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| प्रयुञ्जीताहारं विधिनियमितं, कालः स हि मतः||५५|| (A.H.SU.8.55) | | प्रयुञ्जीताहारं विधिनियमितं, कालः स हि मतः||५५|| (A.H.SU.8.55) |
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| + | === Bhojan kala in daily routine/ dinacharya === |
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| == Panchakarmas after ahara == | | == Panchakarmas after ahara == |
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| धातुभिर्विगुणो यश्च स्रोतसां स प्रदूषकः||४४|| A.H.Sha3.44 | | धातुभिर्विगुणो यश्च स्रोतसां स प्रदूषकः||४४|| A.H.Sha3.44 |
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| + | विविधादशितात् पीतादहिताल्लीढखादितात्| |
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| + | भवन्त्येते मनुष्याणां विकारा य उदाहृताः||२३|| |
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| + | तेषामिच्छन्ननुत्पत्तिं सेवेत मतिमान् सदा| |
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| + | हितान्येवाशितादीनि न स्युस्तज्जास्तथाऽऽमयाः||२४|| Cha.Su.28.23-24 |
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| + | आहारसम्भवं वस्तु रोगाश्चाहारसम्भवाः| |
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| + | हिताहितविशेषाच्च विशेषः सुखदुःखयोः||४५|| Cha.Su 28.45 |
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| == PAnchaaharaguna == | | == PAnchaaharaguna == |
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| == Prakruti and ahara matra == | | == Prakruti and ahara matra == |
| Kapha- alpa- A.H.SHA.3.101 | | Kapha- alpa- A.H.SHA.3.101 |
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| + | Pitta- Prabhuta ashana pana , dandashuka Cha vi. 8.97 |
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| + | Vata- Laghu ahara Cha vi 8.98 |
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| == Annamaya deha == | | == Annamaya deha == |
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| SuSu.46.446-449 | | SuSu.46.446-449 |
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| + | == Ahara phala souththava hetu == |
| + | Cha.Vi 2.4 |
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| + | न च केवलं मात्रावत्त्वादेवाहारस्य कृत्स्नमाहारफलसौष्ठवमवाप्तुं शक्यं, प्रकृत्यादीनामष्टानामाहारविधिविशेषायतनानां प्रविभक्तफलत्वात्||४|| |
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| + | MAtra |
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| + | 8 aharavidhi vishesha ayatanani |
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| + | == Ashta Ahara vidhi vishesha ayatanani == |
| + | तत्र खल्विमान्यष्टावाहारविधिविशेषायतनानि भवन्ति; तद्यथा- प्रकृतिकरणसंयोगराशिदेशकालोपयोगसंस्थोपयोक्त्रष्टमानि (भवन्ति)||२१|| Cha.Vi 1. 21 |
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| + | Commentary- |
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| + | आहारस्य विधिः प्रकारो विधानं वा इत्याहारविधिः, तस्य विशेषो हितत्वमहितत्वं च, तस्यायतनानि हेतूनीत्याहारविधिविशेषायतनानि| आहारप्रकारस्य हितत्वमहितत्वं च प्रकृत्यादिहेतुकमित्यर्थः| उपयोक्ता अष्टमो येषां तान्युपयोक्त्रष्टमानि||२१|| |
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| + | Effect- एषां विशेषाः शुभाशुभफलाः परस्परोपकारका भवन्ति; तान् बुभुत्सेत, बुद्ध्वा च हितेप्सुरेव स्यात्; नच मोहात् प्रमादाद्वा प्रियमहितमसुखोदर्कमुपसेव्यमाहारजातमन्यद्वा किञ्चित्||२३|| |
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| + | == Aharavidhi == |
| + | तत्रेदमाहारविधिविधानमरोगाणामातुराणां चापि केषाञ्चित् काले प्रकृत्यैव हिततमं भुञ्जानानां भवति- उष्णं, स्निग्धं, मात्रावत्, जीर्णे वीर्याविरुद्धम्, इष्टे देशे, इष्टसर्वोपकरणं, नातिद्रुतं, नातिविलम्बितम्, अजल्पन्, अहसन्, तन्मना भुञ्जीत, आत्मानमभिसमीक्ष्य सम्यक्||२४|| Cha.Vi1. 24 |
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| + | == Quantity of ahara to be eaten at a time == |
| + | त्रिविधं कुक्षौ स्थापयेदवकाशांशमाहारस्याहारमुपयुञ्जानः; तद्यथा- एकमवकाशांशं मूर्तानामाहारविकाराणाम्, एकं द्रवाणाम्, एकं पुनर्वातपित्तश्लेष्मणाम्; एतावतीं ह्याहारमात्रामुपयुञ्जानो नामात्राहारजं किञ्चिदशुभं प्राप्नोति||३|| Cha vi 2.3 |
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| + | Signs of having appropriate quantity of ahara |
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| + | कुक्षेरप्रणीडनमाहारेण, हृदयस्यानवरोधः, पार्श्वयोरविपाटनम्, अनतिगौरवमुदरस्य, प्रीणनमिन्द्रियाणां, क्षुत्पिपासोपरमः, स्थानासनशयनगमनोच्छ्वासप्रश्वासहास्यसङ्कथासु सुखानुवृत्तिः, सायं प्रातश्च सुखेन परिणमनं [१] , बलवर्णोपचयकरत्वं च; इति मात्रावतो लक्षणमाहारस्य भवति||६|| (Cha.Vi. 2.6) |
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| == Ahara anupana == | | == Ahara anupana == |
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| सुखं पचति चाहारमायुषे च बलाय च||३२६|| | | सुखं पचति चाहारमायुषे च बलाय च||३२६|| |
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| + | == Aharashakti == |
| + | आहारशक्तितश्चेति आहारशक्तिरभ्यवहरणशक्त्या जरणशक्तया च परीक्ष्या; बलायुषी ह्याहारायत्ते||१२०|| cha vi 8.120 |
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| + | To assess level of balam of an individual it is one of the parameters/assessment criteria |
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| + | तस्मादातुरं परीक्षेत प्रकृतितश्च, विकृतितश्च, सारतश्च, संहननतश्च, प्रमाणतश्च, सात्म्यतश्च, सत्त्वतश्च, आहारशक्तितश्च, व्यायामशक्तितश्च, वयस्तश्चेति, बलप्रमाणविशेषग्रहणहेतोः||९४|| |
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| == Metal for vessel to store specific aharadravyas == | | == Metal for vessel to store specific aharadravyas == |