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एक अन्य तर्क भी लोग देते हैं जिसमें कुछ दम लगता है। वे कहते हैं कि आज संचार माध्यम बहुत प्रभावी हो गये हैं। सम्पर्क के सूत्र भी बहुत सुलभ हो गये हैं। विश्व के किसी भी कोने से कहीं पर भी हम चौबीस घण्टों के भीतर जा सकते हैं। किसीसे भी बात कर सकते हैं। कोई भी वस्तु पहुँचा सकते हैं। कहाँ कया हो रहा है वह देख सकते हैं।
 
एक अन्य तर्क भी लोग देते हैं जिसमें कुछ दम लगता है। वे कहते हैं कि आज संचार माध्यम बहुत प्रभावी हो गये हैं। सम्पर्क के सूत्र भी बहुत सुलभ हो गये हैं। विश्व के किसी भी कोने से कहीं पर भी हम चौबीस घण्टों के भीतर जा सकते हैं। किसीसे भी बात कर सकते हैं। कोई भी वस्तु पहुँचा सकते हैं। कहाँ कया हो रहा है वह देख सकते हैं।
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विश्व इतना छोटा हो गया है कि सभी देश एकदूसरे को प्रभावित करते हैं और एक दूसरे से प्रभावित होते हैं। इस स्थिति में जीवनशैलियों का और विचारों का मिश्रण होना स्वाभाविक है। ऐसा होते होते एक विश्वसंस्कृति यदि हो जाती है तो इसमें क्या हानि है ? हम भी तो वसुधैव कुट्म्बकम कहते हैं।
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विश्व इतना छोटा हो गया है कि सभी देश एकदूसरे को प्रभावित करते हैं और एक दूसरे से प्रभावित होते हैं। इस स्थिति में जीवनशैलियों का और विचारों का मिश्रण होना स्वाभाविक है। ऐसा होते होते एक विश्वसंस्कृति यदि हो जाती है तो इसमें क्या हानि है ? हम भी तो वसुधैव कुटुम्बकम कहते हैं।
    
== स्वभाव अपरिवर्तनीय ==
 
== स्वभाव अपरिवर्तनीय ==

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