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− | अध्याय ७ | + | ==अध्याय ७== |
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− | परिवार की शैक्षिक भूमिका | + | ===परिवार की शैक्षिक भूमिका=== |
− | विद्यालय के सन्दर्भ में परिवार क्या करे
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− | विश्व में भारत की प्रतिष्ठा वर्तमान प्रशंसा के योग्य नहीं है । हमारा नैतिक स्तर गिरा | + | ====विद्यालय के सन्दर्भ में परिवार क्या करे==== |
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| + | =====विश्व में भारत की प्रतिष्ठा===== |
| + | वर्तमान प्रशंसा के योग्य नहीं है । हमारा नैतिक स्तर गिरा |
| हमें यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि घर में. है? गिर रहा है । यह अत्यन्त चिन्ताजनक और लज्जास्पद | | हमें यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि घर में. है? गिर रहा है । यह अत्यन्त चिन्ताजनक और लज्जास्पद |
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| पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार | | पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार |
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− | २... ऑस्ट्रेलिया में यदि आपका मोबाइल खो जाता है | + | २... ऑस्ट्रेलिया में यदि आपका मोबाइल खो जाता है और आप सरकार को बताते हैं तो सरकार बिना पूछताछ किये आपको दूसरा मोबाइल देती है । सरकार अपने नागरिक का विश्वास करती है । कई भारतीय अपना मोबाइल भारत में भेज देते हैं और |
− | और आप सरकार को बताते हैं तो सरकार बिना | + | सरकार से चोरी हो गया कहकर दूसरा लेते हैं। सरकार उन्हें देती भी है । ऐसा दो बार, होने के बाद पूछताछ शुरू होती है । |
− | पूछताछ किये आपको दूसरा मोबाइल देती है । | |
− | सरकार अपने नागरिक का विश्वास करती है । कई | |
− | भारतीय अपना मोबाइल भारत में भेज देते हैं और | |
− | सरकार से चोरी हो गया कहकर दूसरा लेते हैं। | |
− | सरकार उन्हें देती भी है । ऐसा दो बार, होने के बाद | |
− | पूछताछ शुरू होती है । | |
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− | सरकार का यह विश्वास कितने दिन चलेगा ? तब | + | सरकार का यह विश्वास कितने दिन चलेगा ? तब लांछन किस को लगेगा ? |
− | लांछन किस को लगेगा ? | |
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− | 3. विदेश में भी जो चोरी करते हैं और अनीति का | + | 3. विदेश में भी जो चोरी करते हैं और अनीति का आचरण करते हैं वे देश में क्या नहीं करेंगे ? यहाँ भी कानून तोडना, घूस देना और लेना, कस्वोरी करना, परीक्षा में नकल करना, पैसा लेकर मत बेचना, शराबबन्दी होने पर भी शराब बेचना और पीना, गोबधबन्दी होने पर भी गोहत्या करना, मौका मिले |
− | आचरण करते हैं वे देश में क्या नहीं करेंगे ? यहाँ भी | + | तो बिना टिकट यात्रा करना धूमधाम से चल रहा है । खुछ्ठम-खु्ठा चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि |
− | कानून तोडना, घूस देना और लेना, कस्वोरी करना, | |
− | परीक्षा में नकल करना, पैसा लेकर मत बेचना, | |
− | शराबबन्दी होने पर भी शराब बेचना और पीना, | |
− | गोबधबन्दी होने पर भी गोहत्या करना, मौका मिले | |
− | तो बिना टिकट यात्रा करना धूमधाम से चल रहा है । | |
− | खुछ्ठम-खु्ठा चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि | |
| की बात तो अलग है, यह तो सारे अनीति के | | की बात तो अलग है, यह तो सारे अनीति के |
− | मामले हैं । | + | मामले हैं । |
− | यह अनीति समाजविरोधी है, देशविरोधी है,
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− | धर्मविरोधी है । भारत की विचारधारा कभी भी इसका | + | यह अनीति समाजविरोधी है, देशविरोधी है, धर्मविरोधी है । भारत की विचारधारा कभी भी इसका समर्थन नहीं करती । भारत की परम्परा इसकी कभी भी दुहाई नहीं देती । यहाँ तो दो शत्रुओं के बीच युद्ध भी धर्म के नियमों का पालन करके होते हैं। निहत्थे शत्रु के साथ लडने के लिये व्यक्ति अपना हथियार छोड देता है क्योंकि एक के हाथ में शस्त्र हो और दूसरे के हाथ में न हो तो शख्रधारी निःशस्त्र के साथ युद्ध करे यह अन्याय है, अधर्म है । |
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− | समर्थन नहीं करती । भारत की परम्परा इसकी कभी भी
| + | नीतिमत्ता का ह्रास वर्तमान समय का राष्ट्रीय संकट |
− | दुहाई नहीं देती । यहाँ तो दो शत्रुओं के बीच युद्ध भी धर्म
| + | है । इसके साथ लडने हेतु और इस दृषण को दूर करने हेतु विद्यालय, घर और धर्माचार्यों ने जिम्मेदारी लेकर योजना बनानी होगी । |
− | के नियमों का पालन करके होते हैं। निहत्थे शत्रु के
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− | साथ लडने के लिये व्यक्ति अपना हथियार छोड देता है | |
− | क्योंकि एक के हाथ में शस्त्र हो और दूसरे के हाथ में न हो
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− | तो शख्रधारी निःशसख््र के साथ युद्ध करे यह अन्याय है,
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− | अधर्म है ।
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− | नीतिमत्ता का हलास वर्तमान समय का राष्ट्रीय संकट
| + | =====विद्यालय की भूमिका===== |
− | है । इसके साथ लडने हेतु और इस दृषण को दूर करने हेतु | + | 1. विद्यालय का प्रमुख दायित्व है यह मानना होगा । जिस देश के विद्यालय नीतिमत्ता की रक्षा नहीं कर सकते उस देश का भविष्य धुंधला ही होता है । |
− | विद्यालय, घर और धर्माचार्यों ने जिम्मेदारी लेकर योजना | |
− | बनानी होगी ।
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− | ९५
| + | 2. विद्यालय संचालकों और शिक्षकों के नीतिमान होने |
| + | से ही विद्यार्थियों को नीतिमान बना सकते हैं । |
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− | विद्यालय की भूमिका
| + | संचालकों के अनीतिमान होने के अनेक उदाहरण सर्वविदित हैं |
− | श्,
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− |
| + | ऐसे अनेक संचालक हैं जो पैसा कमाने के लिये ही विद्यालय चलाते हैं । उनके लिये बिद्या, शिक्षक, |
| + | देश आदि के लिये कोई सम्मान नहीं होता । वे अनेक प्रकार की गलत बातें लागू कर पैसा कमाते हैं । |
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− | 2८ ५
| + | प्रवेश के लिये और नियुक्ति के लिये विद्यार्थियों और |
− | 2 ५.
| + | शिक्षकों से डोनेशन लेना आम बात है । मजबूरी में या व्यवहार समझकर डोनेशन देनेवाले भी होते ही हैं । |
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− | विद्यालय का प्रमुख दायित्व है यह मानना होगा ।
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− | जिस देश के विद्यालय नीतिमत्ता की रक्षा नहीं कर
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− | सकते उस देश का भविष्य धुंधला ही होता है ।
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− | विद्यालय संचालकों और शिक्षकों के नीतिमान होने
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− | से ही विद्यार्थियों को नीतिमान बना सकते हैं ।
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− | संचालकों के अनीतिमान होने के अनेक उदाहरण
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− | सर्वविदित हैं
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− | ऐसे अनेक संचालक हैं जो पैसा कमाने के लिये ही
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− | विद्यालय चलाते हैं । उनके लिये बिद्या, शिक्षक,
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− | देश आदि के लिये कोई सम्मान नहीं होता । वे
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− | अनेक प्रकार की गलत बातें लागू कर पैसा कमाते
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− | हैं ।
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− | प्रवेश के लिये और नियुक्ति के लिये विद्यार्थियों और
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− | शिक्षकों से डोनेशन लेना आम बात है । मजबूरी में
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− | या व्यवहार समझकर डोनेशन देनेवाले भी होते ही
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− | हैं ।
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| शिक्षकों को कम वेतन देकर पूरे वेतन पर हस्ताक्षर | | शिक्षकों को कम वेतन देकर पूरे वेतन पर हस्ताक्षर |
| करवा लेना भी व्यापकरूप में प्रचलन में है । | | करवा लेना भी व्यापकरूप में प्रचलन में है । |
− | ये तो सर्वविदित उदाहरण हैं, परन्तु यह तो हिमशिला | + | |
− | का बाहर दिखनेवाला हिस्सा है । वास्तविकता | + | ये तो सर्वविदित उदाहरण हैं, परन्तु यह तो हिमशिला का बाहर दिखनेवाला हिस्सा है । वास्तविकता अनेक गुना अधिक है । |
− | अनेक गुना अधिक है । | |
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| ऐसे संचालकों के विद्यालयों में नीतिमत्ता की | | ऐसे संचालकों के विद्यालयों में नीतिमत्ता की |
| शिक्षा किस प्रकार दी जा सकेगी ? | | शिक्षा किस प्रकार दी जा सकेगी ? |
− | शिक्षकों की नीतिमत्ता के अभाव का स्वरूप कुछ
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− | इस प्रकार का है
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− | शिक्षकों को पढाना आता नहीं है, पढाने की नीयत
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− | नहीं होती है तब वे विद्यार्थियों को नकल करवाते हैं
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− | और बदले में पैसे लेते हैं ।
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− | विद्यालय में पढाते नहीं और ट्यूशन में आने की
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− | बाध्यता निर्माण करते हैं ।
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− | वे स्वयं भी नकल करके परीक्षा में उत्तीर्ण हुए होते
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− | हैं ।
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− | ............. page-112 ............. | + | 3. शिक्षकों की नीतिमत्ता के अभाव का स्वरूप कुछ इस प्रकार का है..... |
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| + | शिक्षकों को पढाना आता नहीं है, पढाने की नीयत |
− | | + | नहीं होती है तब वे विद्यार्थियों को नकल करवाते हैं और बदले में पैसे लेते हैं । |
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− | A ०... जो विद्यार्थी ट्यूशन में आते हैं
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− | उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण होने में सहायता करते हैं । ये
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− | भी सर्वविदित उदाहरण हैं । पूर्व में कहा उससे भी
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− | वास्तविकता अनेक गुणा भीषण है ।
| + | विद्यालय में पढाते नहीं और ट्यूशन में आने की बाध्यता निर्माण करते हैं । |
− | ¥. विद्यार्थियों में नीतिमत्ता का छलास । विद्यार्थी भी पीछे
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− | नहीं हैं । उनकी अनीति के कुछ उदाहरण इस प्रकार
| + | वे स्वयं भी नकल करके परीक्षा में उत्तीर्ण हुए होते हैं । |
− | ०... परीक्षा में नकल करना आम बात है । नकल करने
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− | के अनेक अफलातून नुस्खे उनके पास होते हैं ।
| + | जो विद्यार्थी ट्यूशन में आते हैं उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण होने में सहायता करते हैं । ये भी सर्वविदित उदाहरण हैं । पूर्व में कहा उससे भी वास्तविकता अनेक गुणा भीषण है । |
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− | निरीक्षकों को बडी सरलता से सहज में ही वे बुद्ध
| + | 4. विद्यार्थियों में नीतिमत्ता का ह्रास । विद्यार्थी भी पीछे नहीं हैं । उनकी अनीति के कुछ उदाहरण इस प्रकार है... |
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− | बनाते हैं ।
| + | परीक्षा में नकल करना आम बात है । नकल करने के अनेक अफलातून नुस्खे उनके पास होते हैं । निरीक्षकों को बडी सरलता से सहज में ही वे बुद्ध बनाते हैं । |
− | ०... विद्यालय की मालमिल्कत को नुकसान पहुँचाने में
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− | इन्हें कोई संकोच नहीं होता है । | + | विद्यालय की मालमिल्कत को नुकसान पहुँचाने में इन्हें कोई संकोच नहीं होता है । |
− | ०. झूठ बोलना, चुनावी राजनीति करना, गुंडागर्दी को
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− | way देना आदि भी सहज है ।
| + | झूठ बोलना, चुनावी राजनीति करना, गुंडागर्दी को प्रश्रय देना आदि भी सहज है । |
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| इसके भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं । | | इसके भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं । |
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− | जब सर्वसामान्य रूप से ऐसी अनीति छाई हो तो | + | जब सर्वसामान्य रूप से ऐसी अनीति छाई हो तो आशा कहाँ है ? इस अनीति को कम करने में, नष्ट करने में कानून की कोई भूमिका नहीं है । कानून से अनीति दूर हो ही नहीं सकती । अनीति अधर्म है और धर्म से ही उसके साथ लड़ना और उस पर विजय पाना सम्भव हो सकता है । |
− | आशा कहाँ है ? इस अनीति को कम करने में, नष्ट करने में | |
− | कानून की कोई भूमिका नहीं है । कानून से अनीति दूर | |
− | हो ही नहीं सकती । अनीति अधर्म है और धर्म से ही | |
− | उसके साथ लड़ना और उस पर विजय पाना सम्भव हो | |
− | सकता है । | |
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− | धर्म और अधर्म के युद्ध में धर्म की ही विजय होती | + | धर्म और अधर्म के युद्ध में धर्म की ही विजय होती है ऐसा हमारा इतिहास कहता है परन्तु वह तब होता है जब धर्म का पक्ष लेने वाला, धर्म के लिये लडनेवाला कोई खडा हो । धर्म का पक्ष लेने पर अन्तिम विजय होती भले ही हो परन्तु कष्ट भी बहुत उठाने पड़ते हैं । आज का सवाल तो यह है कि धर्म का पक्ष तो लिया जा सकता है परन्तु उसके लिये कष्ट उठाने की सिद्धता नहीं होती । धर्म के गुण तो गाये जा सकते हैं परन्तु धर्ममार्ग पर चलना कठिन है। ऐसा तो कोई क्यों करेगा ? धर्ममार्ग पर चलने से दिखने वाला कोई लाभ हो तब तो |
− | है ऐसा हमारा इतिहास कहता है परन्तु वह तब होता है | |
− | जब धर्म का पक्ष लेने वाला, धर्म के लिये लडनेवाला | |
− | कोई खडा हो । धर्म का पक्ष लेने पर अन्तिम विजय | |
− | होती भले ही हो परन्तु कष्ट भी बहुत उठाने पड़ते हैं । | |
− | आज का सवाल तो यह है कि धर्म का पक्ष तो लिया जा | |
− | सकता है परन्तु उसके लिये कष्ट उठाने की सिद्धता नहीं | |
− | होती । धर्म के गुण तो गाये जा सकते हैं परन्तु धर्ममार्ग | |
− | पर चलना कठिन है। ऐसा तो कोई क्यों करेगा ? | |
− | धर्ममार्ग पर चलने से दिखने वाला कोई लाभ हो तब तो | |
| ठीक है । अधर्म मार्ग पर चलकर लाभ मिलता हो तो | | ठीक है । अधर्म मार्ग पर चलकर लाभ मिलता हो तो |
| अधर्म ही सही । | | अधर्म ही सही । |
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− | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
| + | =====इस स्थिति में विद्यालय क्या करें ?===== |
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− | इस स्थिति में विद्यालय क्या करें ? | |
| कुछ इस प्रकार से विचार किया जा सकता है... | | कुछ इस प्रकार से विचार किया जा सकता है... |
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− | ०... नीति का पक्ष लेने वाले कुछ लोग तो समाज में हैं
| + | नीति का पक्ष लेने वाले कुछ लोग तो समाज में हैं ही । ये केवल नीति की बात ही नहीं करते, उनका आचरण भी नैतिक होता है । अक्सर ऐसे लोग अपने |
− | ही । ये केवल नीति की बात ही नहीं करते, उनका | + | में ही मस्त होते हैं । दूसरों को अनीति का आचरण करना है तो करें, उनका हिसाब भगवान करेगा, हम अनीति का. आचरण नहीं करेंगे । हमने दुनिया को सुधार करने का ठेका नहीं लिया है ऐसा वे कहते हैं । |
− | आचरण भी नैतिक होता है । अक्सर ऐसे लोग अपने | |
− | में ही मस्त होते हैं । दूसरों को अनीति का आचरण | |
− | करना है तो करें, उनका हिसाब भगवान करेगा, | |
− | हम अनीति का. आचरण नहीं करेंगे । हमने | |
− | दुनिया को सुधार करने का ठेका नहीं लिया है ऐसा | |
− | वे कहते हैं । | |
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− | परन्तु केवल अच्छाई पर्याप्त नहीं है । यह सत्य है | + | परन्तु केवल अच्छाई पर्याप्त नहीं है । यह सत्य है कि ऐसे लोगों के प्रभाव से ही दुनिया का अभी नाश नहीं हुआ है परन्तु नीतिमान अच्छे लोगों के अक्रिय |
− | कि ऐसे लोगों के प्रभाव से ही दुनिया का अभी नाश | |
− | नहीं हुआ है परन्तु नीतिमान अच्छे लोगों के अक्रिय | |
| रहने से चलने वाला नहीं है । इन्हें संगठित होकर | | रहने से चलने वाला नहीं है । इन्हें संगठित होकर |
| सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है । | | सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है । |