Difference between revisions of "मोर की शिकायत"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
(नय लेख बनाया)
(No difference)

Revision as of 15:03, 24 July 2020

यह कहानी बहुत प्रेारणा एक बार एक मोर था जो बहुत सुन्दर था, उसके पंख बेहद खूबसूरत थे। एक दिन खूब झम–झम बारिश हुई और मोर नाचने लगा। नाचते हुए वह अपनी खूबसूरती को निहार रहा था, पर अचानक उसका ध्यान उसकी आवाज पर गया, जो कि बेहद बेसुरा और कठोर था। इस बात का एहसास होते ही वह बेहद उदास हो गया और उसके आंखों में आंसू आ गएं। तभी अचानक, उसे एक कोयल गाती हुए सुनाई दी।

कोयल की मधुर आवाज को सुनकर, मोर को उसकी कमी एक बार फिर एहसास हुआ। वह सोचने लगा कि भगवान ने उसे सुंदरता तो दी पर बेसुरा क्यों बनाया। तभी एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने मोर से पूछा “मोर, तुम क्यों उदास हो?” मोर ने देवी से अपनी कठोर आवाज के बारे में शिकायत की और उनसे पूछा, “कोयल की आवाज इतनी मीठी है पर मेरी क्यों नहीं? इसलिए मैं दुखी हूँ।

अब मोर की बात सुनकर, देवी ने समझाया, “भगवान के द्वारा सभी का हिस्सा निर्धारित है, हर जीव अपने तरीके से खास होता है। भगवान ने उन्हें अलग–अलग बनाया है और वे एक निश्चित काम के लिए हैं। उन्होंने मोर को सुंदरता दी, शेर को ताकत और कोयल को मीठी आवाज! हमें भगवान के दिए इन उपहारों का सम्मान करना चाहिए और जितना है उतने में ही खुश रहना चाहिए।”

देवी की बातों को सुनकर मोर समझ गया कि दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि खुद के हुनर की सराहना करनी चाहिए और उसे और निखारना चाहिए। मोर उस दिन समझा कि हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से यूनिक होता है।

कहानी से सीख

खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ भी आपके पास नहीं है, उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार करें।