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भारतीय ज्ञानधारा का मूल अधिष्ठान आधात्मिक है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ६, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>।
 
भारतीय ज्ञानधारा का मूल अधिष्ठान आधात्मिक है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ६, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>।
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.. तथा अन्य व्यवस्थायें आदि सभीमें व्यक्त होती है । अत:
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''.. तथा अन्य व्यवस्थायें आदि सभीमें व्यक्त होती है । अत:''
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वह जब नियम और व्यवस्था में रूपान्तरित होता है तब वह... सभी पहलुओं का एकसाथ विचार करना आवश्यक हो
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''वह जब नियम और व्यवस्था में रूपान्तरित होता है तब वह... सभी पहलुओं का एकसाथ विचार करना आवश्यक हो''
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धर्म का स्वरूप धारण करता है और व्यवहार की शैली में... जाता है। किसी एक पहलू का भारतीयकरण करना और
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''धर्म का स्वरूप धारण करता है और व्यवहार की शैली में... जाता है। किसी एक पहलू का भारतीयकरण करना और''
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उतरता है तब संस्कृति बनता है । हमारे विद्यालयों में, घरों शेष वैसे के वैसे रहने देना फलदायी नहीं होता । उनका
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''उतरता है तब संस्कृति बनता है । हमारे विद्यालयों में, घरों शेष वैसे के वैसे रहने देना फलदायी नहीं होता । उनका''
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में, विचारों के आदानप्रदान के सर्व प्रकार के कार्यक्रमों में... तालमेल ही नहीं बैठता ।
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''में, विचारों के आदानप्रदान के सर्व प्रकार के कार्यक्रमों में... तालमेल ही नहीं बैठता ।''
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औपचारिक, अनौपचारिक पद्धति से जो ज्ञानधारा प्रवाहित इस अध्याय में हम विषयों के सांस्कृतिक स्वरूप की
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''औपचारिक, अनौपचारिक पद्धति से जो ज्ञानधारा प्रवाहित इस अध्याय में हम विषयों के सांस्कृतिक स्वरूप की''
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होती है उसका स्वरूप सांस्कृतिक होना अपेक्षित है । यदि... बात करेंगे ।
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''होती है उसका स्वरूप सांस्कृतिक होना अपेक्षित है । यदि... बात करेंगे ।''
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वह भौतिक है तो भारतीय नहीं है, सांस्कृतिक है तो
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''वह भौतिक है तो भारतीय नहीं है, सांस्कृतिक है तो''
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भारतीय है ऐसा स्पष्ट विभाजन किया जा सकता है । विषयों का वरीयता क्रम
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''भारतीय है ऐसा स्पष्ट विभाजन किया जा सकता है । विषयों का वरीयता क्रम''
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ज्ञानधारा का सांस्कृतिक स्वरूप भौतिक स्वरूप का वास्तव में व्यक्तित्व विकास की हमारी संकल्पना के
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''ज्ञानधारा का सांस्कृतिक स्वरूप भौतिक स्वरूप का वास्तव में व्यक्तित्व विकास की हमारी संकल्पना के''
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विरोधी नहीं है, वह भौतिक स्वरूप के लिए भी अधिष्ठान है । अनुसार विषयों का वरीयता क्रम निश्चित होना चाहिए । यह
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''विरोधी नहीं है, वह भौतिक स्वरूप के लिए भी अधिष्ठान है । अनुसार विषयों का वरीयता क्रम निश्चित होना चाहिए । यह''
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सांस्कृतिक स्वरूप भौतिक स्वरूप से कुछ आगे ही है । क्रम कुछ ऐसा बनेगा ...
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''सांस्कृतिक स्वरूप भौतिक स्वरूप से कुछ आगे ही है । क्रम कुछ ऐसा बनेगा ...''
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शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञानघारा विषय, विषयों & १... परमेष्टि से संबन्धित विषय प्रथम क्रम में आयेंगे । ये
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''शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञानघारा विषय, विषयों & १... परमेष्टि से संबन्धित विषय प्रथम क्रम में आयेंगे । ये''
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पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रमों की विषयवस्तु, उसके अनुरूप विषय हैं अध्यात्मशास्त्र, धर्मशास्त्र, तत्त्वज्ञान और
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''पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रमों की विषयवस्तु, उसके अनुरूप विषय हैं अध्यात्मशास्त्र, धर्मशास्त्र, तत्त्वज्ञान और''
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Ra wearers के पाठ, अन्य साधनसामाग्री, संस्कृति ।
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''Ra wearers के पाठ, अन्य साधनसामाग्री, संस्कृति ।''
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अध्ययन अध्यापन पद्धति, अध्ययन हेतु की गई भौतिक. २... सृष्टि से संबन्धित विषय ये हैं। भौतिक विज्ञान
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''अध्ययन अध्यापन पद्धति, अध्ययन हेतु की गई भौतिक. २... सृष्टि से संबन्धित विषय ये हैं। भौतिक विज्ञान''
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BKB
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''BKB''
    
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x. व्यष्टि से संबन्धित विषय । इनमें योग, शारीरिक... सांस्कृतिक स्वरूप कैसा होता है इसका विचार करेंगे ।
 
x. व्यष्टि से संबन्धित विषय । इनमें योग, शारीरिक... सांस्कृतिक स्वरूप कैसा होता है इसका विचार करेंगे ।
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अध्यात्म, धर्म, संस्कृति, तत्त्वज्ञान
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== अध्यात्म, धर्म, संस्कृति, तत्त्वज्ञान ==
 
   
ये सब आधारभूत विषय हैं । गर्भावस्‍था से लेकर. से उच्च शिक्षा तक सर्वत्र अनिवार्य होने चाहिए ।
 
ये सब आधारभूत विषय हैं । गर्भावस्‍था से लेकर. से उच्च शिक्षा तक सर्वत्र अनिवार्य होने चाहिए ।
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== समाजशास्त्र ==
 
समाजशास्त्र भारतीय ज्ञानक्षेत्र में स्मृति के नाम से
 
समाजशास्त्र भारतीय ज्ञानक्षेत्र में स्मृति के नाम से
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हो गईं हैं और दूसरी ओर बदनाम हुई है । बदनामी का... होगी । शिक्षाक्षेत्र की यह बड़ी चुनौती है ।
 
हो गईं हैं और दूसरी ओर बदनाम हुई है । बदनामी का... होगी । शिक्षाक्षेत्र की यह बड़ी चुनौती है ।
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अर्थशास्त्र
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== अर्थशास्त्र ==
 
   
वर्तमान समय में जीवन अर्थनिष्ठ बन गया है और है । मोक्ष साध्य है, प्रत्येक मनुष्य का जाने अनजाने, चाहे
 
वर्तमान समय में जीवन अर्थनिष्ठ बन गया है और है । मोक्ष साध्य है, प्रत्येक मनुष्य का जाने अनजाने, चाहे
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यह काम, पूर्व में बताया गया है कि, मनुष्य की
 
यह काम, पूर्व में बताया गया है कि, मनुष्य की
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अर्थ, स्वरूप एवं व्याप्त
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=== अर्थ, स्वरूप एवं व्याप्ति ===
 
   
अर्थशास्त्र का विचार करना है तो उसे "६८०ा0705'
 
अर्थशास्त्र का विचार करना है तो उसे "६८०ा0705'
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इस काम को त्रिवर्ग का एक पुरुषार्थ माना गया है ।
 
इस काम को त्रिवर्ग का एक पुरुषार्थ माना गया है ।
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पुरुषार्थ चतुष्टय कामनापूर्ति के लिये जो भी प्रयास किये जाते हैं और
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=== पुरुषार्थ चतुष्टय ===
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कामनापूर्ति के लिये जो भी प्रयास किये जाते हैं और
    
चार पुरुषार्थ हैं - धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष । इनके जो भी संसाधन जुटाये जाते हैं वे अर्थ हैं और जो भी किया
 
चार पुरुषार्थ हैं - धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष । इनके जो भी संसाधन जुटाये जाते हैं वे अर्थ हैं और जो भी किया
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धर्माधारित होना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी ।
 
धर्माधारित होना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी ।
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इच्छा और आवश्यकता
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=== इच्छा और आवश्यकता ===
 
   
काम पुरुषार्थ की चर्चा करते समय बताया गया कि
 
काम पुरुषार्थ की चर्चा करते समय बताया गया कि
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२... अकाल, अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय
 
२... अकाल, अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय
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इतिहास
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== इतिहास ==
 
   
इतिहास को हम राजकीय इतिहास के रूप में ही... प्रशासन के ही हाथ में हमने दे दी है । अथवा ब्रिटिश
 
इतिहास को हम राजकीय इतिहास के रूप में ही... प्रशासन के ही हाथ में हमने दे दी है । अथवा ब्रिटिश
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
 
भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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विज्ञान
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== विज्ञान ==
 
   
आज का युग विज्ञान और वैज्ञानिकता का है ऐसा
 
आज का युग विज्ञान और वैज्ञानिकता का है ऐसा
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आवश्यकता है ।
 
आवश्यकता है ।
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तंत्रज्ञान
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== तंत्रज्ञान ==
 
   
विज्ञान की ही तरह तंत्रज्ञान का भूत भी हमारे
 
विज्ञान की ही तरह तंत्रज्ञान का भूत भी हमारे
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
 
भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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भाषा
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== भाषा ==
 
   
मनुष्य के व्यक्तित्व के साथ भाषा अविभाज्य अंग के
 
मनुष्य के व्यक्तित्व के साथ भाषा अविभाज्य अंग के
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और परावाणी से अनुस्यूत वैखरी भाषाप्रभुत्व के लक्षण हैं। . सत्य है।
 
और परावाणी से अनुस्यूत वैखरी भाषाप्रभुत्व के लक्षण हैं। . सत्य है।
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उपसंहार
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== उपसंहार ==
 
   
यहाँ कुछ विषयों का सांस्कृतिक स्वरूप देने का प्रयास हुआ है। हर विषय के बारे में इस प्रकार से विचार करना
 
यहाँ कुछ विषयों का सांस्कृतिक स्वरूप देने का प्रयास हुआ है। हर विषय के बारे में इस प्रकार से विचार करना
  

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