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| − | धर्मवीरो गुरुस्तेगबहादुरः
| + | {{One source|date=May 2020 }} |
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| − | (१६१९-१६७५ ई०) | + | धर्मवीरो गुरुस्तेगबहादुरः<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> (१६१९-१६७५ ई०) |
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| | 'य आर्यधर्मस्य हि रक्षणार्थ, स्वीयानसूनुज्झितवान् समोदम्। | | 'य आर्यधर्मस्य हि रक्षणार्थ, स्वीयानसूनुज्झितवान् समोदम्। |
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| − | नाङ्गीचकारान्यमतप्रवेशं, नमामि वीरं गुरुतेगसंज्ञम्।32॥ | + | नाङ्गीचकारान्यमतप्रवेशं, नमामि वीरं गुरुतेगसंज्ञम्॥ |
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| − | जिन्होंने आर्यधर्म की रक्षा के लिए प्रसन्नता के साथ अपने प्राणों | + | जिन्होंने आर्यधर्म की रक्षा के लिए प्रसन्नता के साथ अपने प्राणों की आहुति दे दी, किन्तु अपना धर्म छोड़कर अन्य मत में प्रवेश करना स्वीकार नहीं किया, उन वीर तेगबहादुर जी को मैं नमस्कार करता हूँ। |
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| − | की आहुति दे दी, किन्तु अपना धर्म छोड़कर अन्य मत में प्रवेश करना
| + | इत्थं हुतात्मा ह्यमरो बभूव, ख्यातं तथाद्यापि हि शीशगञ्जम् । |
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| − | स्वीकार नहीं किया, उन वीर तेगबहादुर जी को मैं नमस्कार करता हूँ।
| + | यत्राहुतिस्तेन तनोः प्रदत्ता, नमामि वीरं गुरुतेगसंज्ञम् ॥ |
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| − | इत्थं हुतात्मा ह्यमरो बभूव, ख्यातं तथाद्यापि हि शीशगञ्जम् ।
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| − | यत्राहुतिस्तेन तनोः प्रदत्ता, नमामि वीरं गुरुतेगसंज्ञम् ।।33॥
| + | इस प्रकार ये हुतात्मा (शहीद)अमर हो गए जिन के नाम से आज भी वह शीशगंज नामक गुरुद्वारा दिल्ली में बना हुआ है जहाँ उन्होंने अपने शरीर की बलि दी थी। ऐसे वीर गुरु तेगबहादुर जी को मैं नमस्कार करता हूँ। |
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| − | इस प्रकार ये हुतात्मा (शहीद)अमर हो गए जिन के नाम से आज भी वह
| + | ==References== |
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| − | शीशगंज नामक गुरुद्वारा देहली में बना हुआ है जहाँ उन्होंने अपने शरीर
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| − | की बलि दी थी। ऐसे वीर गुरु तेगबहादुर जी को मैं नमस्कार करता हुँ ।
| + | [[Category: Mahapurush (महापुरुष कीर्तनश्रंखला)]] |