Difference between revisions of "कछुए और खरगोश की कहानी"
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'''कहानी से सीख : -''' '''कि जो शांत भाव से और पूरी मेहनत के साथ काम करता है, उसकी जीत होती ही है और जिनको अपने पर या अपने किए हुए कामो पर घमंड करता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता ही है।''' | '''कहानी से सीख : -''' '''कि जो शांत भाव से और पूरी मेहनत के साथ काम करता है, उसकी जीत होती ही है और जिनको अपने पर या अपने किए हुए कामो पर घमंड करता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता ही है।''' | ||
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Revision as of 14:02, 12 August 2020
एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसको अपने दौड़ने की गति पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, उसे वो अपने साथ दौडने की चुनौती दे देता। खरगोश हमेशा दूसरे जानवरों के बीच में वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता।एक दिन कछुआ जंगल में घूम रहा था अचानक उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखकर खरगोश मन ही मन हँसाने लगा और कछुए को दौड़स्पर्धा की चुनौती दे दी।कछुए ने अपने आत्मविश्वास के बल पर और खरगोश के घमंड को देखकर खरगोश की चुनौती स्वीकार कर ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया।
स्पर्धा की बात जंगल में आग की तरह पसर गई और सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा। कुछ दूर पहुंचने के बाद खरगोश रुका और सोचा एक बार पीछे मुड़कर देखता हूँ की खरगोश कहाँ पंहुचा है, तब खरगोश पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीमे - धीमे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।
पेड़ के नीचे आराम करते - करते उसकी कब आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, कछुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक बढ़ता गया। कछुए को आगे बढ़ते देखकर बाकी जानवरों ने जोर - जोर से तालियां बजानी शुरू कर दी। तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर अंतिम रेखा तक पहुंचा परन्तु खरगोश ने देखा कछुआ पहले ही अंतिम रेखा पर पहुँच कर स्पर्धा जीत चुका था और खरगोश अपने घमंड के बारे में सोच कर पछताता रह गया।
कहानी से सीख : - कि जो शांत भाव से और पूरी मेहनत के साथ काम करता है, उसकी जीत होती ही है और जिनको अपने पर या अपने किए हुए कामो पर घमंड करता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता ही है।