Difference between revisions of "अंगूर खट्टे है"
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− | एक लोमड़ी बहुत भूखी जंगल में खाने की तलाश में इधर-उधर | + | एक समय की बात है| एक लोमड़ी बहुत भूखी जंगल में खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। बहुत समय तक यहाँ वहां घूमने के बाद भी उसे खाने को कुछ भी न मिला| वह भूख से तड़प उठा, तभी उसकी नजर पास के एक बगीचे पर पड़ी। बगीचा बहुत ही सुन्दर और हरा-भरा था। वह आगे बढ़ने ही वाला था की उसे एक बहुत ही मधुर सुगंध आई | |
− | + | लोमड़ी ने यहाँ वहा देखा उसे कुछ नहीं दिखाई दिया | वह जब सुगंध की ओर बढ़ा तो उसे अहसास हुआ की वह सुगंध उस बगीचे सी ही आ रही थी | उसकी लालसा और भूख दोनों बढ़ने लगी, उसे लगा की अब उसकी खाने की तलाश जल्द ही खत्म होने वाली हैं। वह तेजी से बगीचे की ओर बढ़ाने लगी।जैसे-जैसे वह कदम आगे बढ़ाती, बाग से आने वाली मधुर सुगंध और भी तेज होती जाती। उसने मन ही मन सोचा कि इस बगीचे में कुछ न कुछ तो विशेष होगा, जो उसे खाने को मिलेगा। मन में वह ऐसे ही विचार करते हुए वह और तेजी से आगे बढ़ने लगी। जैसे ही वह बाग में पहुंची, तो उसने देखा कि बाग तो अंगूर की बेलों से लदा हुआ है। सभी अंगूर पूरी तरह से पक चुके हैं। अंगूर देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। अंगूरों की महक से उसने इस बात का अंदाजा लगा लिया कि अंगूर कितने रसदार और मीठे होंगे। वह इतनी उतावली हो चली कि मानो एक ही बार में बाग के सारे अंगूर खा जाएगी। | |
उसने झट से अंगूरों को लक्ष्य बनाकर एक लंबी छलांग मारी, लेकिन वह अंगूरों तक पहुंच नहीं सकी और धड़ाम से जमीन पर आ गिरी। उसका पहला प्रयास विफल हुआ। उसने सोचा क्यों न फिर से कोशिश की जाए। | उसने झट से अंगूरों को लक्ष्य बनाकर एक लंबी छलांग मारी, लेकिन वह अंगूरों तक पहुंच नहीं सकी और धड़ाम से जमीन पर आ गिरी। उसका पहला प्रयास विफल हुआ। उसने सोचा क्यों न फिर से कोशिश की जाए। |
Revision as of 10:28, 25 July 2020
एक समय की बात है| एक लोमड़ी बहुत भूखी जंगल में खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। बहुत समय तक यहाँ वहां घूमने के बाद भी उसे खाने को कुछ भी न मिला| वह भूख से तड़प उठा, तभी उसकी नजर पास के एक बगीचे पर पड़ी। बगीचा बहुत ही सुन्दर और हरा-भरा था। वह आगे बढ़ने ही वाला था की उसे एक बहुत ही मधुर सुगंध आई |
लोमड़ी ने यहाँ वहा देखा उसे कुछ नहीं दिखाई दिया | वह जब सुगंध की ओर बढ़ा तो उसे अहसास हुआ की वह सुगंध उस बगीचे सी ही आ रही थी | उसकी लालसा और भूख दोनों बढ़ने लगी, उसे लगा की अब उसकी खाने की तलाश जल्द ही खत्म होने वाली हैं। वह तेजी से बगीचे की ओर बढ़ाने लगी।जैसे-जैसे वह कदम आगे बढ़ाती, बाग से आने वाली मधुर सुगंध और भी तेज होती जाती। उसने मन ही मन सोचा कि इस बगीचे में कुछ न कुछ तो विशेष होगा, जो उसे खाने को मिलेगा। मन में वह ऐसे ही विचार करते हुए वह और तेजी से आगे बढ़ने लगी। जैसे ही वह बाग में पहुंची, तो उसने देखा कि बाग तो अंगूर की बेलों से लदा हुआ है। सभी अंगूर पूरी तरह से पक चुके हैं। अंगूर देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। अंगूरों की महक से उसने इस बात का अंदाजा लगा लिया कि अंगूर कितने रसदार और मीठे होंगे। वह इतनी उतावली हो चली कि मानो एक ही बार में बाग के सारे अंगूर खा जाएगी।
उसने झट से अंगूरों को लक्ष्य बनाकर एक लंबी छलांग मारी, लेकिन वह अंगूरों तक पहुंच नहीं सकी और धड़ाम से जमीन पर आ गिरी। उसका पहला प्रयास विफल हुआ। उसने सोचा क्यों न फिर से कोशिश की जाए।
वह एक बार फिर जोश से उठी और इस बार उसने अपनी पूरी ताकत से पहले से तेज अंगूरों की ओर छलांग लगा दी, लेकिन अफसोस कि उसका यह प्रयास भी बेकार गया। इस बार भी वह अंगूरों तक पहुंचने में नाकामयाब रही, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने खुद से कहा कि अगर दो प्रयास विफल हो गए तो क्या, इस बार तो सफलता मुझे मिलकर ही रहेगी।
फिर क्या था, इस बार फिर वह दोगुने जोश के साथ खड़ी हुई। इस बार उसने अब तक की सबसे लंबी छलांग लगाने की कोशिश की। उसने अपने शरीर की सारी ताकत को एकत्र कर एक लंबी दौड़ लगाई। उसे लगा था कि इस बार उसे अंगूर पाने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बार का प्रयास भी खाली गया। वह जमीन पर आ गिरी।
इतने जतन करने के बावजूद वह एक भी अंगूर हासिल नहीं कर पाई। ऐसे में उसने अंगूर पाने की अपनी आस छोड़ दी और हार मान ली। अपनी विफलता को छिपाने के लिए उसने खुद ही बोला कि अंगूर खट्टे हैं, इसलिए इन्हें मुझे नहीं खाना।
कहानी से सीख
लोमड़ी और खट्टे अंगूर की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम बिना सही प्रयास के किसी चीज को पाने में असमर्थ हैं, तो हमें उस चीज को लेकर गलत राय नहीं बनानी चाहिए। जैसा लोमड़ी ने अंगूर न मिलने पर अंगूरों को बिना चखे खट्टा कह दिया। साथ ही हमें किसी काम के लिए जल्दी हार नहीं माननी चाहिए।