Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - चोर की खोज"
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− | राजा कृष्णदेव राय जी के राज्य विजयनगर में चोरियां बहुत अधिक होने लगी थी। सभी धनवान व्यक्ति और व्यापारी बहुत परेशान थे। सभी लोगो ने | + | राजा कृष्णदेव राय जी के राज्य विजयनगर में चोरियां बहुत अधिक होने लगी थी। सभी धनवान व्यक्ति और व्यापारी बहुत परेशान थे। सभी लोगो ने राजसभा में जाकर राजा को इस घटना के बारे में अवगत कराया और शीघ्र सुरक्षा कर उन चोरो को पकड़ने का निवेदन किया । |
महाराज कृष्णदेवराय जी को यह बात चिंताजनक लगी उन्होंने अपने मंत्रियों को बुलाकर आदेश दिया कि तुरंत इस समस्या का समाधान किया जाये क्योंकि अगर ऐसे ही चोरियां होतो रही तो सभी व्यापारी विजयनगर छोड़कर चले जायेंगे और राज्य को बहुत नुकसान होगा। मंत्रियों ने बहुत प्रयास किया परन्तु चोरियां रोकने में असमर्थ रहे। | महाराज कृष्णदेवराय जी को यह बात चिंताजनक लगी उन्होंने अपने मंत्रियों को बुलाकर आदेश दिया कि तुरंत इस समस्या का समाधान किया जाये क्योंकि अगर ऐसे ही चोरियां होतो रही तो सभी व्यापारी विजयनगर छोड़कर चले जायेंगे और राज्य को बहुत नुकसान होगा। मंत्रियों ने बहुत प्रयास किया परन्तु चोरियां रोकने में असमर्थ रहे। | ||
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तेनालीरामा जी ने कहा, जी महाराज आप निश्चिन्त रहिये, उन चोरो के दल को शीघ्र ही आपके सामने प्रस्तुत करूँगा। तेनालीरामा ने योजना बनाई, उन चोरों को पकड़ने के लिए, वे उन व्यापारियों के पास गए और उनके कान में कुछ कहकर वापस आ गये। दूसरे दिन नगर में आभूषणों की प्रदर्शनी लगाई गई और प्रदर्शनी समाप्त होने के पश्चात उन आभूषणों को एक तिजोरी में बंद कर दिया गया। कुछ समय पश्चात् तिजोरी को चोरो ने साफ कर दिया और भागने लगे । व्यापारी की नींद खुल गई और जोर जोर से चिल्लाने लगा, उसकी आवाज सुनकर सभी लोग इक्कट्ठा हो गये। तेनालीरामा भी सैनिको के साथ पहुँच गए और उन्होंने तुरंत सभी के हाथो का निरीक्षण करने का आदेश दिया और सभी चोर पकड़े गए । | तेनालीरामा जी ने कहा, जी महाराज आप निश्चिन्त रहिये, उन चोरो के दल को शीघ्र ही आपके सामने प्रस्तुत करूँगा। तेनालीरामा ने योजना बनाई, उन चोरों को पकड़ने के लिए, वे उन व्यापारियों के पास गए और उनके कान में कुछ कहकर वापस आ गये। दूसरे दिन नगर में आभूषणों की प्रदर्शनी लगाई गई और प्रदर्शनी समाप्त होने के पश्चात उन आभूषणों को एक तिजोरी में बंद कर दिया गया। कुछ समय पश्चात् तिजोरी को चोरो ने साफ कर दिया और भागने लगे । व्यापारी की नींद खुल गई और जोर जोर से चिल्लाने लगा, उसकी आवाज सुनकर सभी लोग इक्कट्ठा हो गये। तेनालीरामा भी सैनिको के साथ पहुँच गए और उन्होंने तुरंत सभी के हाथो का निरीक्षण करने का आदेश दिया और सभी चोर पकड़े गए । | ||
− | उन चोरो को महाराज के | + | उन चोरो को महाराज के सभा में लाया गया महाराज ने तेनालीरामा से पूछा कि आपने यह सब कैसे किया? तेनालीरामा ने बताया की मुझे पता था चोर तिजोरी में रखे गहने चोरी करने जरुर आएगा। महाराज ने कहा जब यही बात थी तो आप सैनिको का शर लेकर भी चोरो को पकड़ सकते थे। तेनालीरामा ने उत्तर दिया कि महाराज सैनिको में भी कोई मिला रह सकता है इसलिए मैंने दूसरी योजना बनाई। तिजोरी पर मैंने गीला रंग लगवा दिया था। जिस किसी के हाथ पर वह रंग मिले वह चोर होगा इससे चोरी का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। तेनालीरामा जी की युक्ति से महाराज बहुत प्रशन्न हुए और तेनालीरामा जी का अभिनन्दन किया । |
== कहानी से सीख == | == कहानी से सीख == | ||
बुद्धि के उचित उपयोग से सभी समस्याओं का हल निकल आता है। हमें यह भी सीख मिलती है, कि जहाँ भी कार्य करें, वहां पूरी बुद्धि और मेहनत लगायें, और उस जगह का भला करें । | बुद्धि के उचित उपयोग से सभी समस्याओं का हल निकल आता है। हमें यह भी सीख मिलती है, कि जहाँ भी कार्य करें, वहां पूरी बुद्धि और मेहनत लगायें, और उस जगह का भला करें । | ||
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Revision as of 07:45, 14 September 2020
राजा कृष्णदेव राय जी के राज्य विजयनगर में चोरियां बहुत अधिक होने लगी थी। सभी धनवान व्यक्ति और व्यापारी बहुत परेशान थे। सभी लोगो ने राजसभा में जाकर राजा को इस घटना के बारे में अवगत कराया और शीघ्र सुरक्षा कर उन चोरो को पकड़ने का निवेदन किया ।
महाराज कृष्णदेवराय जी को यह बात चिंताजनक लगी उन्होंने अपने मंत्रियों को बुलाकर आदेश दिया कि तुरंत इस समस्या का समाधान किया जाये क्योंकि अगर ऐसे ही चोरियां होतो रही तो सभी व्यापारी विजयनगर छोड़कर चले जायेंगे और राज्य को बहुत नुकसान होगा। मंत्रियों ने बहुत प्रयास किया परन्तु चोरियां रोकने में असमर्थ रहे।
महाराज बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने कहा क्या कोई ऐसा पुरुष नहीं है जो इस समस्या का समाधान कर सके । महाराज की चुनोती को सुनकर तेनालीरामा जी ने कहा कि महाराज मेरे पास इस समस्या का समाधान है, आपकी अनुमति की आवश्यकता है। महाराज ने कहा की अगर आप इस समस्या का समाधान नहीं कर पायें और अगर चोर पकड़े नहीं गये तो आप दंड के भागी होंगे।
तेनालीरामा जी ने कहा, जी महाराज आप निश्चिन्त रहिये, उन चोरो के दल को शीघ्र ही आपके सामने प्रस्तुत करूँगा। तेनालीरामा ने योजना बनाई, उन चोरों को पकड़ने के लिए, वे उन व्यापारियों के पास गए और उनके कान में कुछ कहकर वापस आ गये। दूसरे दिन नगर में आभूषणों की प्रदर्शनी लगाई गई और प्रदर्शनी समाप्त होने के पश्चात उन आभूषणों को एक तिजोरी में बंद कर दिया गया। कुछ समय पश्चात् तिजोरी को चोरो ने साफ कर दिया और भागने लगे । व्यापारी की नींद खुल गई और जोर जोर से चिल्लाने लगा, उसकी आवाज सुनकर सभी लोग इक्कट्ठा हो गये। तेनालीरामा भी सैनिको के साथ पहुँच गए और उन्होंने तुरंत सभी के हाथो का निरीक्षण करने का आदेश दिया और सभी चोर पकड़े गए ।
उन चोरो को महाराज के सभा में लाया गया महाराज ने तेनालीरामा से पूछा कि आपने यह सब कैसे किया? तेनालीरामा ने बताया की मुझे पता था चोर तिजोरी में रखे गहने चोरी करने जरुर आएगा। महाराज ने कहा जब यही बात थी तो आप सैनिको का शर लेकर भी चोरो को पकड़ सकते थे। तेनालीरामा ने उत्तर दिया कि महाराज सैनिको में भी कोई मिला रह सकता है इसलिए मैंने दूसरी योजना बनाई। तिजोरी पर मैंने गीला रंग लगवा दिया था। जिस किसी के हाथ पर वह रंग मिले वह चोर होगा इससे चोरी का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। तेनालीरामा जी की युक्ति से महाराज बहुत प्रशन्न हुए और तेनालीरामा जी का अभिनन्दन किया ।
कहानी से सीख
बुद्धि के उचित उपयोग से सभी समस्याओं का हल निकल आता है। हमें यह भी सीख मिलती है, कि जहाँ भी कार्य करें, वहां पूरी बुद्धि और मेहनत लगायें, और उस जगह का भला करें ।