उसी प्रकार से समाजव्यवस्था के मूल आधार छिन्नभिन्न हो गये हैं। जिस प्रकार खम्भे गिर जाने से सारा का सारा भवन ध्वस्त हो जाता है उसी प्रकार समाज व्यवस्था खण्डहर बन गई है। अन्य व्यवस्थाओं की तो पर्यायी व्यवस्था हुई भी है, भले ही वह यूरोअमेरिकी हो, पर समाज के लिये तो कोई व्यवस्था ही नहीं है। | उसी प्रकार से समाजव्यवस्था के मूल आधार छिन्नभिन्न हो गये हैं। जिस प्रकार खम्भे गिर जाने से सारा का सारा भवन ध्वस्त हो जाता है उसी प्रकार समाज व्यवस्था खण्डहर बन गई है। अन्य व्यवस्थाओं की तो पर्यायी व्यवस्था हुई भी है, भले ही वह यूरोअमेरिकी हो, पर समाज के लिये तो कोई व्यवस्था ही नहीं है। |