Difference between revisions of "अन्तर्जाल पर विश्वस्थिति"
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− | आज विश्व पर अमेरिका का प्रभाव गहरा जम गया है । अमेरिका अपने आपको विश्व का नम्बर वन देश मानता है और शेष दुनिया से मनवाता भी है । जीवन के विभिन्न पहलुओं को लेकर विश्व के देशों की स्थिति और एकदूसरे की तुलना में स्थान कैसे हैं इसकी जानकारी इकट्टी करना यह अमेरिका का प्रिय उद्योग है । संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिकी सरकार, कई विश्वविद्यालय तथा निजी संस्थायें भाँति भाँति के सर्वेक्षण करवाते हैं, जानकारी एकत्रित करते हैं, | + | आज विश्व पर अमेरिका का प्रभाव गहरा जम गया है । अमेरिका अपने आपको विश्व का नम्बर वन देश मानता है और शेष दुनिया से मनवाता भी है । जीवन के विभिन्न पहलुओं को लेकर विश्व के देशों की स्थिति और एकदूसरे की तुलना में स्थान कैसे हैं इसकी जानकारी इकट्टी करना यह अमेरिका का प्रिय उद्योग है । संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिकी सरकार, कई विश्वविद्यालय तथा निजी संस्थायें भाँति भाँति के सर्वेक्षण करवाते हैं, जानकारी एकत्रित करते हैं, इसका विश्लेषण करते हैं और निष्कर्ष निकाल कर विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करते रहते हैं । |
इस पर्व में ऐसी नमूने की कुछ संकलित जानकारी दी गई है । इसकी मात्रा अत्यन्त अल्प है क्योंकि नमूने के रूप में ही इसे देना सम्भव है । अमेरिका में तो यह निरन्तर नित्य नये नये सन्दर्भों में चलनेवाला कार्य है । हम केवल उससे परिचित हो यही अपेक्षा है । | इस पर्व में ऐसी नमूने की कुछ संकलित जानकारी दी गई है । इसकी मात्रा अत्यन्त अल्प है क्योंकि नमूने के रूप में ही इसे देना सम्भव है । अमेरिका में तो यह निरन्तर नित्य नये नये सन्दर्भों में चलनेवाला कार्य है । हम केवल उससे परिचित हो यही अपेक्षा है । | ||
− | यह जानकारी यहाँ देनी ही क्यों चाहिये ? इसलिये कि इस जानकारी का उपयोग विश्वभर में होता है । विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों में इनके सन्दर्भ दिये जाते हैं । इन मानकों के आधार पर देशों का मूल्यांकन होता है । जो अन्तर्जाल की दुनिया में सहज संचार करते हैं वे इस बात से परिचित है । | + | यह जानकारी यहाँ देनी ही क्यों चाहिये ? इसलिये कि इस जानकारी का उपयोग विश्वभर में होता है । विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों में इनके सन्दर्भ दिये जाते हैं । इन मानकों के आधार पर देशों का मूल्यांकन होता है । जो अन्तर्जाल (internet) की दुनिया में सहज संचार करते हैं वे इस बात से परिचित है । |
− | यदि इस प्रकार से और इस स्वरूप में विश्व स्थिति का आकलन करना शुरू करेंगे तो वह कितना यान्त्रिक और अमानवीय होगा यह हम | + | यदि इस प्रकार से और इस स्वरूप में विश्व स्थिति का आकलन करना शुरू करेंगे तो वह कितना यान्त्रिक और अमानवीय होगा यह हम समझ लें तो यह भी ध्यान में आयेगा । जानकारी से पूर्व इस पद्धति को ही नकारने की आवश्यकता है । इस आवश्यकता की अनुभूति हो उसी हेतु से उस जानकारी को यहाँ प्रस्तुत किया गया है । |
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Revision as of 17:46, 10 March 2020
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आज विश्व पर अमेरिका का प्रभाव गहरा जम गया है । अमेरिका अपने आपको विश्व का नम्बर वन देश मानता है और शेष दुनिया से मनवाता भी है । जीवन के विभिन्न पहलुओं को लेकर विश्व के देशों की स्थिति और एकदूसरे की तुलना में स्थान कैसे हैं इसकी जानकारी इकट्टी करना यह अमेरिका का प्रिय उद्योग है । संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिकी सरकार, कई विश्वविद्यालय तथा निजी संस्थायें भाँति भाँति के सर्वेक्षण करवाते हैं, जानकारी एकत्रित करते हैं, इसका विश्लेषण करते हैं और निष्कर्ष निकाल कर विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करते रहते हैं ।
इस पर्व में ऐसी नमूने की कुछ संकलित जानकारी दी गई है । इसकी मात्रा अत्यन्त अल्प है क्योंकि नमूने के रूप में ही इसे देना सम्भव है । अमेरिका में तो यह निरन्तर नित्य नये नये सन्दर्भों में चलनेवाला कार्य है । हम केवल उससे परिचित हो यही अपेक्षा है ।
यह जानकारी यहाँ देनी ही क्यों चाहिये ? इसलिये कि इस जानकारी का उपयोग विश्वभर में होता है । विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों में इनके सन्दर्भ दिये जाते हैं । इन मानकों के आधार पर देशों का मूल्यांकन होता है । जो अन्तर्जाल (internet) की दुनिया में सहज संचार करते हैं वे इस बात से परिचित है ।
यदि इस प्रकार से और इस स्वरूप में विश्व स्थिति का आकलन करना शुरू करेंगे तो वह कितना यान्त्रिक और अमानवीय होगा यह हम समझ लें तो यह भी ध्यान में आयेगा । जानकारी से पूर्व इस पद्धति को ही नकारने की आवश्यकता है । इस आवश्यकता की अनुभूति हो उसी हेतु से उस जानकारी को यहाँ प्रस्तुत किया गया है ।
References
भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे