Difference between revisions of "पाठ्यक्रम - कक्षा ४ से कक्षा ६"
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* आदित्यह्दयस्तोत्र श्लोक क. 6, 7, 8, 10, 11 कुल 5 | * आदित्यह्दयस्तोत्र श्लोक क. 6, 7, 8, 10, 11 कुल 5 | ||
* शंकराचार्य-आत्मषटक्- केवल प्रथम श्लोक कुल 1 | * शंकराचार्य-आत्मषटक्- केवल प्रथम श्लोक कुल 1 | ||
− | + | * हमारा देश | |
− | * हमारा देश | + | * व्यष्टि से परमेष्ठी तक व्यक्तित्व का विकास, चार पुरुषार्थ- मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष |
− | * | + | * समाज की संकल्पना। |
− | * | + | * सामाजिक संगठन- वर्णाश्रम धर्म |
− | ** | + | * व्यक्ति का सामाजिक स्तर पर लक्ष्य स्वतंत्रता जो परस्परावलंबन आधारित होती है। |
− | * | + | * गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु |
− | ** | + | * हमारा साहित्य |
− | ** | + | ** कथासरित्सागर |
− | ** | + | ** कालिदास, भारवि, दण्डी, माघ की साहित्यसृष्टि |
− | ** | + | ** अष्टाध्यायी |
− | * | + | ** मुद्राराक्षस |
− | * | + | ** रत्नावली |
− | *हमारे पूर्वज | + | * भारतीय संस्कृति का विश्वसंचार- शरद हेबाढकर इस किताब के चयनित अंश |
− | ** | + | * हमारे पूर्वज |
− | + | ** अष्टावक, याज्ञवल्क्य, ऋषि मनु, विश्वामित्र, धौम्य, धन्वन्तरी, ऋषि काश्यप, देवल, चाणक्य, अगस्ति, दधीचि, झूलेलाल, विश्वकर्मा, भगीरथ, रंतिदेव, राजा विकमादित्य, महाराणा प्रताप | |
− | + | * स्पर्शसंयम | |
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== कक्षा ५ पाठ्यक्रम == | == कक्षा ५ पाठ्यक्रम == |
Revision as of 22:32, 29 April 2021
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कक्षा 4 से 6, आयु 10 से 12 : बुद्धि का विकास[1] :- ग्रहण, धारणा, आकलन, प्रकटन, तर्क, अनुमान, संश्लेषण, विश्लेषण, विवेक, निर्णय। संयम, तितिक्षा, संकल्प-सिद्धि की आदतें।
- अब सबक सीखने का, पराजयों के विश्लेषण, क्या करना चाहिए था, क्या नहीं करना चाहिए था- के साथ इतिहास की शिक्षा।
- संस्कृति, कुटुम्ब, ग्राम, जनपद, प्रान्त, भाषा, समाज, सामाजिक संगठन, सामाजिक व्यवस्थाएँ, राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्पष्टता ।
- कुटुम्ब में दायित्व, बड़ों का आदर और सेवा। छोटों की सहायता और रक्षा। घर के काम सीखना, हाथ बँटाना।
- धार्मिक जीवनदृष्टि और व्यवहारसूत्रों की जानकारी, प्रेरणा, अभारतीयों से श्रेष्ठता ।
- स्वभावज कर्म, स्वभाव की शुद्धि एवं वृद्धि के लिए मार्गदर्शन, कौटुंबिक उद्योगों का महत्व, जातिव्यवस्था, ग्रामकुल, आश्रमव्यवस्था की बुद्धियुक्त पृष्ठभूमि ।
- अपने स्वभाव के अनुसार शिक्षक, रक्षक, पोषक बनने का संकल्प करना।
- समग्र विकास की बौद्धिक पृष्ठभूमि, सामाजिक व प्रयावरणीय समस्याओं का निराकरण, मानवजीवन, समाजजीवन और सृष्टिहितकारी जीवन का लक्ष्य।
- व्यक्तित्वविकास और संघ-समितियों से जुड़ना।
- धर्म की व्यापक और भिन्न भिन्न परिभाषाएँ। समाजधर्म, वर्णाश्रमधर्म की श्रेष्ठता समझना।
कक्षा ४ पाठ्यक्रम
सार्थ कंठस्थीकरण:
- गीता के निम्न श्लोक- सार्थ
- सर्वोपनिषदो गावो...
- अध्याय 18: 40, 41, 43 से 48, 59, 60, 73
- कुल 11 श्लोक
- आदित्यह्दयस्तोत्र श्लोक क. 6, 7, 8, 10, 11 कुल 5
- शंकराचार्य-आत्मषटक्- केवल प्रथम श्लोक कुल 1
- हमारा देश
- व्यष्टि से परमेष्ठी तक व्यक्तित्व का विकास, चार पुरुषार्थ- मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष
- समाज की संकल्पना।
- सामाजिक संगठन- वर्णाश्रम धर्म
- व्यक्ति का सामाजिक स्तर पर लक्ष्य स्वतंत्रता जो परस्परावलंबन आधारित होती है।
- गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु
- हमारा साहित्य
- कथासरित्सागर
- कालिदास, भारवि, दण्डी, माघ की साहित्यसृष्टि
- अष्टाध्यायी
- मुद्राराक्षस
- रत्नावली
- भारतीय संस्कृति का विश्वसंचार- शरद हेबाढकर इस किताब के चयनित अंश
- हमारे पूर्वज
- अष्टावक, याज्ञवल्क्य, ऋषि मनु, विश्वामित्र, धौम्य, धन्वन्तरी, ऋषि काश्यप, देवल, चाणक्य, अगस्ति, दधीचि, झूलेलाल, विश्वकर्मा, भगीरथ, रंतिदेव, राजा विकमादित्य, महाराणा प्रताप
- स्पर्शसंयम
कक्षा ५ पाठ्यक्रम
सार्थ कंठस्थीकरण:
- शान्तिमंत्र
- स्वस्तिवाचन,
- भूमिसूक्त मंत्र क. 1, 3, 4, 6, 12, (कुल 5)
- संकल्प मंत्र एवं अग्निहोत्र के दो मंत्र- सूर्योदय-1, सूर्यास्त-1 (कुल 3)
- गीता के निम्न श्लोक- सार्थ
- अध्याय 8: 5, 6, 22
- अध्याय 14: 14, 18
- अध्याय 3: 42
- अध्याय 17: 7 से 10, 23, 24
- कुल 12
- जीवनदृष्टि का गीत
- हमारा देश
- सूर्यमाला एवं ग्रह
- पृथ्वी : मानवजाति का एकमेव निवासस्थान
- भारत का विशिष्ट स्थान एवं दर्शन ( सोच)
- हमारे पडोसी देश
- 1971 की अद्भुत विजय।
- भारत की एकता
- सांस्कृतिक एकता
- बारह मास, छः ऋतुएँ
- विविधता में एकता
- हमारी कृषि और संबंधित विविध उत्पादन।
- कृषिसंबंधित पशुसंपत्ति, उनसे मिलने वाली उपज और उनकी निगरानी
- 12 ज्योतिर्लिंग, 52 शक्तिपीठ, स्थापत्य-कैलास, मदुराई, सेतुबंध रामेश्वरम्
- हमारे विजय और स्थापत्य की गाथाएँ
- कुम्भमेला
- गुरुकूल में शिक्षा
- सोलह संस्कार
- हमारा साहित्य
- वेद, उपवेद, वेदांग, षड़दर्शन, ऋषिकाएँ
- ग्यारह मुख्य उपनिषदों के नाम
- श्रीमद्भगवद्गीता गीता की कहानी- (गीता का बहिरंग)- खंड 1 अ. 5
- हमारे पूर्वज
- राम, कृष्ण, माता कुंती, सावित्री, महाराणा प्रताप, पृथु, हरिश्चन्द्र, भरत, कम्बु, कौंडिण्य, पुष्यमित्र शुंग, चन्द्रगुप्त, विकमादित्य, शालिवाहन, शैलेन्द्र, यशोधर्मा
- कृतिपाठ
- योगासन (अल्पकालीन), सुखासन- पालथी लगा कर बैठना
- हवन, अग्निहोत्र करना
- समंत्र सूर्यनमस्कार,
- गुरुकूल के वातावरण,/ परिवेश का चित्रांकन, प्रतिकृति बनाना।
- स्वादसंयम
- घर में घरेलू कार्य सीखना और करना
- व्यवहारसूत्र
- विविधता में एकता।
- पंचऋण।
- देने की संस्कृति
- माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्या
कक्षा ६ पाठ्यक्रम
सार्थ कंठस्थीकरण:
- श्रीमदभगवद्गीता- अ. 15, अध्याय 7 के श्लोक 4, 5, 6, 7, 10 (कुल 5)
- मंत्रपुष्पांजलि
- ईशोपनिषद् के मंत्र क. 1, 2, 3, 9, 11, (कुल 5)
- योगसूत्र- क. 1, 2, 3, 7, 12 (कुल 5)
- अष्टांगयोग-अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः | शौचसंतोषतपस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमा: ||
- मंत्र कुल 2
- गीता के निम्न श्लोक- सार्थ
- अध्याय 16: 1, 2, 3, 4, 6, 13, 14, 18, 21
- अध्याय 8: 17
- कुल 10
- जीवनदृष्टि का गीत
- हमारा देश
- स्वर्ग की संकल्पना
- व्यक्तिगत स्तर
- पंचमहाभूत
- सत्ताईस नक्षत्र
- वर्णमाला, उच्चारण,
- देवनागरी लिपि एवं अंकपद्धति
- कालगणना
- हमारे षड्रिपु- तुलसीदास जी दवरा लिखित छः: मानस रोग
- हमारा आहार- उसके विविध स्रोत |
- क्या खाएँ, कैसे खाएँ- श्रीमद्भगवदगीता के अनुसार सात्विक, राजस और तामस आहार।
- भोजन के मंत्र- सकारण स्पष्टीकरण।
- भारतीय भोजन की विविधता और विदेशों में उसकी लोकप्रियता
- हवा में तैरने वाली पत्थर की मूर्तियाँ बनाने की कला- भुवनेश्वर
- आठ गणितीय प्रकियाओं का शोध
- हमारा साहित्य
- यम-नियम
- पतंजलि के योगसूत्र
- भास्कराचार्य की लीलावती एवं वैदिक गणित
- पंचतंत्र हितोपदेश
- हमारे पूर्वज
- श्रीमंत शंकरदेव
- स्वामी विद्यारण्य
- श्रीशंकराचार्य
- भारत की गौरवशाली शासक परंपराएँ - गुप्त साम्राज्य
- विजयनगर साम्राज्य
- बाप्पा रावल, ललितादित्य, मुक्तापीड, राजेन्द्र चोल, आहोम राजवंश, कुष्णदेवराय, मसुनुरी नायक, रणजितसिंह, बाजीराव पेशवे, लाचित बडफुकन
- कृतिपाठ
- योगासन (अल्पकालीन), सुखासन- पालथी लगा कर बैठना।
- आकाश का निरीक्षण एवं ग्रहनक्षत्रों का परिचय
- क्रोधसंयम
- घर में घरेलू कार्य सीखना और करना
- व्यवहारसूत्र
- एक सद् विप्राः बहुधा वदन्ति।
- तेन त्यक्तेन भुंजीथा:।
- यत्पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे।
- यम-सत्य, अहिंसा।
- नियम-शौच, संतोष।
References
- ↑ दिलीप केलकर, भारतीय शिक्षण मंच