Difference between revisions of "पुनरुत्थान कक्षा २"
Jump to navigation
Jump to search
Line 198: | Line 198: | ||
* स्वयं संख्या बनाकर मौखिक, लिखित गिनती का सघन अभ्यास कराना। | * स्वयं संख्या बनाकर मौखिक, लिखित गिनती का सघन अभ्यास कराना। | ||
* जोड तथा घटाव के तथ्य कंठस्थ कराना। | * जोड तथा घटाव के तथ्य कंठस्थ कराना। | ||
+ | |||
+ | === विषय-विज्ञान === | ||
+ | |||
+ | ==== 1. पदार्थ विज्ञान : ==== | ||
+ | * कुएं की गिरी (घिरनी) का कार्य और उपयोग। | ||
+ | * प्रकाश- अंधकार, परछाई का विचार। | ||
+ | * उच्चालन : चिमटा, कैंची, साँणसी. सी-सॉ. बडी झाडू सभी में उच्चालन का | ||
+ | * उपयोग होता है। उनका निरीक्षण करना, प्रयोग करना।' | ||
+ | |||
+ | ==== 2. खगोल विज्ञान : ==== | ||
+ | * आकाशीय पदार्थों का परिचय (सूर्य,चंद्र तारा,पृथ्वी, आदि की जानकारी, घर में आकाश दर्शन कराना)। | ||
+ | * रात-दिन, सुबह-शाम क्यों होती है, यह पृथ्वी की गोलाकार आकृति से समझाना। | ||
+ | * निश्चित वस्तु की परछाई का भिन्न-भिन्न समय पर अवलोकन करना। | ||
+ | * पंचाग की जानकारी। | ||
+ | |||
+ | ==== 3. भूगोल : ==== | ||
+ | * दिशाओं और कोनों के नाम। | ||
+ | * प्रतिकृति पर से रेखाचित्र बनाना, रेखाचित्र के आधार पर प्रतिकृति बनाकर देखना। | ||
+ | * नक्शा अर्थात् क्या? मानचित्र की संकल्पना समझाना। | ||
+ | * स्वयं के गाँव, स्वयं की तहसील, जिला (मानचित्र के साथ) भौगोलिक स्थानों की जानकारी। | ||
+ | * छह ऋतुओं का परिचय। | ||
+ | |||
+ | ==== 4. रसायन शास्त्र : ==== | ||
+ | * पुनरावर्तन : मात्रा कम-अधिक करके प्रयोग करके देखना। | ||
+ | * हल्दी साबन का प्रयोग। - पलाश के फूलों से रंग बनाना।। | ||
+ | - | ||
+ | |||
+ | हल्प | ||
==References== | ==References== |
Revision as of 20:25, 17 January 2020
This article relies largely or entirely upon a single source. |
विषय
- उद्योग
- योग
- भाषा
- संगीत
- गणित
- विज्ञान
- संस्कृति
- शारीरिक शिक्षण
विषय-उद्योग
1. रेखाएँ बनाना :
- रेखाओं की सहायता से विविध आकार (डिझाइन) बनाना।
- आडी, तिरछी रेखाओं से स्लेट को सुशोभित करना, सीमा रेखा बनाना।
2. चित्र :
- रेखाचित्र बनाना (चित्रपोथी पृष्ठ क्रमांक 3 से 12 तक)
- चित्र बनाकर रंग भरना।
- बिंदु जोड़कर रंगोली बनाना।
- ज्यामितिय आकारों पर आधारित चित्र बनाकर रंग भरना।
3. काटना :
- हाथ से, कैची से, मापिका से, धागे से कागज की पटियाँ काटकर तोरण बनाना।
- कपड़ा, थान, पुट्ठा काटना।
- सब्जियों और फल काटना। (आलू, गाजर, लौकी, केला. सेब ... आदि । काटना)
4. माटी काम :
- मिट्टी को कूटकर, छानकर, भिगोकर, गूंथकर खिलौन बनाना।
- ईटों का आकार देना. ईटे पकाना, ईटों को रंग करना, घर बनाना।
5. प्रवृत्ति :
- पस्तक लेखन पुस्तिका को पुट्ठा चढ़ाना या आवरण चढ़ाना।
- चित्र पर अनाज, रेत, साबुत दालों आदि को गोंद से अथवा फेविकॉल से चिपकाना।
- कागज की थैलियाँ, लिफाफे बनाना।
- छोटे-बड़े मोतियों की माला बनाना।
- सुई से कपड़े पर, जूट के थैलों पर अथवा जालीदार कपड़े पर टाँका लगाना।
- रुई से दीपक की बाती बनाना।
- पूरी, रोटी, पराठे बेलना।
- वाल की सेंग, फली, अनार, उबला हुआ आलू छीलना।
- भल बनाना।
६. कृषि :
- क्यारी तैयारी करना।
- बीज अथवा पौधे रोपना, पौधे की वृद्धि का अवलोकन करना।
विषय - योग
1. श्वसन :
- दीर्घ श्वसन, पूरा श्वास निकालना, पूरा श्वास भरना, कौन-सी नसकोर श्वास ले।
- रही है, यह देखना।
- स्थिर बैठकर श्वासोच्छ श्वास करना।
2. शुद्धिक्रिया:
- हाथ-पैर धोना, पोंछना,नाक साफ करना।
3. आचार :
- भोग लगाना, नमस्कार अथवा प्रणाम करना।
- फूल चढ़ाना, यज्ञ में आहुति देना, चंदन घिसना।
4. जप करना :
- ॐ कार का सही पद्धति से उच्चारण कर माला करना और 'ॐ नमो नारायणाय' का जप करना।
5. कीर्तन करना :
- ताली बजाकर नृत्य करते हुए।
6. स्तोत्र :
- संकटनाशन गणेश स्तोत्र, प्रज्ञावर्धनम् स्तोत्र, श्री रामचंद्र स्तुति।
7. आसन :
- वज्रासन, ताड़ासन, पद्मासन, ध्रुवासन, सुखासन, शवासन, प्रार्थनासन।
8. ध्यान:
- स्थिर, शांत, आँखें बंद करके बैठना।
9. मुद्रा:
- ज्ञानमुद्रा, पुस्तक मुद्रा, प्राणमुद्रा, नमस्कार मुद्रा।
10. सेवाकार्य :
- वृक्षसेवा : क्यारी और पौधों की स्वच्छता, देखभाल, वृक्षों को पानी देना।
- छात्रसेवा : चप्पल-जूते (पादत्राण)व्यवस्थित रखना, आसन, माले। व्यवस्थित करना।
- गुरुसेवा : गुरु को आसन देना, प्रणाम करना।
- अतिथिसेवा : उन्हें पानी देना. उनके साथ बातें करना, घूमने जाना।
- वृद्धसेवा : उन्हें पानी देना, उनके साथ बातें करना, घूमने जाना।
- विद्यालय सेवा : फर्नीचर, खिड़की-दरवाजे बातें करना, कचरा उठाना।
11. विशेष प्रवृत्ति :
- संयम से व्यवहार करना, सत्य बोलना, सहनशीलता, संकल्प पूरा करना।
12. सदाचार :
- पंक्तिबद्ध रहना, बिना कारण नहीं बोलना।
- सीधे (दाएँ) हाथ से भोजन करना, जूठन नहीं छोड़ना।
- कार्य-पुस्तिका में से पृष्ठ नहीं फाड़ना, पुस्तकों को संभालकर रखना, एक-दूसरे की चुगली न करना।
विषय - भाषा
1 . श्रवण: (सुंनना और समझना)
- शब्द, विविध प्रकार के वाक्य सुनकर उन्हें समझना।
- समध्वनि शब्द, स्तोत्र, गीत सुनना।
- कहानी, घटना, वर्णन,सूचना सुनकर उन्हें समझना।
2. कथन : (बोलना और गाना)
- समध्वनि शब्द, गीत, मंत्र, श्लोक, दोहों का शुद्ध उच्चारण सहित गायन।
- मूलाक्षर (स्वर-व्यंजन) शुद्ध उच्चारण सहित बोलना।
- मूलाक्षरों से शब्द, शब्दों से वाक्य बनाकर बोलना।
- अनुरणनात्मक शब्द (उदा.
- अनुप्रासात्मक शब्द (उदा.
- स्वयं का परिचय, विद्यालय का परिचय, कहानी सुनाना, चित्र का वर्णन, घटना बताना।
3. वादन : (जोर से ऊँची आवाज में) पढ़ना, मन में पढ़ना और समझना।।
- सरल शब्द, अर्घाक्षर वाले शब्द, वाक्य, अनुच्छेद का वाचन।
- कहानी पुस्तिका, चित्रकथा का वाचन, अनुवाचन, धीरे बोलकर पढ़ना।
- समध्वनि पढ़ना।
- समध्वनि शब्द, गीतों का पढ़ते हुए गायन।
- अतिरिक्त वस्तुएँ न रखना, कचरा कचरा-पेटी में ही डालना।
विशेष प्रवृत्ति : प्रभात फेरी
विषय-संगीत
1. श्रवण :
- श्लोक, सुभाषितों का श्रवण। (रलमाला ध्वनिमुद्रिका)
- बालगीत, समध्वनि शब्दों का श्रवण। (शिशुगीत ध्वनि मुद्रिका)
- शायगीत, प्रकृति गीत, देशभक्ति गीत सुनना। (भारत के गीत गाओ ध्वनिमुद्रिका)
- प्रार्थना, भजन, स्तुति, सुनना। (रेडियो पर,टी.वी. पर, घर में बड़ों के कण्ठ स
- गाए गए, विद्यालय में आचार्य के कण्ठ से गाए गए)
- तबला वादन की, घोष वादन की ध्वनिमुद्रिका सुनना।
2. गायन:
- मत्र, सूत्र, श्लोक, स्तोत्र का शुद्ध उच्चारण सहित, छंदबद्ध, सामूहिक गायन।।
- समध्वनि शब्द, पहेलियों, दोहों का मधुर स्वर में तालबद्ध गायन।
- गीत गायन (विषय आधारित, प्रकृति आधारित गीत, देशभक्ति गीत, धुन)।।
- स्वर साधना, ॐ उच्चारण, 'सा', 'प' स्वर की साधना।
- सरल अलंकारों का हार्मोनियम के साथ गायन। (1 से 5 अलंकार )
- देश भक्ति गीत।
3. वादन :
- भिन्न-भिन्न तालों में ताली बजाना, मँजीरा बजाना, खंजरी बजाना।
4. लेखन :
- योग्य मोड़ों के साथ अक्षर लेखन, एक समान माप संभालते हुए मूलाक्षरों का सुंदर अक्षरों में लेखन।
- अनुलेखन एवं श्रुतलेखन।
- दो पंक्तियों वाली लेखन-पुस्तिका में लिखना सिखाना।
- पेड़, कारीगर, सब्जी, फलों के नाम, पक्षी का नाम, गाँव के विषय में लिखना।
- चित्र के आधार पर / मौखिक आधारित पाँच-सात वाक्यों का लेखन।
- शब्द-कोष, व्याकरण और भाषा आधारित खेल।
- शब्द से वाक्य बनाना।
- शब्दों की वर्तनी, शब्दों को बाराखडी के क्रम में लिखना।
- अक्षरों का उपयोग कर शब्द बनाना।
- उलट-पुलट अक्षरों को सही ढंग से जमाकर शब्द (सही) बनाना, शब्द-वर्ग भरना।
- कहावतें, समानार्थी शब्द, विरुद्धार्थी शब्द, द्वि-ध्वन्यात्मक शब्द।
काव्य : संगीत -भाग 2 पुस्तक में से
टिप्पण : लेखन में उपयुक्त शब्द श्रवण और वाचन के अंतर्गत आएँ तो ध्यान देनाः ।
विषय-गणित
1. कक्षा - 1 का पुनरावर्तन
2. वस्तुओं द्वारा तुलनात्मक संकल्पना समझाना :
- पूर्ण-अपूर्ण, ऊँचा-नीचा, मोटा-दुबला आदि।
3. संख्याज्ञान:
- 1 से 100 तक और 100 से 1 तक। (गिनती, मौखिक व लिखित)
- 1 से 10 के पहाड़े मौखिक और लिखित।
- 11 से 20 तक पहाड़े मौखिक।
- 1 से 100 तक आधे के पहाड़े (मौखिक)।
- छोटी-बड़ी संख्या, आगे-पीछे-मध्य में स्थित संख्या।
- संख्याओं का चढ़ता-उतरता क्रम।
- संख्याओं का अंक में और शब्दों में लेखन।
- संख्याओं का श्रुतलेख, पहाड़े।
- समूह बनाना, संख्याओं में अंकों का स्थान मूल्य (इकाई, दहाई,सैकड़ा)
- क्रमसूचक संख्या। (वस्तु अथवा चित्र द्वारा)
4. गिनना :
- जोड़ :1 से 100 तक। (हासिल वाले)
- घटाव :1 से 100 तक। (सरल तथा दहाई वाले)
- सरल संख्या वाले प्रश्न हल करना।
5. कालगणना :
- दिनों के नाम (रविवार....) ।
- विक्रम संवत् तथा ईसवीं सन् के अनुसार महिनों के नामा।
- दिन, सप्ताह, पखवाड़ा, मास, वर्ष की समझा।
तिथियों के नाम (प्रथमा से पूर्णिमा, अमावस्या)
6. ज्यामितिय आकार :
- गोलाकार, वर्गाकार, आयताकार, त्रिकोण के चित्र बनाना।
7. वैदिक गणित :
- पुनरावर्तन।
- पूरक (10 के आधार पर)।
- शून्यांत बनाकर जोड़, घटाव (50 तक सिखाना)।
- ऐकाधिकेन चिह्न की सहायता से जोड़ (50 तक सिखाना)।
टिप्पण: मै गिनता हूँ भाग-2 पुस्तक के आधार पर गिनना सिखाना।
- स्वयं संख्या बनाकर मौखिक, लिखित गिनती का सघन अभ्यास कराना।
- जोड तथा घटाव के तथ्य कंठस्थ कराना।
विषय-विज्ञान
1. पदार्थ विज्ञान :
- कुएं की गिरी (घिरनी) का कार्य और उपयोग।
- प्रकाश- अंधकार, परछाई का विचार।
- उच्चालन : चिमटा, कैंची, साँणसी. सी-सॉ. बडी झाडू सभी में उच्चालन का
- उपयोग होता है। उनका निरीक्षण करना, प्रयोग करना।'
2. खगोल विज्ञान :
- आकाशीय पदार्थों का परिचय (सूर्य,चंद्र तारा,पृथ्वी, आदि की जानकारी, घर में आकाश दर्शन कराना)।
- रात-दिन, सुबह-शाम क्यों होती है, यह पृथ्वी की गोलाकार आकृति से समझाना।
- निश्चित वस्तु की परछाई का भिन्न-भिन्न समय पर अवलोकन करना।
- पंचाग की जानकारी।
3. भूगोल :
- दिशाओं और कोनों के नाम।
- प्रतिकृति पर से रेखाचित्र बनाना, रेखाचित्र के आधार पर प्रतिकृति बनाकर देखना।
- नक्शा अर्थात् क्या? मानचित्र की संकल्पना समझाना।
- स्वयं के गाँव, स्वयं की तहसील, जिला (मानचित्र के साथ) भौगोलिक स्थानों की जानकारी।
- छह ऋतुओं का परिचय।
4. रसायन शास्त्र :
- पुनरावर्तन : मात्रा कम-अधिक करके प्रयोग करके देखना।
- हल्दी साबन का प्रयोग। - पलाश के फूलों से रंग बनाना।।
-
हल्प
References
भारतीय शिक्षा : पुनरुत्थान कक्षानुसार पाठ्यक्रम - कक्षा २, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे