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* विद्यालय में भोजन करने का स्थान सुनिश्चित होना चाहिये।  
 
* विद्यालय में भोजन करने का स्थान सुनिश्चित होना चाहिये।  
 
* विद्यार्थियों को भोजन करने के साथ साथ भोजन बनाने की ओर परोसने की शिक्षा भी दी जानी चाहिये । इस दृष्टि से सभी स्तरों पर सभी कक्षाओं में आहारशास्त्र पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिये ।  
 
* विद्यार्थियों को भोजन करने के साथ साथ भोजन बनाने की ओर परोसने की शिक्षा भी दी जानी चाहिये । इस दृष्टि से सभी स्तरों पर सभी कक्षाओं में आहारशास्त्र पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिये ।  
* आवासीय विद्यालयों में भोजन बनाने की विधिवत् शिक्षा देने का प्रबन्ध होना चाहिये । भोजन सामग्री की परख, खरीदी, सफाई. मेन बनाना. पाकक्रिया. परोसना, भोजन पूर्व की तथा बाद की सफाई का शास्त्रीय तथा व्यावहारिक ज्ञान विद्यार्थियों को मिलना चाहिये । सामान्य विद्यालयों में भी यह ज्ञान देना तो चाहिये ही परन्तु वह विद्यालय और घर दोनों स्थानों पर विभाजित होगा। विद्यालय के निर्देश के अनुसार अथवा विद्यालय में प्राप्त शिक्षा के अनुसार विद्यार्थी
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* आवासीय विद्यालयों में भोजन बनाने की विधिवत् शिक्षा देने का प्रबन्ध होना चाहिये । भोजन सामग्री की परख, खरीदी, सफाई. मेन बनाना. पाकक्रिया. परोसना, भोजन पूर्व की तथा बाद की सफाई का शास्त्रीय तथा व्यावहारिक ज्ञान विद्यार्थियों को मिलना चाहिये । सामान्य विद्यालयों में भी यह ज्ञान देना तो चाहिये ही परन्तु वह विद्यालय और घर दोनों स्थानों पर विभाजित होगा। विद्यालय के निर्देश के अनुसार अथवा विद्यालय में प्राप्त शिक्षा के अनुसार विद्यार्थी घर में भोजन बनायेंगे, करवायेंगे और करेंगे।
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वास्तव में भोजन सम्बन्धी यह विषय घर का है परन्तु आज घरों में उचित पद्धति से उसका निर्वहन होता नहीं है इसलिये उसे ठीक करने की जिम्मेदारी विद्यालय की हो जाती है।
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भोजन को लेकर समस्याओं तथा उनके समाधान विषयक ज्ञान
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भोजन की सारी व्यवस्था आज अस्तव्यस्त हो गई है। इस भारी गडबड का स्वरूप प्रथम ध्यान में आना चाहिये । कुछ बिन्दु इस प्रकार है ।
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* अन्न पवित्र है ऐसा अब नहीं माना जाता है। वह एक जड पदार्थ है।
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* भारतीय परम्परा में अनाज भले ही बेचा जाता हो, अन्न कभी बेचा नहीं जाता था । अन्न पर भूख का और भूखे का स्वाभाविक अधिकार है, पैसे का या अन्न के मालिक का नहीं । आज यह बात सर्वथा विस्मृत हो गई है।
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* अन्नदान महादान है यह विस्मृत हो गया है।
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* होटल उद्योग अपसंस्कृति की निशानी है। इसे अधिकाधिक प्रतिष्ठा मिल रही है।
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* होटेल का खाना, जंकफूड खाना, तामसी आहार करना बढ रहा है।
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* शुद्ध अनाज, शुद्ध फल और सब्जी, शुद्ध और सही प्रक्रिया से बने मसाले, गाय के घी, दूध, दही, छाछ आज दुर्लभ हो गये हैं । रासायनिक खाद कीटनाशक, उगाने, संग्रह करने और बनाने में यंत्रों का आक्रमण बढ रहा है और स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिये विनाशक सिद्ध हो रहा है । इस समस्या का समाधान ढूँढना चाहिये। भोजन का स्वास्थ्य, संस्कार और संस्कृति के साथ सम्बन्ध है इस बात का विस्मरण हो गया है।
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* भोजन का स्वास्थ्य, संस्कार और संस्कृति के साथ सम्बन्ध है इस बात का विस्मरण हो गया है।
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=== भारतीय इन्स्टंट फ़ूड एवं जंक फ़ूड ===
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इन सभी समस्याओं का समाधान विद्यालय में विभिन्न स्तरों पर सोचा जाना चाहिये । विद्यालय में भोजन केवल विद्यार्थियों के नास्ते तक सीमित नहीं है, भोजन से सम्बन्धित कार्य, भोजन से सम्बन्धित दृष्टि एवं मानसिकता तथा भोजन विषयक समस्याओं एवं उनके समाधान आदि सभी विषयों का समावेश इसमें होता है।
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कहने की आवश्यकता नहीं कि ये सब परीक्षा के विषय नहीं है, जीवन के विषय हैं । विद्यार्थियों को शिक्षकों को अभिभावकों को तथा स्वयं शिक्षा को परीक्षा के चंगुल से किंचित् मात्रा में मुक्त करने के माध्यम ये बन सकते हैं ।
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इन सभी समस्याओं का समाधान विद्यालय में विभिन्न स्तरों पर सोचा जाना चाहिये । विद्यालय में भोजन केवल विद्यार्थियों के नास्ते तक सीमित नहीं है, भोजन से सम्बन्धित कार्य, भोजन से सम्बन्धित दृष्टि एवं मानसिकता तथा भोजन विषयक समस्याओं एवं उनके समाधान आदि सभी विषयों का समावेश इसमें होता है।
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कहने की आवश्यकता नहीं कि ये सब परीक्षा के _ विषय नहीं है, जीवन के विषय हैं । विद्यार्थियों को शिक्षकों
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को अभिभावकों को तथा स्वयं शिक्षा को परीक्षा के चंगुल से किंचित् मात्रा में मुक्त करने के माध्यम ये बन सकते हैं।
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मोटे तौर पर जिसमें चिकनाई अधिक है उसे स्निग्ध
 
मोटे तौर पर जिसमें चिकनाई अधिक है उसे स्निग्ध
  
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