Difference between revisions of "श्री तिरुवल्लुवारः - महापुरुषकीर्तन श्रंखला"
(लेख सम्पादित किया) |
(लेख सम्पादित किया) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
+ | {{One source|date=May 2020 }} | ||
+ | |||
दाक्षिणात्यः सुधारकः श्री तिरुवल्लुवारः<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> | दाक्षिणात्यः सुधारकः श्री तिरुवल्लुवारः<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> | ||
Line 40: | Line 42: | ||
उपदेशक श्री तिरुवल्लुवार वन्दनीय है। | उपदेशक श्री तिरुवल्लुवार वन्दनीय है। | ||
+ | |||
+ | ==References== | ||
+ | |||
+ | <references /> | ||
+ | |||
+ | [[Category: Mahapurush (महापुरुष कीर्तनश्रंखला)]] |
Revision as of 03:39, 14 May 2020
This article relies largely or entirely upon a single source.May 2020) ( |
दाक्षिणात्यः सुधारकः श्री तिरुवल्लुवारः[1]
महर्षिसंज्ञां विरलां च लेभे
वन्द्यो महात्मा तिरुवल्लुवारः ॥
जिसने दुर्लभ महर्षि की संज्ञा को प्राप्त किया वह महात्मा तिरुवल्लुवार वन्दनीय है।
ग्रन्थं शुभं तामिलवेदनाम्ना, प्राहुर्यदीयं बहुभक्तियुक्ताः।
वेदर्षिभक्तः स हि संयतात्मा, वन्द्यो महात्मा तिरुवल्लुवारः॥
जिस के उत्तम ग्रन्थ तिरुक्कुराल नामक को बहुत भक्ति युक्त
लोग तामिल वेद के नाम से पुकारते हैं, वह वेद और ऋषियों का भक्त
संयमी महात्मा तिरुवल्लुवार वन्दनीय है।
मांसाशनं योऽत्र निनिन्द नूनं, सत्यं दयां च प्रशशंस भूयः।
मांसाशिनो नास्ति दयेत्युवाच, वन्द्यो महात्मा तिरुवल्लुवारः॥
जिस ने मांसभक्षण की निन्दा की और सत्य तथा दया की बहुत
प्रशंसा की मांस भक्षक में दया नहीं रहती ऐसा स्पष्ट रूप से बताया, ऐसा
महात्मा तिरुवल्लुवार वन्दनीय है।
1.* तिरुक्कुराल - इत्याख्यम्।
67
न जन्मना जातिमपोषयद् यो, मद्यादिपानं च भृशं निनिन्द।
देवेशभक्तः शुचितोपदेष्टा, वन्द्यो महात्मा तिरुवल्लुवारः॥
जिस ने जन्म-मूलक जातिभेद का कभी समर्थन नहीं किया और
मद्य आदि पान की अत्यधिक निन्दा की, वह परमेश्वर-भक्त, पवित्रता का
उपदेशक श्री तिरुवल्लुवार वन्दनीय है।
References
- ↑ महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078