्वन्तर के एक राजा थे जो विष्णुभक्त थे। दूसरे भरत भी योद्धा एवं राजा थे जिनके नाम पर एक मानवकुल प्रसिद्ध है। तीसरे दाशरथि राम के भाई और परम उपासक एवं भक्त-शिरोमणि, कैकेयी-सुत भरत हुए हैं। चौथे भरत चन्द्रवंशी राजा पुरु के वंश में दुष्यंत एवं शकुन्तला के पुत्र थे। इन्हीं की नवीं पीढी में कुरु हुए जिनके वंशज कौरव कहलाये। पाँचवे भरत प्रसिद्ध ऋषि और नाट्यशास्त्र के प्रणेता आचार्य हुए। जिनके नाम पर हमारे देश का नाम 'भारत' पड़ा, कहा जाता है, ऐसे दो भरत प्रसिद्ध हुए हैं : एक महायोगी ऋषभदेव के सबसे बड़े पुत्र थे और दूसरे दुष्यंत-शकुंतला के पुत्र।दुष्यंत-शकुन्तला के पुत्र भरत चक्रवती, परमप्रतापी, प्रजापालक, धर्मात्मा, भगवद्भक्त एवं सैकड़ों बड़े-बड़े यज्ञों के करने वाले हुए हैं। ये पुरुवंशी थे। दुष्यंत का ऋषि की पालित कन्या शकुन्तला से गांधर्व विवाह हुआ था, जिससे भरत उत्पन्न हुए। दुष्यंत के बाद वे सम्राट् हुए। उन्होंने गंगा-तट पर 55 और यमुना-तट पर 78 अश्वमेध यज्ञ किये, दिग्विजय-यात्रा की और म्लेच्छों को पराजित कर निर्जन प्रदेशों में भगादिया, देवांगनाओं का दानवों से उद्धार किया तथा पृथ्वी के एकछत्र अधिपति बने।