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===== २. वृक्ष वनस्पती सेवा =====
 
===== २. वृक्ष वनस्पती सेवा =====
पौंधो को पानी पिलाना, वृक्षों के तनों को रंग लगाना, पतझड में गिरे हुई पत्ते, कचरा इकट्ठा करना, गमले साफ रखना, पौधों को खाद देना इत्यादी प्रकार के काम सेवाकार्य ही हैं । १० बालकों का गट  
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पौंधो को पानी पिलाना, वृक्षों के तनों को रंग लगाना, पतझड में गिरे हुई पत्ते, कचरा इकट्ठा करना, गमले साफ रखना, पौधों को खाद देना इत्यादी प्रकार के काम सेवाकार्य ही हैं । १० बालकों का गट बनाना, गट प्रमुख बनाना। इससे कार्यविभाजन होगा। खेल के कालांश में यह सेवाकार्य करना ।
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====== शैक्षिक मूल्य - ======
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वृक्ष वनस्पति का परिचय, उनकी आवश्यकताएँ समझना उनके प्रति आत्मीयता निर्माण होती है । ये सारी बातें हमारे विद्यालय की हैं, उनका रक्षण एवं संवर्धन करना हमारा दायित्व है यह भाव जागृत होता है ।
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पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
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====== अवरोध - ======
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सभी छात्र ठीक से काम करेंगे या नहीं ? आपस में झगड़ेंगे ऐसी आशंका निर्माण होती है। यह काम क्या पढ़ाई है ? ऐसा प्रश्न अभिभावक पूछ सकते हैं।
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ही नहीं । अनेक प्रकार से इसका अभ्यास हो सकता है ।
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====== उपाय - ======
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इस गतिविधी का स्वरूप और महत्त्व छात्रों को समझाना । शिक्षक ने थोडीबहुत देखरेख रखना । किताबी पढ़ाई से हटकर इस अभ्यास से छात्रों की मनःस्थिति में अच्छा बदलाव आता है । फिर अभिभावक भी शिकायत नहीं करेंगे ।
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===== ३. स्वच्छता =====
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सफाई करना, श्यामपट स्वच्छ करना, डेस्क बेंच साफ रखना, कागज कचरा उठाकर कचरा पात्र में डालना । इस प्रकार के सारे काम होंगे। रोज प्रार्थना के तुरंत बाद १० मिनट यह स्वच्छता कार्य होगा । कक्षा शिक्षक इसका ठीक से नियोजन करेंगे । सब को अपना कार्य समझायेंगे ।
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====== अवरोध - ======
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कुछ बालक काम करेंगे, कुछ मस्ती
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====== उपाय - ======
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अच्छे काम करने वालों का गौरव करना । न करनेवालों को डाँट नहीं, अपितु उनकी समझ बढ़ाना । कक्षाचार्य ने स्वयं इसमें सहभागी होना ।
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====== शैक्षिक मूल्य - ======
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समूह में काम करने की आदत, विद्यालय के प्रति आत्मीय भाव जागृत करना ।
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===== ४. वन्दना =====
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विद्यालय सरस्वती का मन्दिर है । अध्ययन रोज उसी की वन्दना से शुरु होना चाहिये । पूजन करना शुद्ध एवं सुस्वर में वन्दना करना । वन्दना मे शिक्षक, मुख्याध्यापक, उपस्थित अतिथि एवं अभिभावकों को भी सम्मिलित करें ।
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====== शैक्षिकमूल्य - ======
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सरस्वती वन्दना में संगीत, संस्कृत और योग तीनों बातों का संयोग होता है। स्थिरता अनुशासन संयम आदि संस्कार होते है ।
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====== अवरोध - ======
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कुछलोग पूजापाठ के विरोधी होते हैं ।
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====== उपाय - ======
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उनकी ओर ध्यान नहीं देना । उनसे __ भयभीत भी नहीं होना।
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===== ५. कारसेवा एवं यज्ञ =====
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विद्यालय में अग्निहोत्र नित्य करें । विद्यालय की ५ वीं से ऊपर की कक्षाओं में से प्रतिदिन एक कक्षा के छात्र अग्निहोत्र करे । उस समय वे वन्दना में नहीं जायेंगे । बैठक व्यवस्था करना, यज्ञ की सामग्री रखना, बाद में उठाकर यथास्थान रखना, ४ छात्रोंने प्रत्यक्ष हवन करना इस प्रकार की योजना बने । उपरोक्त सर्व गतिविधियों में कुछ न कुछ कारसेवा हर विद्यर्थी को करनी ही है। अतः अलगसे कारसेवा न लगाए तो भी चलेगा।
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====== शैक्षिक मूल्य - ======
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पर्यावरण शुद्धि, वेदमंत्र कंठस्थ होना, उच्चारण स्पष्टता एवं आध्यात्मिक संस्कार साध्य होते
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====== अवरोध - ======
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घी और हवन सामग्री रोज खर्च होती है ऐसा कुछ लोग सोचते हैं।
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====== उपाय - ======
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समिधा इकट्ठी कर सकते हैं। घी खर्च  होगा परंतु अन्य उपलब्धिओं की तुलना मे खर्च नगण्य है । घी जलकर नष्ट होता है और वह फिजूल खर्च है, यह विचार दूर करे।
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===== ६. व्यायाम =====
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दिन भर के समयपत्रक मे रोज १५ मिनिट व्यायाम के लिए निकालना चाहिये । व्यायाम का स्वरूप छात्रों की आयु के अनुसार निश्चित करें । वर्गशिक्षक रोज उपस्थिति लेता है उसी प्रकार व्यायाम भी अनिवार्य रूप से हो ।
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====== शैक्षिक मूल्य - ======
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शरीर मे स्फूर्ति उत्साह एव लोच  बढता है। ये बातें ज्ञानार्जन के लिए अत्यावश्यक है ।
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===== अवरोध - =====
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शिक्षक ही प्रमुख रूप से इसमें अवरोध है । येन केन प्रकारेण इसे मुख्याध्यापक ही दूर करे ।
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===== ७. योगाभ्यास =====
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नित्य वंदना के बाद १० मिनिट प्रार्थना कक्ष में ही योगाभ्यास हो । योगाभ्यास अर्थात् केवल आसन प्राणायाम ही नहीं । अनेक प्रकार से इसका अभ्यास हो सकता है ।
    
शैक्षिक मूल्य - छात्रों की ग्रहणशक्ति, धारणाशक्ति
 
शैक्षिक मूल्य - छात्रों की ग्रहणशक्ति, धारणाशक्ति
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