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| | ससर्वान्पार्थिवान्जित्वा सर्वांश्च महतो गणान्॥ 1-1-135 | | ससर्वान्पार्थिवान्जित्वा सर्वांश्च महतो गणान्॥ 1-1-135 |
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| | आजहारार्जुनो राज्ञे राजसूयं महाक्रतुम्। | | आजहारार्जुनो राज्ञे राजसूयं महाक्रतुम्। |
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| | अन्नवान्दक्षिणावांश्च सर्वैः समुदितो गुणैः॥ 1-1-136 | | अन्नवान्दक्षिणावांश्च सर्वैः समुदितो गुणैः॥ 1-1-136 |
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| | युधिष्ठिरेण सम्प्राप्तो राजसूयो महाक्रतुः। | | युधिष्ठिरेण सम्प्राप्तो राजसूयो महाक्रतुः। |
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| | सुनयाद्वासुदेवस्य भीमार्जुनबलेन च॥ 1-1-137 | | सुनयाद्वासुदेवस्य भीमार्जुनबलेन च॥ 1-1-137 |
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| | घातयित्वा जरासन्धं चैद्यं च बलगर्वितम्। | | घातयित्वा जरासन्धं चैद्यं च बलगर्वितम्। |
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| | दुर्योधनं समागच्छन्नर्हणानि ततस्ततः॥ 1-1-138 | | दुर्योधनं समागच्छन्नर्हणानि ततस्ततः॥ 1-1-138 |
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| | मणिकाञ्चनरत्नानि गोहस्त्यश्वरथानि च। | | मणिकाञ्चनरत्नानि गोहस्त्यश्वरथानि च। |
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| | विचित्राणि च वासांसि प्रावारावरणानि च॥ 1-1-139 | | विचित्राणि च वासांसि प्रावारावरणानि च॥ 1-1-139 |
| | + | कम्बलाजिनरत्नानि राङ्कवास्तरणानि च। |
| | + | [[:Category:Rajasuya|''Rajasuya'']] [[:Category:sacrifice|''sacrifice'']] [[:Category:Rajasuya sacrifice|''Rajasuya sacrifice'']] |
| | + | [[:Category:राजसूय|''राजसूय'']] [[:Category:महायज्ञ|''महायज्ञ'']] [[:Category:राजसूय महायज्ञ|''राजसूय महायज्ञ'']] |
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| − | कम्बलाजिनरत्नानि राङ्कवास्तरणानि च।
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| | समृद्धां तां तथा दृष्ट्वा पाण्डवानां तदाश्रियम्॥ 1-1-140 | | समृद्धां तां तथा दृष्ट्वा पाण्डवानां तदाश्रियम्॥ 1-1-140 |