Difference between revisions of "विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार"
(नया लेख बनाया गया) |
(No difference)
|
Revision as of 14:31, 5 March 2020
इस ग्रन्थमाला में बार बार इस सूत्र का प्रतिपादन होता रहा है कि शिक्षा के दो केन्द्र होते हैं । एक होता है विद्यालय और दूसरा घर । विद्यालय में शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर ज्ञानसाधना करते हैं और घर में दो पीढ़ियों में संस्कृति के हस्तान्तरण का कार्य होता है । इन दोनों केन्द्रों का भी परस्पर सम्बन्ध होता है । इन दो केन्द्रों का सम्बन्ध जोडने का माध्यम विद्यार्थी है जो घर में रहता है और विद्यालय में आता है । इन तथ्यों का कुछ विश्लेषणात्मक विचार इस पर्व में किया गया है । विद्यार्थी और शिक्षक के व्यक्तित्व के विभिन्न आयाम कौन से हैं, शिक्षक और विद्यार्थी के सम्बन्ध का आन्तरिक और बाह्य स्वरूप कैसे होता है, शिक्षा और शिक्षाकेन्द्र में शिक्षक का महत्त्व कितना है और उसके साथ शिक्षा से सम्बन्धित अन्य लोगों ने कैसा व्यवहार करना चाहिये, विद्यालय के सन्दर्भ में अपनी भूमिका कैसे निभानी चाहिये इसका विचार इस पर्व में किया गया है ।
यह केवल तात्विक चर्चा नहीं है मुख्य रूप से व्यावहारिक ही है । शिक्षा के भारतीयकरण का स्वरूप किन प्रक्रियाओं से बनता है इसकी ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास यहाँ किया गया है ।