Difference between revisions of "मोर की शिकायत"
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खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ हमारे पास नहीं है, उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार कर खुश रहना चाहिए । | खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ हमारे पास नहीं है, उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार कर खुश रहना चाहिए । | ||
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Revision as of 22:31, 12 December 2020
यह कहानी प्रेरणादायक एवं अद्भुत है जिसे बच्चों को अवश्य सुनाना चाहिए । एक जंगल में एक मोर था जो बहुत सुन्दर था, उसके पंख बेहद खूबसूरत थे। एक दिन बहुत ही जोरदार बारिश हुई और मोर नाचने व गाने लगा। नाचते हुए वह अपनी खूबसूरती को देख रहा था, पर अचानक उसका ध्यान अपनी आवाज पर गयी जो कि बेहद ही बेसुरी और कठोर थी। इस बात का आभास होते ही वह बेहद उदास हो गया और उसके आंखों से आंसू निकालाने लगे।
तभी अचानक, उसे एक कोयल की मधुर आवाज सुनाई दी। कोयल की मधुर आवाज को सुनकर, मोर को अपनी कमी का एक बार फिर एहसास हुआ। वह सोचने लगा कि भगवान ने उसे सुंदरता तो दी पर बेसुरा क्यों बनाया? वह सोच ही रहा था तभी अचानक एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने मोर से पूछा “मोर, तुम उदास क्यो हो?” मोर ने देवी से अपनी बेसुरी आवाज के बारे में शिकायत की और उनसे पूछा, "कोयल की आवाज इतनी मीठी है पर मेरी क्यों नहीं? अतः मैंं दुखी हूँ।"
मोर की बात सुनकर, देवी ने समझाया, “भगवान के द्वारा सभी का हिस्सा निर्धारित है जो हर जीव को अपने तरीके से मिलता है और सभी मे कुछ न कुछ खास होता है। भगवान ने उन्हें अलग–अलग बनाया है परन्तु वे एक निश्चित काम के लिए हैं। उन्होंने मोर को सुंदरता दी, शेर को ताकत और कोयल को मीठी आवाज! हमें भगवान के दिए इन उपहारों का सम्मान करना चाहिए और जितना हमे भगवान ने दिया उतने में ही खुश रहना चाहिए और उनका धन्यवाद करना चाहिए।”
देवी की बातों को सुनकर मोर समझ गया कि कभी हमें दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि खुद के गुणों की सराहना करनी चाहिए और इन गुणों को और निखारना चाहिए। मोर उस दिन समझा कि हर व्यक्ति किसी न किसी तरह विशेष होता है।
कहानी से सीख
खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ हमारे पास नहीं है, उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार कर खुश रहना चाहिए ।