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धौम्य उवाच
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धौम्य उवाच
 
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पुरा सृष्टानि भूतानि पीड्यन्ते क्षुधया भृशम्।
पुरा सृष्टानि भूतानि पीड्यन्ते क्षुधया भृशम्।
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ततोऽनुकम्पया तेषां सविता स्वपिता यथा॥ 3-3-5
 
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गत्वोत्तरायणं तेजो रसानुद्धृत्य रश्मिभिः।
ततोऽनुकम्पया तेषां सविता स्वपिता यथा॥ 3-3-5
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दक्षिणायनमावृत्तो महीं निविशते रविः॥ 3-3-6
 
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[[:Category:Sun God|''Sun God'']] [[:Category:सूर्य देव|''सूर्य देव'']] [[:Category:अन्न|''अन्न'']]
गत्वोत्तरायणं तेजो रसानुद्धृत्य रश्मिभिः।
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दक्षिणायनमावृत्तो महीं निविशते रविः॥ 3-3-6
      
  क्षेत्रभूते ततस्तस्मिन्नोषधीरोषधीपतिः।
 
  क्षेत्रभूते ततस्तस्मिन्नोषधीरोषधीपतिः।
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  निषिक्तश्चन्द्रतेजोभिः स्वयोनौ निर्गते रविः।
 
  निषिक्तश्चन्द्रतेजोभिः स्वयोनौ निर्गते रविः।
 
  ओषध्यः षड्रसा मेध्यास्तदन्नं प्राणिनां भुवि॥ 3-3-8
 
  ओषध्यः षड्रसा मेध्यास्तदन्नं प्राणिनां भुवि॥ 3-3-8
  [[:Category:Moon God|''Moon God'']] [[:Category:चंद्रमा|''चंद्रमा'']] [[:Category:चंद्र देव|''चंद्र देव'']]
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  [[:Category:Sun God|''Sun God'']] [[:Category:सूर्य देव|''सूर्य देव'']] [[:Category:अन्न|''अन्न'']] [[:Category:Moon God|''Moon God'']] [[:Category:चंद्रमा|''चंद्रमा'']] [[:Category:चंद्र देव|''चंद्र देव'']]
 
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एवं भानुमयं ह्यन्नं भूतानां प्राणधारणम्।
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पितैष सर्वभूतानां तस्मात्तं शरणं व्रज॥ 3-3-9
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एवं भानुमयं ह्यन्नं भूतानां प्राणधारणम्।
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पितैष सर्वभूतानां तस्मात्तं शरणं व्रज॥ 3-3-9
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  राजानो हि महात्मानो योनिकर्मविशोधिताः।
 
  राजानो हि महात्मानो योनिकर्मविशोधिताः।
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