Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - बिल्ली और गाय"
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Revision as of 15:31, 13 August 2020
महाराज कृष्णदेवराय जी की सभा चल रही थी | सभा में चूहों के आतंक पर खुबी बवाल मचा था | महाराज इस विषय पर बहुत ही चिंतित थे उन्होंने ने सभी से मार्गदर्शन करने को कहाँ | सभी लोगो ने उन्हें बहुत से उपाय बताएं | महाराज ने भी एक उपाय बताया की सभी नगर वासियों को एक एक बिल्ली दी जाये और बिल्ली के पोषण के लिए गाय भी डी जाये और उस गाय के दूध का उपयोग केवल बिल्ली के लिए होगा | महाराज का सुझाव सुनकर उनके चाटुकारों ने महाराज की प्रशंसा करने लगे |तेनालीरामा को वह सुझाव पसंद नहीं आया परन्तु महाराज का मान रखने के लिए हामी भर दी |
महाराज को समझाने के लिए तेनालीरामा ने एक उपाय सोचा | तेनालीरामा के पास जो बिल्ली थी उसे रोज गर्म दूध पिने के लिए देते और गर्म दुद्घ के कारण बिल्ली का मुह जल जाता | बिल्ली ने दूध पीना छोड़ दिया | महाराज ने सोचा की जाकर नगर का समाचार लिया जाए की बिल्लियाँ कैसी है | महाराज ने पुरे नगर का परिक्षण कर तेनालीरामा के घर पहुंचे | वहां उन्होंने देखा की बिल्ली सुखकर कमजोर हो गई है परन्तु बाकी सभी की बिल्लियाँ मजबूत और हट्टी कट्टी है तेनालीरामा ने महाराज से कहाँ महाराज यह दूध पीती ही नहीं |
तेनालीरामा ने बिल्ली के समाने दूध को रखा दूध देखते ही बिल्ली भाग गई उसे लगा गर्म दूध है | परन्तु महाराज समझ गए की यह तेनाली रामा की कोई नई चाल है और उन्हें तुरंत बंदी बनाने का आदेश दिया | तेनालीरामा जी ने कहा "महाराज यहाँ किसी भी व्यक्ति को दूध पिने के लिए एक बूंद भी नहीं मिल्ल्रह है और बिल्लिय दूध पी रही है |
महाराज को अपनी गलती समझ में आ गई उन्होंने तुरंत आदेश बदलकर कहाँ दूध का उपयोग सभी लोग कर सकते है |