Difference between revisions of "चालाक लोमड़ी और कौए की कहानी"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
m (Text replacement - "लोगो" to "लोगों")
m (Text replacement - "कथाए" to "कथाएँ")
Tags: Mobile edit Mobile web edit
 
Line 9: Line 9:
 
== कहानी से सीख ==
 
== कहानी से सीख ==
 
हमें कभी भी किसी की बहकाने वाली और मीठी मीठी बातों में नहीं आना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगोंं से बचना चाहिए, जो आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के बारे में सोचते हैं। ऐसे लोगोंं से जितना दूरी बना कर रखें, उतना अच्छा है।
 
हमें कभी भी किसी की बहकाने वाली और मीठी मीठी बातों में नहीं आना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगोंं से बचना चाहिए, जो आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के बारे में सोचते हैं। ऐसे लोगोंं से जितना दूरी बना कर रखें, उतना अच्छा है।
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
+
[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]

Latest revision as of 22:30, 12 December 2020

एक दिन की बात है, एक जंगल में कौआ रहता था। कोई भी उसके साथ रहना पसंद नहीं करता था, क्योंकि वह सदा अपनी बेसुरीली और कठोर आवाज में गाता रहता था और सभी जानवर उससे परेशान थे। एक दिन वह भोजन की तलाश में जंगल से दूर एक रिहायशी इलाके की ओर निकल कर आ गया। किस्मत से उसे वहां एक रोटी मिल गई। रोटी लेकर वो वापस जंगल में आ गया और आकर अपने पेड़ पर बैठ गया।

जहाँ वह पेड़ था, वहीं से एक लोमड़ी जा रही थी और उसे बहुत तेज भूख लगी हुई थी। लोमड़ी की नजर पेड़ पर बैठे उस कौए पर पड़ी। उसने कौए के पास रोटी देखी और रोटी को किसी तरह प्राप्त कर सके इसका विचार करने लगी। जैसे ही कौआ रोटी खाने की शुरुआत करने वाला था वैसे ही नीचे से लोमड़ी की आवाज आई – “अरे कौआ महाराज, मैंंने सुना है कि यहां पर कोई कौआ है जिसकी आवाज बहुत ही मधुर है और वह बहुत ही सुरीली आवाज में गाना गाता है, क्या वो आप हैं?”

लोमड़ी के मुख से अपनी मधुर आवाज की प्रशंसा सुनकर कौआ मन ही मन बहुत गदगद होने लगा, और अपना सीना तानकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।लोमड़ी आश्चर्य मुद्रा बनाकर बोली, कि क्यों मजाक कर रहे आप? आप इतना मधुर गाते हैं, मैंं यह कैसे मान लूं? अगर आप एकबार गा कर बताएंगे, तो ही मुझे विश्वाश हो सकता है ।

कौवे ने लाेमड़ी के मुख से अपनी प्रशंसा की बात सुनकर और लोमड़ी की बट में आकर गाना गाना आरम्भ कर दिया। जैसे ही कौए ने गाने को आरम्भ किया वैसे ही उसके मुंह में दबी रोटी नीचे गिर गई। जैसे ही रोटी नीचे गिरी वैसे ही लोमड़ी ने रोटी पर झपट्टा मारा और रोटी लेकर वहां से चली गई। भूखा कौआ लोमड़ी को देखता रह गया और अपने किए पर बहुत पछताने लगा।

कहानी से सीख

हमें कभी भी किसी की बहकाने वाली और मीठी मीठी बातों में नहीं आना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगोंं से बचना चाहिए, जो आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के बारे में सोचते हैं। ऐसे लोगोंं से जितना दूरी बना कर रखें, उतना अच्छा है।