Line 25: |
Line 25: |
| संयुक्त राष्ट्र संघ ने ६ भाषाओं को राज भाषा के रूप में स्वीकृत किया है (अरबी, चीनी, अंग्रेज़ी, फ़ांसीसी, रूसी और स्पेनीश), परंतु इन में से केवल दो भाषाओं को संचालन भाषा माना जाता है (अंग्रेज़ी और फ़ांसीसी )। | | संयुक्त राष्ट्र संघ ने ६ भाषाओं को राज भाषा के रूप में स्वीकृत किया है (अरबी, चीनी, अंग्रेज़ी, फ़ांसीसी, रूसी और स्पेनीश), परंतु इन में से केवल दो भाषाओं को संचालन भाषा माना जाता है (अंग्रेज़ी और फ़ांसीसी )। |
| | | |
− | स्थापना के समय, केवल चार राज भाषाएं स्वीकृत की गई थी (चीनी, अंग्रेज़ी, फ़ांसीसी, रूसी) और १९७३ में अरबी और स्पेनीश को भी संमिलित किया गया। इन भाषाओं के बारे में काफ़ी विवाद उठता है। कुछ लोगों का मानना है कि राज भाषाओं को ६ से एक (अंग्रेज़ी) तक घटाना चाहिए, परंतु इनके विरोध में वे देश है जो मानते है कि राज भाषाओं को बढ़ाना चाहिए। इन लोगों में से कई का मानना है कि हिंदी को भी संमिलित करना आवश्यक है। | + | स्थापना के समय, केवल चार राज भाषाएं स्वीकृत की गई थी (चीनी, अंग्रेज़ी, फ़ांसीसी, रूसी) और १९७३ में अरबी और स्पेनीश को भी संमिलित किया गया। इन भाषाओं के बारे में काफ़ी विवाद उठता है। कुछ लोगोंं का मानना है कि राज भाषाओं को ६ से एक (अंग्रेज़ी) तक घटाना चाहिए, परंतु इनके विरोध में वे देश है जो मानते है कि राज भाषाओं को बढ़ाना चाहिए। इन लोगोंं में से कई का मानना है कि हिंदी को भी संमिलित करना आवश्यक है। |
| | | |
| संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिकी अंग्रेज़ी की जगह ब्रिटिश अंग्रेज़ी का प्रयोग करता है। १९७१ तक, जब तक संयुक्त राष्ट्र संघ तईवान की सरकार को चीन के अधिकार की सरकार मानता था, चीनी भाषा के परम्परागत अक्षर का प्रयोग चलता था। जब तईवान की जगह आज की चीनी सरकार को स्वीकृत किया गया, तब संयुक्त राष्ट्र ने सरलीकृत अक्षर के प्रयोग का प्रारंभ किया। | | संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिकी अंग्रेज़ी की जगह ब्रिटिश अंग्रेज़ी का प्रयोग करता है। १९७१ तक, जब तक संयुक्त राष्ट्र संघ तईवान की सरकार को चीन के अधिकार की सरकार मानता था, चीनी भाषा के परम्परागत अक्षर का प्रयोग चलता था। जब तईवान की जगह आज की चीनी सरकार को स्वीकृत किया गया, तब संयुक्त राष्ट्र ने सरलीकृत अक्षर के प्रयोग का प्रारंभ किया। |
Line 41: |
Line 41: |
| # नारी विरुद्ध भेदभाव निष्कासन संसद | | # नारी विरुद्ध भेदभाव निष्कासन संसद |
| # यातना विरुद्ध संसद | | # यातना विरुद्ध संसद |
− | # बच्चों के अधिकारों का संसद | + | # बच्चोंं के अधिकारों का संसद |
| # प्रवासी कर्मचारी संसद | | # प्रवासी कर्मचारी संसद |
| | | |
Line 54: |
Line 54: |
| संयुक्त राष्ट्र संघ के शांतिरक्षक वहां भेजे जाते हैं जहां हिंसा कुछ देर पहले से बंद है ताकि वह शांति संघ की शर्तों को लगू रखें और हिंसा को रोककर रखें। यह दल सदस्य राष्ट्र द्वारा भेजे जाते हैं और शांतिरक्षा के कार्यों में भाग लेना वैकल्पिक होता है। विश्व में केवल दो राष्ट्र हैं जिन्होंने हर शांतिरक्षा कार्य में भाग लिया है: कनाडा और पुर्तगाल। संयुक्त राष्ट्र संघ स्वतंत्र सेना नहीं रखती है। शांतिरक्षा का हर कार्य सुरक्षा परिषद् द्वारा अनुमोदित होता है। | | संयुक्त राष्ट्र संघ के शांतिरक्षक वहां भेजे जाते हैं जहां हिंसा कुछ देर पहले से बंद है ताकि वह शांति संघ की शर्तों को लगू रखें और हिंसा को रोककर रखें। यह दल सदस्य राष्ट्र द्वारा भेजे जाते हैं और शांतिरक्षा के कार्यों में भाग लेना वैकल्पिक होता है। विश्व में केवल दो राष्ट्र हैं जिन्होंने हर शांतिरक्षा कार्य में भाग लिया है: कनाडा और पुर्तगाल। संयुक्त राष्ट्र संघ स्वतंत्र सेना नहीं रखती है। शांतिरक्षा का हर कार्य सुरक्षा परिषद् द्वारा अनुमोदित होता है। |
| | | |
− | संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापकों को ऊची उम्मीद थी की वह युद्ध को हमेशा के लिए रोक पाएंगे, पर शीत युद्ध( १९४५ - १९९४१) के समय विश्व विरोधी भागों में विभाजित होने के कारण, शांतिरक्षा संघ को बनाए रखना बहुत कठिन था। | + | संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापकों को ऊची उम्मीद थी की वह युद्ध को सदा के लिए रोक पाएंगे, पर शीत युद्ध( १९४५ - १९९४१) के समय विश्व विरोधी भागों में विभाजित होने के कारण, शांतिरक्षा संघ को बनाए रखना बहुत कठिन था। |
| | | |
| == संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट संस्थाएं == | | == संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट संस्थाएं == |
| संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने कई कार्यक्रमों और संस्थाओं के अलावा १४ स्वतंत्र संस्थाओं से इसकी व्यवस्था गठित होती है। स्वतंत्र संस्थाओं में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। इनका संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ सहयोग समझौता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अपनी कुछ प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम हैं। | | संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने कई कार्यक्रमों और संस्थाओं के अलावा १४ स्वतंत्र संस्थाओं से इसकी व्यवस्था गठित होती है। स्वतंत्र संस्थाओं में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। इनका संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ सहयोग समझौता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अपनी कुछ प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम हैं। |
| | | |
− | === संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट संस्थाएं ===
| + | '''संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट संस्थाएं''' |
− | [[File:Capture३ .png|none|thumb|633x633px]]
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+ |
| + | !सं. |
| + | !लघुनाम |
| + | !संस्था |
| + | !मुख्यालय |
| + | !अध्यक्ष |
| + | !स्थापना |
| + | |- |
| + | |१ |
| + | |एफएओ |
| + | |खाद्य एवं कृषि संगठन |
| + | |रोम,इटली |
| + | |जैकस डियोफ |
| + | |१९४५ |
| + | |- |
| + | |२ |
| + | |आईएईए |
| + | |अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण |
| + | |वियना,ऑस्ट्रिया |
| + | |युकीया अमानो |
| + | |१९५७ |
| + | |- |
| + | |३ |
| + | |आईसीएओ |
| + | |अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन |
| + | |मॉन्ट्रियल,कनाडा |
| + | |रेमंड बेन्जामिन |
| + | |१९४७ |
| + | |- |
| + | |४ |
| + | |आईएफएडी |
| + | |अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष |
| + | |रोम,इटली |
| + | |कनायो एफ न्वान्जे |
| + | |१९७७ |
| + | |- |
| + | |५ |
| + | |आईएलो |
| + | |अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ |
| + | |जेनेवा,स्विट्जरलैंड |
| + | |जुआन सोमाविया |
| + | |१९४६ |
| + | |- |
| + | |६ |
| + | |आईएमओ |
| + | |अंतर्राष्ट्रीय सागरीय संगठन |
| + | |लंदन, ब्रिटेन |
| + | |ई. मित्रोपौलुस |
| + | |१९४८ |
| + | |- |
| + | |७ |
| + | |आईएमएफ |
| + | |अंतर्राष्ट्रीय मॉनीटरी फंड |
| + | |वाशिंगटन.सं.रा |
| + | |डोमिनीक स्ट्रॉस काह्न |
| + | |१९४५ |
| + | |- |
| + | |८ |
| + | |आईटीयू |
| + | |अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ |
| + | |जेनेवा,स्विट्जरलैंड |
| + | |हमादोऊ टौरे |
| + | |१९४७ |
| + | |- |
| + | |९ |
| + | |यूनेस्को |
| + | |संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन |
| + | |पैरिस,फ्रांस |
| + | |आयरीना बोकोवा |
| + | |१९४६ |
| + | |- |
| + | |१० |
| + | |यूएनआईडीओ |
| + | |संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन |
| + | |वियना,ऑस्ट्रिया |
| + | |कान्देह युमकेला |
| + | |१९६७ |
| + | |- |
| + | |११ |
| + | |यूपीयू |
| + | |वैश्विक डाक संघ |
| + | |बर्न,स्विट्जरलैंड |
| + | |एदुआर्दो डायन |
| + | |१९४७ |
| + | |- |
| + | |१२ |
| + | |डब्ल्यु बी |
| + | |विश्व बैंक |
| + | |वाशिंगटन,सं.रा |
| + | |रॉबर्ट बी ज़ोलिक |
| + | |१९४५ |
| + | |- |
| + | |१३ |
| + | |डब्ल्यु एफपी |
| + | |विश्व खाद्य कार्यक्रम |
| + | |रोम,इटली |
| + | |जोसेट शीरान |
| + | |१९६३ |
| + | |- |
| + | |१४ |
| + | |डब्ल्यु एच ओ |
| + | |विश्व स्वास्थ्य संगठन |
| + | |जेनेवा,स्विट्जरलैंड |
| + | |मार्गरेट चैन |
| + | |१९४८ |
| + | |- |
| + | |१५ |
| + | |डब्ल्युआईपीओ |
| + | |वर्ल्ड इन्टलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑर्गनाइजेशन |
| + | |जेनेवा,स्विट्जरलैंड |
| + | |फ्रांसिस गुरी |
| + | |१९७४ |
| + | |- |
| + | |१६ |
| + | |डब्ल्युएमओ |
| + | |विश्व मौसम संगठन |
| + | |जेनेवा,स्विट्जरलैंड |
| + | |एलेक्जेन्डर बेद्रित्स्की |
| + | |१९५० |
| + | |- |
| + | |१७ |
| + | |डब्ल्यूटीओ |
| + | |विश्व पर्यटन संगठन |
| + | |मद्रीद,स्पेन |
| + | |तालिब रिफाई |
| + | |१९७४ |
| + | |} |
| + | |
| ये इस प्रकार है : | | ये इस प्रकार है : |
| | | |
Line 67: |
Line 195: |
| | | |
| ==== अंतराष्ट्रीय अपराध आयोग ==== | | ==== अंतराष्ट्रीय अपराध आयोग ==== |
− | हेग में स्थित यह आयोग यूगोस्लाविया में युद्ध अपराध के संदिग्ध लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए बनाया गया है। | + | हेग में स्थित यह आयोग यूगोस्लाविया में युद्ध अपराध के संदिग्ध लोगोंं पर मुकदमा चलाने के लिए बनाया गया है। |
| | | |
− | '''संयुक्त राष्ट्र बाल कोष :''' यूनिसेफ नामक यह संस्था बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा की देखरेख करती है। | + | '''संयुक्त राष्ट्र बाल कोष :''' यूनिसेफ नामक यह संस्था बच्चोंं के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा की देखरेख करती है। |
| | | |
| '''संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम :''' यूएनडीपी नामक संस्था गरीबी कम करने, आधारभूत ढाँचे के विकास और प्रजातांत्रिक प्रशासन को प्रोत्साहित करने का काम करती है। | | '''संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम :''' यूएनडीपी नामक संस्था गरीबी कम करने, आधारभूत ढाँचे के विकास और प्रजातांत्रिक प्रशासन को प्रोत्साहित करने का काम करती है। |
Line 90: |
Line 218: |
| | | |
| ==References== | | ==References== |
− | भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
| + | धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५): पर्व १: अध्याय ३, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे |
| | | |
− | [[Category:भारतीय शिक्षा ग्रंथमाला 5: पर्व 1: अन्तर्जाल पर विश्वस्थिति]] | + | [[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: पर्व 1: अन्तर्जाल पर विश्वस्थिति]] |