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एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था। वह सुबह उठता, स्नान करता, पूजा पाठ कर, खाना खाता और फिर सो जाता था। उसके पास किसी भी वस्तु की कमी नहीं थी। एक बड़ा खेत, खाना बनाकर देने वाली एक सुन्दर-सी पत्नी और दो बच्चों का भरापूरा परिवार था। सब कुछ होते हुए भी ब्राह्मण के घरवाले एक बात से बहुत अधिक परेशान थे, कि ब्राह्मण बहुत आलसी था। ब्राह्मण कोई भी काम स्वयं नहीं करता था, हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता था और दिन भर सोता रहता था।
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एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था। वह सुबह उठता, स्नान करता, पूजा पाठ कर, खाना खाता और फिर सो जाता था। उसके पास किसी भी वस्तु की कमी नहीं थी। एक बड़ा खेत, खाना बनाकर देने वाली एक सुन्दर-सी पत्नी और दो बच्चों का भरापूरा परिवार था। सब कुछ होते हुए भी ब्राह्मण के घरवाले एक बात से बहुत अधिक परेशान थे, कि ब्राह्मण बहुत आलसी था। ब्राह्मण कोई भी काम स्वयं नहीं करता था, सदा दूसरों पर निर्भर रहता था और दिन भर सोता रहता था।
    
एक दिन ब्राह्मण सोया था, अचानक बच्चे जोर जोर से चिल्लाने लगे। शोर गुल की आवाज सुनकर ब्राह्मण जाग गया और उसने देखा कि उसके द्वार पर एक साधु महाराज खड़े हैं। द्वार पर साधू महाराज को खड़ा देख, तुरंत ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने साधु महाराज का स्वागत किया और उन्हें भोजन कराया। भोजन के बाद ब्राह्मण ने साधु की खूब मन लगाकर सेवा की। साधु महाराज ब्राह्मण परिवार की सेवा भाव से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मण ने अपन प्रिय वरदान मांगा कि मुझे कोई भी काम न करना पड़े और मेरी जगह कोई और मेरा काम कर दे।
 
एक दिन ब्राह्मण सोया था, अचानक बच्चे जोर जोर से चिल्लाने लगे। शोर गुल की आवाज सुनकर ब्राह्मण जाग गया और उसने देखा कि उसके द्वार पर एक साधु महाराज खड़े हैं। द्वार पर साधू महाराज को खड़ा देख, तुरंत ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने साधु महाराज का स्वागत किया और उन्हें भोजन कराया। भोजन के बाद ब्राह्मण ने साधु की खूब मन लगाकर सेवा की। साधु महाराज ब्राह्मण परिवार की सेवा भाव से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मण ने अपन प्रिय वरदान मांगा कि मुझे कोई भी काम न करना पड़े और मेरी जगह कोई और मेरा काम कर दे।
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साधु ब्राह्मण को वरदान में एक जिन्न देते हैं और कहते है की जिन्न को हमेशा काम में व्यस्त रखना, अगर उसे काम नहीं दिया, तो वो तुम्हें खा जाएगा। वरदान पाकर ब्राह्मण मन ही मन बहुत प्रसन्न  हुआ और साधु को आदर के साथ विदा किया। साधु के जाते ही वहां एक जिन्न प्रकट हुआ। पहले तो ब्राह्मण उसे देखकर डर जाता है, लेकिन जैसे ही वो ब्राह्मण से काम मांगता है, तब ब्राह्मण का डर दूर हो जाता है और वो उसे पहला काम खेत जोतने का देता है।
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साधु ब्राह्मण को वरदान में एक जिन्न देते हैं और कहते है की जिन्न को सदा काम में व्यस्त रखना, अगर उसे काम नहीं दिया, तो वो तुम्हें खा जाएगा। वरदान पाकर ब्राह्मण मन ही मन बहुत प्रसन्न  हुआ और साधु को आदर के साथ विदा किया। साधु के जाते ही वहां एक जिन्न प्रकट हुआ। पहले तो ब्राह्मण उसे देखकर डर जाता है, लेकिन जैसे ही वो ब्राह्मण से काम मांगता है, तब ब्राह्मण का डर दूर हो जाता है और वो उसे पहला काम खेत जोतने का देता है।
    
जिन्न वहां से गायब हो जाता है और ब्राह्मण की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। कुछ ही देर में जिन्न फिर आ जाता है और बोलता है कि खेत जोत दिया, दूसरा काम दीजिए। ब्राह्मण सोचता है कि इतना बड़ा खेत इसने इतनी जल्दी कैसे जोत दिया। ब्राह्मण इतना सोच ही रहा था कि जिन्न बोलता है कि जल्दी मुझे काम बताओ नहीं तो मैंं आपको खा जाऊंगा।
 
जिन्न वहां से गायब हो जाता है और ब्राह्मण की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। कुछ ही देर में जिन्न फिर आ जाता है और बोलता है कि खेत जोत दिया, दूसरा काम दीजिए। ब्राह्मण सोचता है कि इतना बड़ा खेत इसने इतनी जल्दी कैसे जोत दिया। ब्राह्मण इतना सोच ही रहा था कि जिन्न बोलता है कि जल्दी मुझे काम बताओ नहीं तो मैंं आपको खा जाऊंगा।

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