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| |- | | |- |
| |हाथ से, कैंची से, छूरी से | | |हाथ से, कैंची से, छूरी से |
− | | rowspan="2" |कागज एवं कपडे के विभिन्न उपयोग के लिए | + | | rowspan="2" |कागज एवं कपड़े के विभिन्न उपयोग के लिए |
| |- | | |- |
| |अंदाज से, रेखा पर से, तह बनाकर | | |अंदाज से, रेखा पर से, तह बनाकर |
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| ## चिपकाने के लिए लेई या गोंद का उपयोग करते समय गंदी अंगुली या हाथ को साफ करने के लिए कपड़े का टुकडा प्रत्येक छात्र अवश्य रखे। उसे ऐसी आदत ही डालना चाहिए। नहीं तो फर्श या चटाई या जिस आसन पर बैठे हैं उस पर हाथ पोंछने की आदत पड़ जाती है। | | ## चिपकाने के लिए लेई या गोंद का उपयोग करते समय गंदी अंगुली या हाथ को साफ करने के लिए कपड़े का टुकडा प्रत्येक छात्र अवश्य रखे। उसे ऐसी आदत ही डालना चाहिए। नहीं तो फर्श या चटाई या जिस आसन पर बैठे हैं उस पर हाथ पोंछने की आदत पड़ जाती है। |
| ## इसी तरह नीचे की सतह पर यदि गोंद ढुल जाए या गलती से लग जाए तो उस पर अपना ही कागज चिपक जाता है। एवं निकालने में फट जाता है। जिससे व्यय होता है। ऐसा न हो इसका ध्यान रखना चाहिए। | | ## इसी तरह नीचे की सतह पर यदि गोंद ढुल जाए या गलती से लग जाए तो उस पर अपना ही कागज चिपक जाता है। एवं निकालने में फट जाता है। जिससे व्यय होता है। ऐसा न हो इसका ध्यान रखना चाहिए। |
− | ## आसपास पडे अनावश्यक कागजों पर गोंद गिरने से कागज पर एवं फर्श पर दाग बन जाते हैं। ऐसा न हो इसका ध्यान रखें। | + | ## आसपास पड़े अनावश्यक कागजों पर गोंद गिरने से कागज पर एवं फर्श पर दाग बन जाते हैं। ऐसा न हो इसका ध्यान रखें। |
| ## चिपकाने का कार्य जहाँ किया हो वहाँ कार्य पूर्ण होने पर भीगे कपड़े से पोंछा करना एवं हाथ धोकर पोंछना आवश्यक है। इसी तरह गोंद पोंछने के लिए जिस कपड़े का उपयोग हुआ हो उसे भी धोकर, सुखाकर, तह करके रखना चाहिए। गोंद या लेई जिस पात्र, कटोरी या अन्य साधन में लिया हो उसे भी साफ करके ही रखना चाहिए। | | ## चिपकाने का कार्य जहाँ किया हो वहाँ कार्य पूर्ण होने पर भीगे कपड़े से पोंछा करना एवं हाथ धोकर पोंछना आवश्यक है। इसी तरह गोंद पोंछने के लिए जिस कपड़े का उपयोग हुआ हो उसे भी धोकर, सुखाकर, तह करके रखना चाहिए। गोंद या लेई जिस पात्र, कटोरी या अन्य साधन में लिया हो उसे भी साफ करके ही रखना चाहिए। |
| ## रेखा खींचने के लिए जिस प्रकार सामने चौकी होना आवश्यक है उसी तरह चिपकाने के लिए भी चौकी होना आवश्यक है। | | ## रेखा खींचने के लिए जिस प्रकार सामने चौकी होना आवश्यक है उसी तरह चिपकाने के लिए भी चौकी होना आवश्यक है। |
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| # मिट्टी कूटना: बहुत सख्त मिट्टी न लें। नर्म मिट्टी के ढेलों को हथौडे की सहायता से कूटें। ऐसा करने से मिट्टी का चूर्ण बन जाता है। एवं पथ्थर या अन्य चीजें ज्यों की त्यों रहती हैं। | | # मिट्टी कूटना: बहुत सख्त मिट्टी न लें। नर्म मिट्टी के ढेलों को हथौडे की सहायता से कूटें। ऐसा करने से मिट्टी का चूर्ण बन जाता है। एवं पथ्थर या अन्य चीजें ज्यों की त्यों रहती हैं। |
| # मिट्टी छानना: द्वितीय क्रम में कूटी हुई मिट्टी को छाना जाता है। इसके लिए बहुत छोटे छिद्रोंवाली छननी न लें। इस क्रिया में अंजुली में मिट्टी भरकर छननी में डालें एवं दोनों हाथों से छननी हिलाना छात्रों को सिखाएँ। | | # मिट्टी छानना: द्वितीय क्रम में कूटी हुई मिट्टी को छाना जाता है। इसके लिए बहुत छोटे छिद्रोंवाली छननी न लें। इस क्रिया में अंजुली में मिट्टी भरकर छननी में डालें एवं दोनों हाथों से छननी हिलाना छात्रों को सिखाएँ। |
− | # मिट्टी भिगोना एवं गूंधना: एक बड़े एवं छिछले पात्र में मिट्टी डालकर उसमें आवश्यकतानुसार पानी डालें। जिस तरह हाथ से आटा गूंधते हैं उसी तरह मिट्टी को मसलकर गूंधना चाहिए। मिट्टी जितनी अधिक गूंधी जाय उतनी ही नरम बनती है। गूंधी हुई मिट्टी नरम, चिकनी, एवं सूखने पर दरारों रहित बनती है। अतः उसे अधिक से अधिक गूंधना चाहिए। गूंधने का कार्य दोनों हाथों एवं पांचों अंगुलियों के उपयोग से किया जाता है। पात्र में स्थित मिट्टी को उपर नीचे करके पूरी मिट्टी बराबर गूंधी जाए इसका ध्यान रखना चाहिए। गूंधी हुई मिट्टी हाथ में लेने पर बहुत जोर लगाना पडे इतनी सख्त या हाथ में से गिर जाए इतनी नर्म भी नहीं होनी चाहिए। मिट्टी गूंधने की क्रिया चार पाँच छात्र समूह में भी कर सकते हैं। गूंधने की क्रिया केवल एक ही दिन में पूर्ण न करें। यह क्रिया तीन-चार दिन तक चलने दें। प्रतिदिन कार्य पूर्ण होने पर मिट्टी पर थोड़ा सा पानी डालकर पात्र को ढककर रख दें जिससे मिट्टी सूख न जाए। | + | # मिट्टी भिगोना एवं गूंधना: एक बड़े एवं छिछले पात्र में मिट्टी डालकर उसमें आवश्यकतानुसार पानी डालें। जिस तरह हाथ से आटा गूंधते हैं उसी तरह मिट्टी को मसलकर गूंधना चाहिए। मिट्टी जितनी अधिक गूंधी जाय उतनी ही नरम बनती है। गूंधी हुई मिट्टी नरम, चिकनी, एवं सूखने पर दरारों रहित बनती है। अतः उसे अधिक से अधिक गूंधना चाहिए। गूंधने का कार्य दोनों हाथों एवं पांचों अंगुलियों के उपयोग से किया जाता है। पात्र में स्थित मिट्टी को उपर नीचे करके पूरी मिट्टी बराबर गूंधी जाए इसका ध्यान रखना चाहिए। गूंधी हुई मिट्टी हाथ में लेने पर बहुत जोर लगाना पड़े इतनी सख्त या हाथ में से गिर जाए इतनी नर्म भी नहीं होनी चाहिए। मिट्टी गूंधने की क्रिया चार पाँच छात्र समूह में भी कर सकते हैं। गूंधने की क्रिया केवल एक ही दिन में पूर्ण न करें। यह क्रिया तीन-चार दिन तक चलने दें। प्रतिदिन कार्य पूर्ण होने पर मिट्टी पर थोड़ा सा पानी डालकर पात्र को ढककर रख दें जिससे मिट्टी सूख न जाए। |
− | # गूंधी हुई मिट्टी से खिलौना बनाना: गूंध गूंधकर तैयार की गई मिट्टी के छोटे छोटे गोले बनाकर उसमें से खिलौने बनाएँ। सभी अलग अलग बनाएँ। प्रारंभ में छोटी-छोटी गट्टी बन जाएंगी। इसके बाद तो कल्पनानुसार सीताफल, गणेश, चकला, बेलन, घडा, गुडिया, वगेरेह भी बनाया जा सकता है। इस प्रकार खिलौने बनाने के बाद उन्हें सुखाने के लिए धूप में रखना चाहिए। | + | # गूंधी हुई मिट्टी से खिलौना बनाना: गूंध गूंधकर तैयार की गई मिट्टी के छोटे छोटे गोले बनाकर उसमें से खिलौने बनाएँ। सभी अलग अलग बनाएँ। प्रारंभ में छोटी-छोटी गट्टी बन जाएंगी। इसके बाद तो कल्पनानुसार सीताफल, गणेश, चकला, बेलन, घड़ा, गुडिया, वगेरेह भी बनाया जा सकता है। इस प्रकार खिलौने बनाने के बाद उन्हें सुखाने के लिए धूप में रखना चाहिए। |
| # इसी तरह मिट्टी के गोले को सांचे में ढालकर समान आकार की ईंटें बनाना चाहिए। (ईंटे बनाना खिलौने बनाने से सरल काम है। खिलौनों में कल्पनाशीलता एवं हाथों की कारीगरी दोनों की आवश्यकता होती है।) ईंटें बनाकर सुखाकर आगे का कार्य किया जा सकता है। | | # इसी तरह मिट्टी के गोले को सांचे में ढालकर समान आकार की ईंटें बनाना चाहिए। (ईंटे बनाना खिलौने बनाने से सरल काम है। खिलौनों में कल्पनाशीलता एवं हाथों की कारीगरी दोनों की आवश्यकता होती है।) ईंटें बनाकर सुखाकर आगे का कार्य किया जा सकता है। |
| # ईंटों एवं खिलौनों को सूखने के बाद आवाँ (कुम्हार की भट्ठी) में पकने के लिए रखना चाहिए। इस कार्य के जानकार को सहायता के लिए बुलाना चाहिए। छात्र ये सभी प्रक्रियाएँ देखें एवं जानें यह आवश्यक है। | | # ईंटों एवं खिलौनों को सूखने के बाद आवाँ (कुम्हार की भट्ठी) में पकने के लिए रखना चाहिए। इस कार्य के जानकार को सहायता के लिए बुलाना चाहिए। छात्र ये सभी प्रक्रियाएँ देखें एवं जानें यह आवश्यक है। |
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| ## यह कार्य लंबी समयावधि का होने के कारण किसीको आपत्ति न हो ऐसा विशिष्ट स्थान चुनना चाहिए। | | ## यह कार्य लंबी समयावधि का होने के कारण किसीको आपत्ति न हो ऐसा विशिष्ट स्थान चुनना चाहिए। |
| ## छात्रों में निर्माण क्षमता एवं सौन्दर्यदृष्टि का विकास हो इस उद्देश्य से वार्तालाप करना चाहिए। | | ## छात्रों में निर्माण क्षमता एवं सौन्दर्यदृष्टि का विकास हो इस उद्देश्य से वार्तालाप करना चाहिए। |
− | ## छात्रों द्वारा बनाए गए खिलौनों एवं ईंटों के प्रदर्शन का आयोजन करना चाहिए। मातापिता, अभिभावक एवं अन्य लोगों को प्रदर्शन देखने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। | + | ## छात्रों द्वारा बनाए गए खिलौनों एवं ईंटों के प्रदर्शन का आयोजन करना चाहिए। मातापिता, अभिभावक एवं अन्य लोगोंं को प्रदर्शन देखने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। |
| ## छोटी छोटी ईंटों को अलग अलग रंगों से रंगकर उनमें से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाना चाहिए। | | ## छोटी छोटी ईंटों को अलग अलग रंगों से रंगकर उनमें से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाना चाहिए। |
| ## प्रथम दृष्टि में तो यह बहुत कठिन एवं अव्यावहारिक लगनेवाला प्रकल्प है। अतः इसका पक्का आयोजन होना चाहिए। उस आयोजन के बारे में अभिभावकों को सूचित करना चाहिए। आयोजन जब प्रत्यक्ष रूप से कार्यान्वित हो तब भी उसके प्रत्यक्ष दर्शन के लिए भी अभिभावकों को आमंत्रित करना चाहिए। | | ## प्रथम दृष्टि में तो यह बहुत कठिन एवं अव्यावहारिक लगनेवाला प्रकल्प है। अतः इसका पक्का आयोजन होना चाहिए। उस आयोजन के बारे में अभिभावकों को सूचित करना चाहिए। आयोजन जब प्रत्यक्ष रूप से कार्यान्वित हो तब भी उसके प्रत्यक्ष दर्शन के लिए भी अभिभावकों को आमंत्रित करना चाहिए। |
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| === पिरोना, कढाई करना, गूंथना === | | === पिरोना, कढाई करना, गूंथना === |
| # पिरोना: सुईं में धागा पिरोना, धागे में मोती पिरोना, सुई-धागे से फूल पिरोकर माला बनाना। यह बहुत सरल प्रक्रिया है। केवल सुई बहुत नोकदार न लें एवं थोड़ी बड़ी लें, जिससे सुई में धागा पिरोना आसान हो सके। इसी तरह मोती भी हाथ से आसानी से पकड़े जा सकें ऐसे आकार के ही चुनें। सुईधागे में फूल पिरोना हो तो सुई नोकदार एवं पतली होनी चाहिए एवं धागा भी पतला लेना चाहिए। | | # पिरोना: सुईं में धागा पिरोना, धागे में मोती पिरोना, सुई-धागे से फूल पिरोकर माला बनाना। यह बहुत सरल प्रक्रिया है। केवल सुई बहुत नोकदार न लें एवं थोड़ी बड़ी लें, जिससे सुई में धागा पिरोना आसान हो सके। इसी तरह मोती भी हाथ से आसानी से पकड़े जा सकें ऐसे आकार के ही चुनें। सुईधागे में फूल पिरोना हो तो सुई नोकदार एवं पतली होनी चाहिए एवं धागा भी पतला लेना चाहिए। |
− | # कढ़ाई करना: कढ़ाई करना अर्थात् काढ़ना। दैनिक उपयोग की चीजों को अपनी कला कारीगरी से कैसे सुंदर बनाएँ इसका प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए कढ़ाई बहुत उपयोगी क्रियाकलाप है। यह कार्य आसान बनाने के लिए सुई भोथरी एवं बड़ी, कुछ मोटा धागा एवं टाट जैसे छिद्रोंवाला कपड़ा लेना चाहिए। अभ्यास करते करते समान नाप के टांके एवं ऐसे टांके लेने के लिए कितने छिद्रों की गिनती करनी पडेगी इसकी समझ, रंगों का संयोजन आदि मन में सही बैठते जाएँगे। यह क्रियाकलाप कक्षा २ में करवा सकते हैं। | + | # कढ़ाई करना: कढ़ाई करना अर्थात् काढ़ना। दैनिक उपयोग की चीजों को अपनी कला कारीगरी से कैसे सुंदर बनाएँ इसका प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए कढ़ाई बहुत उपयोगी क्रियाकलाप है। यह कार्य आसान बनाने के लिए सुई भोथरी एवं बड़ी, कुछ मोटा धागा एवं टाट जैसे छिद्रोंवाला कपड़ा लेना चाहिए। अभ्यास करते करते समान नाप के टांके एवं ऐसे टांके लेने के लिए कितने छिद्रों की गिनती करनी पड़ेगी इसकी समझ, रंगों का संयोजन आदि मन में सही बैठते जाएँगे। यह क्रियाकलाप कक्षा २ में करवा सकते हैं। |
| # गूंथना: इसका प्रथम चरण है मोटे धागे में गाँठे लगाना। सादी गाँठें लगाने में अधिक समय देने की आवश्यकता है। मोटे धागे को गाँठ लगाकर उसे खोलना भी सिखाना चाहिए। सादी गाँठ लगाना सीखने के बाद चोटी गूंथना सिखाना चाहिए। मोटी सुतली या मोटे मोटे तीन धागे लेकर चोटी गूंथना सिखाएँ। ऐसी गूंथी हुई लड़ियों की सहायता से आसन भी बनाया जा सकता है। फूलदानी रखने के लिए छोटी दरी भी बना सकते हैं। मालाएँ लटकाकर सजावट भी कर सकते हैं। | | # गूंथना: इसका प्रथम चरण है मोटे धागे में गाँठे लगाना। सादी गाँठें लगाने में अधिक समय देने की आवश्यकता है। मोटे धागे को गाँठ लगाकर उसे खोलना भी सिखाना चाहिए। सादी गाँठ लगाना सीखने के बाद चोटी गूंथना सिखाना चाहिए। मोटी सुतली या मोटे मोटे तीन धागे लेकर चोटी गूंथना सिखाएँ। ऐसी गूंथी हुई लड़ियों की सहायता से आसन भी बनाया जा सकता है। फूलदानी रखने के लिए छोटी दरी भी बना सकते हैं। मालाएँ लटकाकर सजावट भी कर सकते हैं। |
| # सावधानियाँ | | # सावधानियाँ |