Difference between revisions of "श्रीराम: - महापुरुषकीर्तन श्रंखला"
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गुणेन शीलेन बलेन विद्यया सत्येन शान्त्या विनयेन चैव।<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> | गुणेन शीलेन बलेन विद्यया सत्येन शान्त्या विनयेन चैव।<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> | ||
− | योऽभूद् वरेण्यः किल मानवनां रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं | + | योऽभूद् वरेण्यः किल मानवनां रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम्॥ |
− | गुण, शील, बल, विद्या, सत्य, शान्ति और विनय से जो मनुष्यो में | + | गुण, शील, बल, विद्या, सत्य, शान्ति और विनय से जो मनुष्यो में अत्यन्त श्रेष्ठ हुआ, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं। |
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− | अत्यन्त श्रेष्ठ हुआ, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं। | ||
पितुः प्रतिज्ञा वितथा * नहि स्यात् इदं विचायैंव वनं प्रतस्थे। | पितुः प्रतिज्ञा वितथा * नहि स्यात् इदं विचायैंव वनं प्रतस्थे। | ||
− | यः सत्यसन्धा* धृतिमान् महात्मा रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं | + | यः सत्यसन्धा* धृतिमान् महात्मा रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम्।। |
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− | स्मरण करते हैं। | + | पिता की प्रतिज्ञा झूठी न हो,यह विचार कर के जो वन को चला गया,जो सत्यवादी, धैर्य वाला महात्मा था,ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं। |
पित्रोर्विनीतः द्विषतां विजेता सुहृत्सु यो निष्कपटो मनस्वी। | पित्रोर्विनीतः द्विषतां विजेता सुहृत्सु यो निष्कपटो मनस्वी। | ||
− | साम्यं दधानं हृदये ऽभिरामं रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम् | + | साम्यं दधानं हृदये ऽभिरामं रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम् ॥ |
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− | में जिस के उत्तम समता थी, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते | + | जो पितृभक्त, शरुविजेता, मित्रों में निष्कपट और मनस्वी था। हदय में जिस के उत्तम समता थी, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं। |
− | + | विजित्य लङ्काधिपति प्रदुप्तं * विभीषणायैव ददौ स्वराज्यम्। | |
− | निषादराजस्य तथा शबर्या उद्धारक त॑ सततं स्मरामः | + | निषादराजस्य तथा शबर्या उद्धारक त॑ सततं स्मरामः ।। |
1.* प्रदृप्तम् - अभिमानिनम् । 1.* वितथा=असत्या । | 1.* प्रदृप्तम् - अभिमानिनम् । 1.* वितथा=असत्या । | ||
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2.* सत्यसन्धः=सत्यप्रतिज्ञः । | 2.* सत्यसन्धः=सत्यप्रतिज्ञः । | ||
− | + | जिस ने अभिमानी रावण को जीतकर विभीषण को उस का राज्य दे दिया। निषदराज गुह तथा शबरी का जिस ने उद्धार किया हम ऐसे श्री राम का सदा स्मरण करते हैं। | |
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− | जिस ने अभिमानी रावण को जीतकर विभीषण को उस का राज्य | ||
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− | राम का सदा स्मरण करते हैं। | ||
य एकपत्नीब्रतभूत्सदासीत् भ्रातष्वमन्दं प्रणयं* दधानः। | य एकपत्नीब्रतभूत्सदासीत् भ्रातष्वमन्दं प्रणयं* दधानः। | ||
− | 'पितेव पुत्रान् स्वविशोऽशिषद्*यः रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं | + | 'पितेव पुत्रान् स्वविशोऽशिषद्*यः रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम्।। |
2.* प्रणयम् - स्नेहम् । | 2.* प्रणयम् - स्नेहम् । | ||
− | जो सदा एक पत्नि ब्रत था, भाइयों से सदा बहुत स्नेह करता था, | + | जो सदा एक पत्नि ब्रत था, भाइयों से सदा बहुत स्नेह करता था, अपनी प्रजा का पुत्रवत् पालन करता था, ऐसे पुरुषोत्तम राम का हम सदा स्मरण करते हैं। |
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− | अपनी प्रजा का पुत्रवत् पालन करता था, ऐसे पुरुषोत्तम राम का हम सदा | ||
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क्व यौवराज्यं क्व च दण्डकेषु, यानं तथापीह न विह्वलोऽभूत्। | क्व यौवराज्यं क्व च दण्डकेषु, यानं तथापीह न विह्वलोऽभूत्। | ||
− | अत्यद्भुतं धैर्यमदर्शयद् यः, रामं नमामः पुरुषोत्तमं तम् | + | अत्यद्भुतं धैर्यमदर्शयद् यः, रामं नमामः पुरुषोत्तमं तम् ॥ |
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− | व्याकुल न हुआ। जिसने अत्यद्भुत धैर्य को दिखाया,उस पुरुषोत्तम राम | + | कहाँ तो राज्याभिषेक, और कहाँ दण्डकारण्य गमन, फिर भी जो व्याकुल न हुआ। जिसने अत्यद्भुत धैर्य को दिखाया,उस पुरुषोत्तम राम को हम नमस्कार करते हैं। |
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यो वेदवेदाङ्गविदां वरिष्ठो बलेन चैवानुपमो यशस्वी । | यो वेदवेदाङ्गविदां वरिष्ठो बलेन चैवानुपमो यशस्वी । | ||
− | तथापि नम्रो ह्यभिमानशून्यः रामं नमामः पुरुषोत्तमं तम् | + | तथापि नम्रो ह्यभिमानशून्यः रामं नमामः पुरुषोत्तमं तम् ॥ |
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− | नम्र और अहंकार था, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम को हम नमस्कार करते हैं। | + | जो वेद, वेदाङ्ग को जानने वाला था, अतुल बली यशस्वी था फिर नम्र और अहंकार था, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम को हम नमस्कार करते हैं। |
==References== | ==References== | ||
Revision as of 18:16, 13 May 2020
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गुणेन शीलेन बलेन विद्यया सत्येन शान्त्या विनयेन चैव।[1]
योऽभूद् वरेण्यः किल मानवनां रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम्॥
गुण, शील, बल, विद्या, सत्य, शान्ति और विनय से जो मनुष्यो में अत्यन्त श्रेष्ठ हुआ, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं।
पितुः प्रतिज्ञा वितथा * नहि स्यात् इदं विचायैंव वनं प्रतस्थे।
यः सत्यसन्धा* धृतिमान् महात्मा रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम्।।
पिता की प्रतिज्ञा झूठी न हो,यह विचार कर के जो वन को चला गया,जो सत्यवादी, धैर्य वाला महात्मा था,ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं।
पित्रोर्विनीतः द्विषतां विजेता सुहृत्सु यो निष्कपटो मनस्वी।
साम्यं दधानं हृदये ऽभिरामं रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम् ॥
जो पितृभक्त, शरुविजेता, मित्रों में निष्कपट और मनस्वी था। हदय में जिस के उत्तम समता थी, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम का हम स्मरण करते हैं।
विजित्य लङ्काधिपति प्रदुप्तं * विभीषणायैव ददौ स्वराज्यम्।
निषादराजस्य तथा शबर्या उद्धारक त॑ सततं स्मरामः ।।
1.* प्रदृप्तम् - अभिमानिनम् । 1.* वितथा=असत्या ।
2.* सत्यसन्धः=सत्यप्रतिज्ञः ।
जिस ने अभिमानी रावण को जीतकर विभीषण को उस का राज्य दे दिया। निषदराज गुह तथा शबरी का जिस ने उद्धार किया हम ऐसे श्री राम का सदा स्मरण करते हैं।
य एकपत्नीब्रतभूत्सदासीत् भ्रातष्वमन्दं प्रणयं* दधानः।
'पितेव पुत्रान् स्वविशोऽशिषद्*यः रामं स्मरामः पुरुषोत्तमं तम्।।
2.* प्रणयम् - स्नेहम् ।
जो सदा एक पत्नि ब्रत था, भाइयों से सदा बहुत स्नेह करता था, अपनी प्रजा का पुत्रवत् पालन करता था, ऐसे पुरुषोत्तम राम का हम सदा स्मरण करते हैं।
क्व यौवराज्यं क्व च दण्डकेषु, यानं तथापीह न विह्वलोऽभूत्।
अत्यद्भुतं धैर्यमदर्शयद् यः, रामं नमामः पुरुषोत्तमं तम् ॥
कहाँ तो राज्याभिषेक, और कहाँ दण्डकारण्य गमन, फिर भी जो व्याकुल न हुआ। जिसने अत्यद्भुत धैर्य को दिखाया,उस पुरुषोत्तम राम को हम नमस्कार करते हैं।
यो वेदवेदाङ्गविदां वरिष्ठो बलेन चैवानुपमो यशस्वी ।
तथापि नम्रो ह्यभिमानशून्यः रामं नमामः पुरुषोत्तमं तम् ॥
जो वेद, वेदाङ्ग को जानने वाला था, अतुल बली यशस्वी था फिर नम्र और अहंकार था, ऐसे पुरुषोत्तम श्री राम को हम नमस्कार करते हैं।
References
- ↑ महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078