समावर्तन संस्कार और समावर्तन उपदेश के बाद गृहस्थाश्रम में किस प्रकार रहना. इसका मार्गदर्शन प्राप्त कर व्यक्ति गृहस्थाश्रम के लिये सिद्ध होता है। गृहस्थाश्रम अपने सर्व प्रकार के सांसारिक दायित्वों को पूर्ण करने का आश्रम है। स्नातक अब गृहस्थ बनता है। गृहस्थ की परिभाषा है, गृहेषु दारेषु तिष्ठति अभिरमते इति गृहस्थः अर्थात् जो घर में रहता है और पत्नी में रमण करता है वह गृहस्थ है। अब उसका गुरूगृह में नहीं अपितु अपने स्वयं के घर में वास होता है।
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समावर्तन संस्कार और समावर्तन उपदेश के बाद गृहस्थाश्रम में किस प्रकार रहना. इसका मार्गदर्शन प्राप्त कर व्यक्ति गृहस्थाश्रम के लिये सिद्ध होता है। गृहस्थाश्रम अपने सर्व प्रकार के सांसारिक दायित्वों को पूर्ण करने का आश्रम है। स्नातक अब गृहस्थ बनता है। गृहस्थ की परिभाषा है, गृहेषु दारेषु तिष्ठति अभिरमते इति गृहस्थः{{Citation needed}} अर्थात् जो घर में रहता है और पत्नी में रमण करता है वह गृहस्थ है। अब उसका गुरूगृह में नहीं अपितु अपने स्वयं के घर में वास होता है।