Difference between revisions of "Education on Samskrti"
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− | पाने की प्रक्रिया क्या है : अधिजनन शास्त्र का अध्ययन (स्वाभाविक / कृत्रिम) | + | पाने की प्रक्रिया क्या है : अधिजनन शास्त्र का अध्ययन (स्वाभाविक / कृत्रिम) जुड़े हुए लोगोंं का मार्गदर्शन । |
संकल्प : विवेक के साथ । | संकल्प : विवेक के साथ । |
Latest revision as of 15:03, 7 March 2021
सारांश ।
लोकसंग्रह का संबंध संस्कृति से है | सभ्य व्यक्ति civilized व्यक्ति हो सक्ता है या गवार व्यक्ति हो सक्ता है | याने किसी समाज के साहित्य, संगीत, कला, रीति रिवाज की अभिव्यक्ति ठीक से जिस में होती है वह संस्कृति है । अंग्रेजी में सिव्हिलायझेशन शब्द (नगर के विषय में) है | किन्तु सभा में अच्छी तरह से व्यवहार (शिष्ट व्यवहार) करना (नागरि/ग्रामीण) ही सभ्यता है |
संस्कृति और अन्य शब्द ।
- संस्कृति - सम् (अच्छी या सबके लिए समान) और कृति (सर्वे भवन्तु सुखिन: से सुसंगत कृति) इन दो शब्दों से संस्कृति और संस्कार दोनों शब्द बने हैं ।
- प्रकृति - जो स्वाभाविक (कर्मों के अच्छे फल की इच्छा) है |
- संस्कृति - नि:स्वार्थ भावना से लोगोंं के हित के कर्म |
- विकृति - दूसरे के किये कर्मों का अच्छा फल उसे नहीं मुझे मिले ।
- संस्कार (संस्कृति का निकटतम शब्द) - भिन्न बातों का हमारे शरीर पर, मन पर, बुद्धि पर परिवर्तन करनेवाला जो प्रभाव पड़ता है | संस्कृति अच्छे/बुरे संस्कारों से बनती है | पितरों से स्वाभाविक | समाज की संस्कृति | १६ संस्कार कृत्रिम
अच्छा या बुरा काम (इच्छा) से सम्बंधित है । वह स्थल-काल में अंतर से बदलता है | जीवन के लक्ष्य की ओर ले जानेवाला अच्छा (eg: मूर्ति पूजा) और लक्ष्य से अन्यत्र ले जानेवाला बुरा है ।
अच्छे काम की ओर ले जाने वाले संस्कार करने की जिम्मेदारी समाज के अन्य घटकों की और वह संस्कार ग्रहण करने की जिम्मेदारी स्वयं व्यक्ति का है |
संस्कृति का सार्वत्रिकरण ।
संस्कृति व्यक्ति की नहीं समाज एवं राष्ट्र की आत्मा - जीवित होने का आधार है |
सुख शान्ति से चलाने के लिए संस्कृति का सार्वत्रिक होना आवश्यक है ।
विषय क्षेत्र ।
भाषा राष्ट्र की संस्कृति के अनुसार आकार (अभिव्यक्ति) लेती है | अंग्रेजी भाषा की बहुत सारे मुहावरों के समानार्थी हिंदी मुहावरें नहीं हैं | (might is right etc ) दुनिया में कोई समाज नहीं जो बलवान बना किंतु आक्रमण नहीं किया । काम पुरुषार्थ जब धर्म से नियमित, मार्गदर्शित और निर्देशित होता है तब मनुष्य को भगवान की ओर ले जाता है ।
आत्मनो मोक्षार्थं जगतः हिताय च | ātmano mokṣārthaṁ jagataḥ hitāya ca |
मतलब समाज और पर्यावरण का हित करने के लिए किये गए व्यवहार ही संस्कृति है ।
इष्ट गति एवं प्रचार ।
जिस गति से समाज का अंतिम व्यक्ति भी साथ चल सके, जिसमें धर्म तथा संस्कृति के पनपने के लिए वातावरण रहे |
धार्मिक संस्कृति के वैश्विक विस्तार के कारण सभी राज्यों की जनता समान संस्कृति की थी | शरद हेबालकर “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” ग्रन्थ में यह चार तालिकाओं में लिखिते हैं ।
हजार वर्ष पूर्व तक सीमाएँ ईरान से ब्राह्मदेश और हिमालय से समुद्रतक फैली हुई थीं । दीर्घ काल तक भारतवर्ष की भूमि के निरंतर घटने के (संख्या में भी घटे) इतिहास के कुछ तथ्य :
- युधिष्ठिर द्वारा किये यज्ञ में अतिथि के रूप में बुलाने के लिये अर्जुन मेक्सिको के राजा तक गये ।
- अरबस्तान में ईस्लामी सत्ता सन 632 में और 642 तक इस्लामी सत्ता अफगानिस्तान को पादाक्रांत कर हिंदुकुश तक थी । धर्मसत्ता और राजसत्ता बेखबर |
- पारसी लोग ईस्लाम के आक्रमण से ध्वस्त होकर 637 से 641 के मध्य भारत के शरण में आए |
- 743 मे ‘देवल स्मृति’ में धर्मांतरित लोगोंं को परावर्तित कर फिर से हिंदु बनाने का प्रावधान | जो मुसलमान बन गए उनको हिंदु मानना था या फिर उन्हें हिंदु बनाना था |
अंग्रेजी शासन का भारत राष्ट्र की संस्कृति पर हुआ परिणाम कुछ इस प्रकार हैं :
- गुलामी की मानसिकता |
- हीनताबोध, आत्मनिंदाग्रस्तता |
- आत्मविश्वासहीनता |
- आत्म-विस्मृति |
- अधार्मिक याने अंग्रेजी जीवन के प्रतिमान के स्वीकार की मानसिकता |
साध्य ।
मर्म बिन्दु ।
शिक्षण व्यवस्था ।
- घर की व्यवस्था ऐसे की शास्त्र ग्रंथों का, देवा पूजा का, यज्ञ का नियमित सानिध्य हो ।
- घर में सदा श्लोकों/मन्त्रों का पठन /श्रवण हो ।
- शुद्ध मातृभाषा का प्रयोग (जिससे भविष्य में अनुवाद का कार्य भी हो सके) ।
- दान दिलवाना/देना हो ।
- द्रव्य एवं समाज हित यज्ञ में सहभागी करवाना ।
- अनुलोम/विलोम प्राणायाम का परिचय करवाना ।
- ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
- ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना ।
- ब्राह्मण के अनुकूल/अनुरूप खेल खिलवाना ।
रक्षण व्यवस्था ।
- घर की व्यवस्था ऐसे की शस्त्रों का, राजर्षियों के चित्रों का नियमित सानिध्य रहे ।
- घर में सदा राजा सम्बंधित गीतों/नारों का पठन /श्रवण हो ।
- भय से मुक्ति के लिए चुनौतियों (challenging परिस्थितिओं ) का सामना/exposure ।
- विद्वानों एवं दुर्बल सज्जनों को दान देने का वातावरण हो ।
- शारीरिक बल के लिए खेल/व्यायाम ।
- शत्रुओं की भाषा सीखना ।
- क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
- क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना ।
- क्षत्रिय के अनुकूल/अनुरूप खेल खेलना ।
पोषण व्यवस्था ।
- घर की व्यवस्था ऐसे की नैसर्गिक उत्पादनों का, कृषि एवं धेनु, प्रकृति का संतुलन बिगाड़े बिना उत्पादित वस्तुओं का नियमित सानिध्य ।
- घर में सदा अन्न उत्पादन सम्बंधित विषयों की चर्चा/कार्य ।
- शुद्धजैविक खेती का प्रयोग ।
- दान देना ।
- घर के सभी सदस्यों का व्यवसाय में कुछ न कुछ महत्त्वपूर्ण योगदान हो |
- विदेशी वस्तुओं, स्वदेशी raw material (कच्चे माल) एवं by products (waste) का परिचय हो जिससे उन्हें उत्पादन कार्य से दूर रख सकें ।
- स्वयं एवं अन्यों के घर में गव्य पदार्थों का उपयोग ।
- यज्ञ कार्यों को आश्रय देना ।
- कलाकार, आचार्य, शिक्षक, पहलवान/रक्षक, वैद्य, आदि के पोषण ।
- वैश्य के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
- वैश्य के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना ।
- वैश्य के अनुकूल/अनुरूप खेल खेलना ।
- अन्यों को विशेष करके अन्न दान देना ।
अपनी भूमिका ।
- दूसरों के अधिकारों के लिए प्रयास एवं स्वयं के कर्तव्यों का पालन ।
- माता/पिता को वर्ण धर्म समझकर शिशु का निरीक्षण करना ।
- संस्कृत भाषा में नियमित रूप से सम्भाषण होना ।
- वर्णानुसार कथा (ब्राह्मण/वैश्य के लिए अधिक प्रयत्न आवश्यक) ।
- वर्ण के अनुकूल/अनुरूप चित्र बनाना/बनवाना ।
- वर्ण के अनुकूल/अनुरूप नाटक करवाना ।
- वर्ण के अनुकूल/अनुरूप खेल खेलना/खिलवाना ।
- अपने से श्रेष्ठ संतति को जन्म देना ।
- सामासिक धर्मों का ज्ञान एवं उन्हें संस्कारित करना जिससे उसके विरोध कार्य न करें ।
- बाल्य और शिशु-अवस्था मे (धर्मशास्त्र) भगवद्गीता का कंठस्थीकरण जैसे कथारूपी गीता ।
- क्रमशः कुमारावस्था मे उचित साहित्य प्राप्त करके देना [व्यवहार शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित करना ] | युवावस्था मे उस अवस्था के लिए चयन किये गये भाष्य उपलब्ध कराना ।
आयु की अवस्था | | करणीय कार्य | |
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गर्भपूर्व अवस्था ॥ Before Conception |
तैयारी : उपनयन के पूर्व के सभी संस्कारों का अध्ययन | 4 आदतें ढालना |
गतिमान संतुलन (dynamic balance) : विस्तार - ब्राह्मण : प्रस्तुति । क्षत्रिय : प्रचार । इष्ट गति : अष्टांग योग / यम नियम का पालन । बैठक : खेल (आक्रोश व्यक्त), गीत ,कहानी ,चर्चा । |
गर्भावस्था ॥ During Pregnancy |
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शिशु अवस्था ॥ Childhood (Until the age of 5years) |
दिशा पर जोर :
गति : शरीर की गति अधिक, मन / बुद्धि की गति कम | अन्त में - तीन संस्कारों में अपेक्षित क्या है | |
बाल अवस्था ॥ Childhood (From the age between 6 to 10 years) |
दिशा पर जोर :
वर्णानुसार 8 संस्कार निरीक्षण और अनुभव अवसर । पंढरपुर वारी : last person should also be taken along (even गर्भवती महिला) |
किशोर अवस्था ॥ Adolescence (Age between 11 and 15 years) |
युक्ता गति पर जोर :
अन्त मे परमोच्य बिंदु | पाने की प्रक्रिया क्या है : अधिजनन शास्त्र का अध्ययन (स्वाभाविक / कृत्रिम) जुड़े हुए लोगोंं का मार्गदर्शन । संकल्प : विवेक के साथ । तैयारी :
गर्भपूर्व - गर्भादान / पुंसावन और सीमन्तोनयन का अध्ययन और आचरण | हर संस्कार का अध्ययन और आचरण - 2 चरण पहले; और आचरण ढालना । गर्भावस्था, शिशु , बाल्य, किशोर / युवा - शास्त्र शुद्ध पक्ष (शास्त्रीय) | (64) कलायें । गर्भावस्था, शिशु , बाल्य - लोक शिक्षा, धर्म शिक्षा; एकात्मता (not एकता) (विविधता का आधार) । |
युवा अवस्था ॥ Youth (Age between 16 and 25 years) |
Samavartana संस्कार :
Meaning: Speak the Truth. Practice Virtue. Do not neglect your daily Study. Offer to the Teacher whatever pleases him. Do not cut off the line of progeny. Do not neglect Truth. Do not neglect Virtue. Do not neglect Welfare. Do not neglect Prosperity. Do not neglect Study and Teaching.
Meaning: Do not neglect your duty towards the deities and the Ancestors. Regard the Mother as your Supreme deity. Regard the Father as your Supreme deity. Regard the Teacher as your Supreme deity. Regard the Guest as your Supreme deity. Whatever deeds are blameless, they are to be practised, not others. Only the good practices are among us are to be adopted by you, not others.
Meaning: Whatever Brahmanas are superior to us, should be honoured by you by offering a seat. Gift should be given with shraddha, it should not be given without Shraddha, should be given in Plenty, with Modesty, with Awe, with compassion.
Meaning: As the Brahmanas who are competent to judge, adept in Duty, not led by others, not harsh, not led by passion, in the manner they would behave thus should you behave. Then as to the persons accused of guilt like the Brahmanas who are adept at deliberation who are competent to judge, not directed by others not harsh, not moved by passion, as they would behave in such cases thus should you behave. This is the Command. This is the Teaching. This is the secret Doctrine of the Veda. This is the Instruction. Thus should one worship. Thus indeed should one worship. इस आयु में अब युवक स्वतन्त्र रूप में भी कई बातें करने की स्थिति में होता है | अपना व्यवहार वर्णानुसारी रखना | बड़ी जिम्मेदारियों के लिए प्रस्तुत होना | लोकसंग्रह करना |
Meaning: जिसे सुख की अभिलाषा हो (कष्ट उठाना न हो) उसे विद्या कहाँ से ? और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? सुख की ईच्छा रखनेवाले ने विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी ने सुख की । शैक्षणिक कार्य
रक्षण कार्य
पोषण कार्य
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गृहस्थ अवस्था ॥ Householder's phase (Age between 26 to 60) |
वर्ण के अनुसार वर वधु चयन (विवाह संस्कार) [Keep जाति but focus on सवर्ण] | सारे विषय समझाना |
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प्रौढ और वृद्ध अवस्था ॥ Old age |