Difference between revisions of "चुटियों की एकता"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
(लेख सम्पादित किया)
m (Text replacement - "इसलिए" to "अतः")
 
Line 1: Line 1:
 
घने जंगल में एक वृक्ष के बिल में एक सर्प रहता था | वह उस जंगल के छोटे प्राणियों  , पक्षियों और उनके अण्डों  को खा जाता था | वह दिन भर में सोता रहता था और रात्रि के समय शिकार करने के लिए घूमता रहता था | वह सर्प जंगलो में शिकार को खा  - खा  कर इतना मोटा और विशाल हो गया की हो गया कि वक सर्प अपने ही बिल में जा नहीं पा रहा था उसका बिल ही उसके शारीर के अपेक्षा छोटा हो गया था |  
 
घने जंगल में एक वृक्ष के बिल में एक सर्प रहता था | वह उस जंगल के छोटे प्राणियों  , पक्षियों और उनके अण्डों  को खा जाता था | वह दिन भर में सोता रहता था और रात्रि के समय शिकार करने के लिए घूमता रहता था | वह सर्प जंगलो में शिकार को खा  - खा  कर इतना मोटा और विशाल हो गया की हो गया कि वक सर्प अपने ही बिल में जा नहीं पा रहा था उसका बिल ही उसके शारीर के अपेक्षा छोटा हो गया था |  
  
इसलिए वह सर्प  नए घर  में इधर -  उधर भटकने लगा |एक दिन वह एक जंगल से गुजर रहा था तो उसे एक आम के पेड़ पर एक बड़ा बिल दिखाइ दिया | उसने उस जंगल के प्राणी और पक्षिओ को कहा की ,”तुम सब अब से मेरे घर के आस –पास नहीं दिखो गे |”
+
अतः वह सर्प  नए घर  में इधर -  उधर भटकने लगा |एक दिन वह एक जंगल से गुजर रहा था तो उसे एक आम के पेड़ पर एक बड़ा बिल दिखाइ दिया | उसने उस जंगल के प्राणी और पक्षिओ को कहा की ,”तुम सब अब से मेरे घर के आस –पास नहीं दिखो गे |”
  
 
उस जंगल के सारे प्राणी और पक्षी इधर – उधर भागने लगे परन्तु चीटियाँ वह से नहीं हटी | उन चीटियों ने साप से कहा की ,”हम सबने यह घर बहुत परिश्रम से बनया है |" साप ने चीटियों की बात न मानी |
 
उस जंगल के सारे प्राणी और पक्षी इधर – उधर भागने लगे परन्तु चीटियाँ वह से नहीं हटी | उन चीटियों ने साप से कहा की ,”हम सबने यह घर बहुत परिश्रम से बनया है |" साप ने चीटियों की बात न मानी |

Latest revision as of 21:29, 26 October 2020

घने जंगल में एक वृक्ष के बिल में एक सर्प रहता था | वह उस जंगल के छोटे प्राणियों , पक्षियों और उनके अण्डों को खा जाता था | वह दिन भर में सोता रहता था और रात्रि के समय शिकार करने के लिए घूमता रहता था | वह सर्प जंगलो में शिकार को खा - खा कर इतना मोटा और विशाल हो गया की हो गया कि वक सर्प अपने ही बिल में जा नहीं पा रहा था उसका बिल ही उसके शारीर के अपेक्षा छोटा हो गया था |

अतः वह सर्प नए घर में इधर - उधर भटकने लगा |एक दिन वह एक जंगल से गुजर रहा था तो उसे एक आम के पेड़ पर एक बड़ा बिल दिखाइ दिया | उसने उस जंगल के प्राणी और पक्षिओ को कहा की ,”तुम सब अब से मेरे घर के आस –पास नहीं दिखो गे |”

उस जंगल के सारे प्राणी और पक्षी इधर – उधर भागने लगे परन्तु चीटियाँ वह से नहीं हटी | उन चीटियों ने साप से कहा की ,”हम सबने यह घर बहुत परिश्रम से बनया है |" साप ने चीटियों की बात न मानी |

चीटियों ने साप को घेर लिया और काटने लगे | साप वहां से भयभीत हो कार भाग गया | साप के भाग के बाद वहां के सारे प्राणी और पक्षी खुशी -खुशी उस जंगल में एक साथ रहने लगे |

शिक्षा :- एकता में शक्ति होती है |