| Line 105: |
Line 105: |
| | | | |
| | | | |
| − | सर्वाश्रमाभिगमनं सर्वतीर्थावगाहनम्॥ 1-1-27
| + | सर्वाश्रमाभिगमनं सर्वतीर्थावगाहनम्॥ 1-1-27 |
| − | न तथा फलदं लोके नारायणकथा यथा।
| + | |
| − | [[:Category:Mahabharata|''Mahabharata'']] [[:Category:symbol|''symbol'']] [[:Category:knowledge|''knowledge'']]
| + | न तथा फलदं लोके नारायणकथा यथा। |
| − | [[:Category:symbol of knowledge|''symbol of knowledge'']] [[:Category:महाभारत|''महाभारत'']] [[:Category:ज्ञान|''ज्ञान'']]
| |
| − | [[:Category:प्रतिक|''प्रतिक'']] [[:Category:ज्ञानका प्रतिक|''ज्ञानका प्रतिक'']]
| |
| | | | |
| − | नास्ति नारायणसमो न भूतो न भविष्यति॥ 1-1-28
| + | नास्ति नारायणसमो न भूतो न भविष्यति॥ 1-1-28 |
| | | | |
| − | एतेन सत्यवाक्येन सर्वार्थान्साधयाम्यहम्।
| + | एतेन सत्यवाक्येन सर्वार्थान्साधयाम्यहम्। |
| | | | |
| | आचख्युः कवयः केचित्सम्प्रत्याचक्षते परे॥ 1-1-29 | | आचख्युः कवयः केचित्सम्प्रत्याचक्षते परे॥ 1-1-29 |
| Line 119: |
Line 117: |
| | आख्यास्यन्ति तथैवान्य[न्ये] इतिहासमिमं भुवि। | | आख्यास्यन्ति तथैवान्य[न्ये] इतिहासमिमं भुवि। |
| | | | |
| − | एतद्धि हि[इदं तु] त्रिषु लोकेषु महज्ज्ञानं प्रतिष्ठितम्॥ 1-1-30
| |
| | | | |
| − | विस्तरैश्च समासैश्च धार्यते यद्द्विजातिभिः। | + | एतद्धि हि[इदं तु] त्रिषु लोकेषु महज्ज्ञानं प्रतिष्ठितम्॥ 1-1-30 |
| | + | विस्तरैश्च समासैश्च धार्यते यद्द्विजातिभिः। |
| | + | [[:Category:Mahabharata|''Mahabharata'']] [[:Category:symbol|''symbol'']] [[:Category:knowledge|''knowledge'']] |
| | + | [[:Category:symbol of knowledge|''symbol of knowledge'']] [[:Category:महाभारत|''महाभारत'']] [[:Category:ज्ञान|''ज्ञान'']] |
| | + | [[:Category:प्रतिक|''प्रतिक'']] [[:Category:ज्ञानका प्रतिक|''ज्ञानका प्रतिक'']] |
| | | | |
| | | | |