Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - बिल्ली और गाय"
(लेख सम्पादित किया) |
m |
||
Line 6: | Line 6: | ||
महाराज को अपनी गलती समझ में आ गई उन्होंने तुरंत आदेश बदलकर कहाँ दूध का उपयोग सभी लोग कर सकते है । महाराज ने तेनालीरामा से अपनी भूल का एहसास दिलाने के लिए धन्यवाद कहा । | महाराज को अपनी गलती समझ में आ गई उन्होंने तुरंत आदेश बदलकर कहाँ दूध का उपयोग सभी लोग कर सकते है । महाराज ने तेनालीरामा से अपनी भूल का एहसास दिलाने के लिए धन्यवाद कहा । | ||
+ | |||
+ | [[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]] |
Revision as of 15:10, 12 September 2020
महाराज कृष्णदेवराय की सभा चल रही थी । सभा में चूहों के आतंक पर खूब बवाल मचा था । महाराज इस विषय पर बहुत ही चिंतित थे उन्होंने ने सभी से मार्गदर्शन करने को कहाँ । सभी लोगो ने उन्हें बहुत से उपाय बताएं । महाराज ने भी एक उपाय बताया की सभी नगर वासियों को एक एक बिल्ली दी जाये और बिल्ली के पोषण के लिए गाय भी दी जाये और उस गाय के दूध का उपयोग केवल बिल्ली के लिए होगा । महाराज का सुझाव सुनकर उनके चाटुकारों ने महाराज की प्रशंसा करने लगे ।तेनालीरामा को यह सुझाव पसंद नहीं आया परन्तु महाराज का मान रखने के लिए हामी भर दी ।
महाराज को समझाने के लिए तेनालीरामा ने एक उपाय सोचा । तेनालीरामा के पास जो बिल्ली थी उसे रोज गर्म दूध पिने के लिए देते और गरम दूध के कारण बिल्ली का मुँह जल जाता । बिल्ली ने दूध पीना छोड़ दिया । महाराज ने सोचा की जाकर नगर का समाचार लिया जाए की बिल्लियाँ कैसी है । महाराज ने पुरे नगर का परिक्षण कर तेनालीरामा के घर पहुंचे । वहां उन्होंने देखा की बिल्ली सुखकर कमजोर हो गई है परन्तु बाकी सभी नगरवासियों की बिल्लियाँ मजबूत और हट्टी कट्टी है तेनालीरामा ने महाराज से कहाँ महाराज यह दूध पीती ही नहीं ।
तेनालीरामा ने बिल्ली के समाने दूध को रखा दूध देखते ही बिल्ली भाग गई उसे लगा गर्म दूध है । परन्तु महाराज समझ गए की यह तेनालीरामा की कोई नई चाल है और उन्हें तुरंत बंदी बनाने का आदेश दिया । तेनालीरामा जी ने कहा "महाराज यहाँ किसी भी व्यक्ति को दूध पीने के लिए एक बूंद भी नहीं मील रहा है और बिल्लियाँ दूध पी रही है ।
महाराज को अपनी गलती समझ में आ गई उन्होंने तुरंत आदेश बदलकर कहाँ दूध का उपयोग सभी लोग कर सकते है । महाराज ने तेनालीरामा से अपनी भूल का एहसास दिलाने के लिए धन्यवाद कहा ।